राहुल गांधी ने पीएम को लिखा पत्र, छात्रों के छात्रावास और स्कॉलरशिप का मामला उठाया, कई समस्याओं का किया जिक्र

नई दिल्ली। देश में शिक्षा और सामाजिक समानता को लेकर एक बार फिर बड़ी बहस छिड़ गई है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर वंचित वर्ग के छात्रों की गंभीर समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने छात्रों की छात्रवृत्ति और छात्रावास से जुड़ी समस्याओं को केंद्र में रखकर सरकार से त्वरित हस्तक्षेप की मांग की है।
छात्रावासों की बदहाल स्थिति पर जताई चिंता
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को संबोधित अपने पत्र में लिखा है कि देश के दलित, आदिवासी, अन्य पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र आज भी शिक्षा के बुनियादी साधनों से वंचित हैं। उन्होंने विशेष रूप से छात्रावासों की दयनीय स्थिति का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इन छात्रावासों में रहने वाले छात्रों को अत्यंत असुविधाजनक हालात में जीवन बिताना पड़ रहा है। एक कमरे में 6 से 7 छात्र रहने को मजबूर हैं। शौचालयों की स्थिति बदहाल है, पीने का पानी भी सुरक्षित नहीं है और भोजनालय की कोई व्यवस्था नहीं है।
बिहार दौरे के अनुभव का उल्लेख
राहुल गांधी ने अपने हालिया बिहार दौरे के अनुभवों को साझा करते हुए दरभंगा स्थित आंबेडकर छात्रावास का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि यहां के छात्र बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। छात्रावास में पुस्तकालय या इंटरनेट जैसी शैक्षणिक आवश्यकताएं उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में इन छात्रों की शिक्षा गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि यह केवल बिहार की स्थिति नहीं है, बल्कि देशभर में वंचित समुदाय के छात्र ऐसी ही समस्याओं से जूझ रहे हैं।
छात्रवृत्ति में देरी से बढ़ रही समस्याएं
राहुल गांधी ने अपने पत्र में छात्रवृत्ति के वितरण में हो रही देरी पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हाशिए पर खड़े समुदायों से आने वाले लगभग 90 प्रतिशत छात्रों की शिक्षा इस छात्रवृत्ति पर निर्भर होती है। लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण उन्हें समय पर सहायता नहीं मिल रही। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में छात्रवृत्ति पोर्टल तीन वर्षों तक बंद पड़ा रहा। वर्ष 2021-22 में तो किसी भी छात्र को छात्रवृत्ति नहीं मिली।
सरकार से की त्वरित कार्रवाई की मांग
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि इन दो प्रमुख मुद्दों—छात्रवृत्ति और छात्रावास की स्थिति—पर तत्काल संज्ञान लिया जाए। उन्होंने कहा कि यह केवल शिक्षा की बात नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय और अवसर की समानता का सवाल है। यदि इन छात्रों को शिक्षा के उचित अवसर नहीं मिलेंगे, तो देश की सामाजिक संरचना में असंतुलन और अधिक गहरा होगा। राहुल गांधी का यह पत्र न केवल राजनीतिक हस्तक्षेप है, बल्कि यह एक सामाजिक चेतना का आह्वान भी है। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से समाज के वंचित तबके को मुख्यधारा में लाने की जरूरत पर बल दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रधानमंत्री इस पत्र पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और सरकार छात्रों की समस्याओं को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाती है। छात्रों की शिक्षा, भविष्य और गरिमा से जुड़ा यह मुद्दा केवल एक राज्य का नहीं, बल्कि पूरे देश के भविष्य का प्रश्न है।
