माताओं के स्तनपान से होगा बच्चों में रोगाणुओं का अंत : मंगल पांडेय

पटना। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि माताओं के स्तनपान से बच्चों में रोगाणुओं का अंत होगा। इससे न सिर्फ बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास होगा, बल्कि नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी और कुपोषण से भी मुक्ति मिलेगी। इसके तहत राज्य भर में विश्व स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम मनाया जा रहा है।

एक सप्ताह के लिए प्रत्येक जिला व प्रखंड स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसके लिए 92 हजार आशा कार्यकर्ता, 26 हजार जीएनएम और एएनएम की तैनाती की गई है।

इस कार्यक्रम में समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय के पदाधिकारियों की भूमिका भी अहम है। कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए जिला योजना समन्वयक (डीपीसी) को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है।

मंगल पांडेय ने कहा कि सभी सदर अस्पताल और प्रथम रेफरल इकाई को दूध की बोतल मुक्त परिसर घोषित किया जाना है।

इसके तहत इन सारे स्वास्थ्य केंद्रों पर एक-एक स्तनपान कक्ष स्थापित किए गए हैं। कार्यक्रम का उद्देश्य प्रसव केंद्रों पर मौजूद प्रसूताओं को स्तनपान से होने वाले बच्चों के लिए लाभ से अवगत कराना है।

उन्होंने कहा कि जन्म के एक घंटे के भीतर बच्चों को स्तनपान कराने से हर साल होने वाले नवजात की मृत्यु दर में 20 फीसदी की गिरावट आएगी।

प्रथम छह माह तक लगातार स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया और निमोनिया की शिकायत होने के बाद भी उनकी मृत्यु दर में क्रमश: 11 तथा 15 फीसदी की गिरावट आएगी।

स्तनपान करने वाले शिशुओं का समुचित शारीरिक और मानसिक विकास होता है और वयस्क होने पर असंचारी बीमारियों की शिकायत भी कम हो जाती है। साथ ही स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन एवं ओवरी कैंसर होने का खतरा कम रहता है।

प्रसव वार्ड में इंचार्ज सिस्टर को नोडल पर्सन बनाया गया है, जो यहां भर्ती प्रसुताओं से नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करेंगी।

इस स्तनपान कक्ष का निर्माण ओपीडी के निकट किया गया है, ताकि अभियान का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार हो सके। स्तनपान कक्ष स्वास्थ्य संस्थान में स्थापित कंगारू मदर केयर(केएमसी) वार्ड से अलग होगा।

पांडेय ने कहा कि विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान मां कार्यक्रम के अनुसार गर्भवती और धात्री माताओं के साथ बैठकर स्तनपान से होने वाले लाभ और स्तनपान के सही तरीके के संबंध में आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता चर्चा करेंगी।

इस कार्यक्रम में माताओं को दूध के विकल्प का पूरी तरह से बहिष्कार करने, जन्म के बाद 24 घंटे तक प्रसूता व नवजात के साथ बने रहने आदि पर स्वास्थ्यकर्मी जागरूक करेंगी और इन स्वास्थ्य कर्मियों से अभियान की सफलता को लेकर शपथपत्र भी लिया जाएगा।

आंगनबाड़ी सेविका एवं आशा अगस्त माह में होने वाले विलेज हेल्थ सेनिटेशन एंड न्यूट्रीशन डे में सभी दो साल तक के बच्चों की माताओं को निमंत्रित करेंगी।

साथ उनकी ओर से बताई गई इनफेंट एंड यंग चाइल्ड फीडिंग (आईवाईसीएफ) के अभ्यासों व उनके बच्चों के पोषण स्तर में हुए सुधार के आधार पर चिह्नित माताओं का प्रशंसा करेंगी।

कोविड महामारी के परिप्रेक्ष्य में संभावित संक्रमित महिलाओं, संक्रमित माताओं को चिकित्सकीय सलाह दिया जाएगा तथा हाथ की नियमित सफाई, मास्क का प्रयोग आदि कोविड के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्तनपान के लिए स्वास्थ्य कर्मी प्रेरित करेंगी।

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