पटना में दरोगा समेत चार पुलिसवाले गिरफ्तार, रात में करते थे अवैध वसूली का काम

पटना। पटना में पुलिस प्रशासन की एक बड़ी चूक सामने आई है, जहां नागरिकों की सुरक्षा का दायित्व निभाने वाले चार पुलिसकर्मी अवैध वसूली के आरोप में गिरफ्तार किए गए हैं। यह घटना पटना के गौरीचक थाना क्षेत्र की है। पुलिस विभाग के अनुसार, 1 दिसंबर की रात दीदारगंज निवासी जितेंद्र कुमार अपने दोस्तों के साथ कार में यात्रा कर रहे थे। जब उनकी गाड़ी गौरीचक थाना क्षेत्र से गुजर रही थी, तब गश्ती दल के पुलिसकर्मियों ने उनकी गाड़ी रोककर तलाशी ली। तलाशी के दौरान कोई भी संदिग्ध सामग्री नहीं मिली। इसके बावजूद पुलिसकर्मियों ने कथित रूप से जितेंद्र कुमार और उनके दोस्तों को झूठे मामले में फंसाने की धमकी दी और 25,000 रुपये की जबरन उगाही की। यह पूरी घटना जितेंद्र कुमार ने 2 दिसंबर को गौरीचक थाने में लिखित शिकायत के जरिए दर्ज कराई। शिकायत दर्ज होते ही संबंधित अधिकारियों ने इस मामले की जांच शुरू की। जांच में यह पाया गया कि आरोप सही हैं और इस अवैध वसूली में गौरीचक थाना के गश्ती पदाधिकारी, दो अन्य पुलिसकर्मी और एक ड्राइवर शामिल थे। मामले की पुष्टि होते ही पुलिस विभाग ने तत्परता दिखाते हुए चारों दोषियों को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। पटना सदर 2 के सीडीपीओ सत्यकाम ने बताया कि मामले की जांच में घटना सत्य पाई गई है। दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है। साथ ही, उनके खिलाफ कानूनी कांड भी दर्ज किया गया है। यह घटना पुलिस विभाग की साख पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जिन पुलिसकर्मियों का काम नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना और कानून का पालन सुनिश्चित करना है, उन्हीं के द्वारा अवैध वसूली करना प्रशासन की कमजोरी को दर्शाता है। यह घटना न केवल आम नागरिकों के बीच पुलिस के प्रति अविश्वास पैदा करती है, बल्कि समाज में कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल खड़े करती है। इस घटना से यह स्पष्ट है कि पुलिस विभाग में आंतरिक जांच और पारदर्शिता की आवश्यकता है। पुलिसकर्मियों को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने और भ्रष्टाचार के मामलों पर कड़ी निगरानी रखने की आवश्यकता है। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करके यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भविष्य में कोई भी अधिकारी या कर्मी कानून का दुरुपयोग न कर सके। यह घटना पुलिस प्रशासन के लिए एक चेतावनी है और यह दिखाती है कि कानून की सख्ती और ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कार्रवाई और जवाबदेही कितनी महत्वपूर्ण है।

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