September 6, 2025

बेगूसराय में मोबाइल गेम खेलने से मना किया तो छात्रा ने लगाई फांसी, अस्पताल में इलाज के दौरान मौत

बेगूसराय। जिले के सिंघौल थाना क्षेत्र के बगवाड़ा गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक नौवीं कक्षा की छात्रा ने मोबाइल गेम खेलने को लेकर हुए मामूली विवाद के बाद आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा लिया। यह घटना पूरे इलाके में गहरे सदमे का कारण बनी है और परिवारजन अब भी इस दुखद हादसे से उबर नहीं पा रहे हैं।
मोबाइल गेम से शुरू हुआ विवाद
मृतका की पहचान बगवाड़ा वार्ड-1 निवासी धर्मेंद्र महतो की 15 वर्षीय पुत्री आंचल कुमारी के रूप में हुई है। 1 सितंबर को आंचल घर में मोबाइल फोन पर गेम खेल रही थी। इसी दौरान उसकी मां ने उसे रोकते हुए पढ़ाई पर ध्यान देने की बात कही। मां की इस नसीहत पर आंचल नाराज हो गई। गुस्से और आवेश में उसने चुन्नी का सहारा लेकर फांसी लगाने का प्रयास किया।
परिजनों की कोशिश और अस्पताल में भर्ती
घटना के बाद परिवार के लोग तुरंत हरकत में आए और आंचल को फंदे से उतारकर अस्पताल ले गए। उसकी हालत गंभीर थी, इसलिए उसे तत्काल इलाज के लिए भर्ती कराया गया। चिकित्सकों की देखरेख में लगातार तीन दिनों तक उसका उपचार चलता रहा, लेकिन उसकी जिंदगी बच नहीं पाई। आखिरकार 4 सितंबर की देर रात आंचल ने दम तोड़ दिया।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही सिंघौल थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बेगूसराय सदर अस्पताल भेज दिया। अधिकारियों ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
परिवार का दर्द
परिजनों ने इस घटना को बेटी की नासमझी और गुस्से का परिणाम बताया है। उनका कहना है कि आज के समय में बच्चों को समझाना भी मुश्किल हो गया है। छोटी-सी रोक-टोक पर वे बड़े कदम उठाने लगते हैं। आंचल का जाना परिवार के लिए असहनीय है। पूरे घर में मातम का माहौल है और लोग यह सोचने पर मजबूर हैं कि इतनी छोटी-सी बात पर उनकी बेटी ने क्यों अपनी जान दे दी।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
गांव के लोगों ने भी इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उनका कहना है कि यह केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। ग्रामीणों का मानना है कि बच्चों और अभिभावकों के बीच संवाद की कमी ऐसी घटनाओं को जन्म देती है। अगर बच्चों की भावनाओं को सही समय पर समझा जाए और उन्हें धैर्य के साथ समझाया जाए, तो ऐसे हादसों को रोका जा सकता है।
सामाजिक संदेश और सीख
यह घटना आधुनिक समय की उस चुनौती को उजागर करती है, जहां मोबाइल और डिजिटल दुनिया ने बच्चों की जिंदगी पर गहरा असर डाला है। कई बार बच्चे गेम्स और सोशल मीडिया में इतने उलझ जाते हैं कि परिवार और पढ़ाई से उनका ध्यान हट जाता है। अभिभावक जब उन्हें रोकते हैं, तो वे इसे अपनी स्वतंत्रता पर अंकुश मान लेते हैं। इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि माता-पिता और बच्चों के बीच मजबूत संवाद बेहद जरूरी है। बच्चों को सिर्फ रोकना या डांटना ही नहीं, बल्कि उन्हें समझाना और सकारात्मक तरीके से मार्गदर्शन करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। साथ ही, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना और उन्हें तनाव से निपटने की शिक्षा देना भी आज के समय की जरूरत है। बगवाड़ा गांव की यह दर्दनाक घटना न केवल एक परिवार के लिए गहरे आघात की वजह बनी है, बल्कि समाज को भी सोचने पर मजबूर करती है। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों से जुड़ाव बनाए रखें और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। वहीं बच्चों को भी यह समझना चाहिए कि जीवन किसी भी खेल या गुस्से से कहीं अधिक मूल्यवान है। यदि परिवार और समाज मिलकर इस दिशा में कदम उठाएं, तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है और बच्चों का भविष्य सुरक्षित बनाया जा सकता है।

 

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