पटना में सोमवारी स्नान करने गए पांच बच्चे गंगा में डूबे, मची अफरा-तफरी, तीन को बचाया, दो लापता

पटना। सावन माह की दूसरी सोमवारी के दिन पटना में गंगा स्नान के दौरान एक बड़ा हादसा सामने आया है। यह हादसा पटनासिटी के भद्र घाट पर उस समय हुआ जब पांच बच्चे गंगा नदी में स्नान करने के लिए गए थे। नहाने के दौरान वे गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे। इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है और परिजनों समेत स्थानीय लोगों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया है।
तीन को बचाया गया, दो अभी भी लापता
इस हादसे के तुरंत बाद मौके पर मौजूद लोगों ने शोर मचाया और मदद के लिए पुकारा। गनीमत रही कि एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) के जवान नजदीक में ही तैनात थे। उन्होंने तत्परता दिखाते हुए राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया। जवानों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन बच्चों को नदी से सुरक्षित बाहर निकाल लिया। लेकिन दो किशोर अभी भी लापता हैं और उनकी तलाश लगातार जारी है।
गंगा का बढ़ा जलस्तर हादसे की मुख्य वजह
स्थानीय प्रशासन और एसएसबी अधिकारियों के अनुसार गंगा नदी का जलस्तर इन दिनों सामान्य से काफी अधिक है। सावन में भारी बारिश और पहाड़ी क्षेत्रों से पानी आने के कारण नदी का बहाव तेज हो गया है। यही कारण रहा कि बच्चे स्नान करते हुए संतुलन नहीं बना सके और गहराई में चले गए। पानी का बहाव इतना तेज था कि वे देखते ही देखते लापता हो गए।
एनडीआरएफ और पुलिस की टीम मौके पर
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, एनडीआरएफ और गोताखोरों की टीम मौके पर पहुंच गई है। राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। नदी में लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है ताकि लापता बच्चों को जल्द से जल्द खोजा जा सके। प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और गंगा घाटों की निगरानी बढ़ा दी गई है।
इलाके में मातम और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
इस दुर्घटना के बाद भद्र घाट और आसपास के क्षेत्रों में मातम का माहौल है। जिन बच्चों को सुरक्षित निकाला गया है वे अभी सदमे में हैं, जबकि लापता बच्चों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। लोगों की भीड़ घाट पर जुटी हुई है और सबकी निगाहें सिर्फ इस बात पर टिकी हैं कि बच्चे सकुशल मिल जाएं।
स्थानीय लोगों की प्रशासन से मांग
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि सावन जैसे धार्मिक अवसरों पर गंगा घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था और चौकसी बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि स्नान के समय प्रशिक्षित गोताखोरों और सुरक्षा कर्मियों की उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिए ताकि ऐसे हादसों को रोका जा सके। साथ ही नदी किनारे चेतावनी बोर्ड और रस्सियों जैसी सुरक्षात्मक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जानी चाहिए। पटना में सावन के पावन अवसर पर हुआ यह दर्दनाक हादसा एक बार फिर घाटों की लचर सुरक्षा व्यवस्था की ओर इशारा करता है। जहां एक ओर श्रद्धालु स्नान के लिए उमड़ते हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन की तैयारियों में गंभीर खामियां नजर आती हैं। यह घटना न केवल प्रशासन के लिए चेतावनी है बल्कि अभिभावकों और बच्चों के लिए भी सतर्क रहने का संदेश देती है। सभी की प्रार्थना है कि लापता दोनों बच्चे सुरक्षित मिल जाएं।
