December 8, 2025

प्रदेश में अब 26 को जारी होगी महिला रोजगार योजना की पहली किस्त, डीबीटी से बैंक खाते में होगा ट्रांसफर

पटना। बिहार की राजनीति में 26 सितंबर का दिन ऐतिहासिक होने जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उसी दिन मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की पहली किस्त जारी करेंगे। यह योजना राज्य की लगभग 50 लाख महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। पहली किस्त के तहत हर लाभार्थी महिला के बैंक खाते में 10-10 हजार रुपये सीधे डीबीटी के माध्यम से भेजे जाएंगे। कुल 5 हजार करोड़ रुपये का यह वितरण आर्थिक आज़ादी और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नई इबारत लिखेगा।
पहली किस्त का शुभारंभ
मुख्यमंत्री खुद इस राशि को ट्रांसफर करेंगे और इसका सीधा प्रसारण जिला से लेकर पंचायत स्तर तक होगा। राजधानी पटना के साथ-साथ सभी 38 जिलों में इस अवसर को उत्सव की तरह मनाने की तैयारी की जा रही है। ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने जिलाधिकारियों को साफ निर्देश दिए हैं कि कार्यक्रम ऐसा हो जिससे हर घर तक यह संदेश पहुंचे कि यह कदम महिलाओं में आत्मविश्वास जगाने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
उत्सव जैसा माहौल
राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर कार्यक्रम आयोजित होंगे। इन कार्यक्रमों की अध्यक्षता स्वयं जिलाधिकारी करेंगे, जिसमें हजारों महिलाएं और स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। इसी तरह 534 प्रखंड मुख्यालयों पर भी बड़े समारोह होंगे, जिनकी अध्यक्षता प्रखंड विकास अधिकारी करेंगे और इनमें कम से कम 500 महिलाओं की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी। इस अवसर पर महिला समूहों की भागीदारी खास होगी ताकि इस योजना का संदेश जमीनी स्तर तक पहुंचे।
जीविका समूह की केंद्रीय भूमिका
योजना के क्रियान्वयन में स्वयं सहायता समूह (SHG) यानी जीविका समूहों को केंद्र में रखा गया है। जीविका समूहों ने पहले से ही राज्य में महिलाओं को संगठित करने और आत्मनिर्भर बनाने का काम किया है। अब वही इस नई पहल की रीढ़ बनेंगे। सरकार का मानना है कि यह योजना महज आर्थिक मदद नहीं है बल्कि महिला सशक्तिकरण का असली औज़ार है।
महिलाओं के लिए अवसर
इस योजना के तहत मिलने वाली 10 हजार रुपये की राशि महिलाओं के लिए एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण आधार बनेगी। सरकार उम्मीद कर रही है कि यह रकम स्वरोज़गार को बढ़ावा देगी। महिलाएं इस पैसे का इस्तेमाल सिलाई-बुनाई, हस्तशिल्प, खेती, पशुपालन या किसी छोटे व्यापार की शुरुआत में कर सकती हैं। परिणामस्वरूप न केवल महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी बल्कि उनके परिवार को भी आर्थिक मजबूती मिलेगी। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई महिला सिलाई मशीन खरीद लेती है और घर पर काम शुरू करती है तो सीधे तौर पर इसका असर उसके बच्चों की पढ़ाई और घर की रसोई तक पड़ेगा। यह योजना परिवार की अर्थव्यवस्था को महिला के हाथों सौंपने की एक नई पहल है।
आवेदन और उत्साह
योजना को लेकर महिलाओं का उत्साह स्पष्ट रूप से दिख रहा है। अब तक करीब 1 करोड़ 5 लाख महिलाओं ने इसका लाभ पाने के लिए आवेदन कर दिया है। वहीं, लगभग 1 लाख 40 हजार महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के लिए भी आवेदन कर चुकी हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि चाहे ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी इलाका, महिलाओं में इस योजना को लेकर उत्सुकता और उम्मीदें बहुत ऊंची हैं।
लाभार्थियों के पात्रता मानदंड
इस योजना का लाभ लेने के लिए सरकार ने स्पष्ट पात्रता शर्तें तय की हैं। केवल 18 से 60 वर्ष की आयु की महिलाएं इसका लाभ पा सकेंगी। जिन महिलाओं के पति या परिवार के अन्य सदस्य आयकरदाता हैं या सरकारी नौकरी में है, वे इस योजना से बाहर रहेंगी। वहीं, अविवाहित महिलाएं जिनके माता-पिता अब जीवित नहीं हैं, उन्हें भी इसमें शामिल किया गया है। यह व्यवस्था इसे और अधिक व्यापक बनाती है।
राजनीतिक और सामाजिक संदेश
यह योजना राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। सत्ता पक्ष इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बड़ा मास्टरस्ट्रोक बता रहा है। वहीं विपक्ष इसे चुनावी शगूफ़ा करार दे रहा है। राजनीतिक मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन सच यह है कि सरकार ने 50 लाख महिलाओं के खातों में सीधे पैसे पहुंचाने की ठोस पहल की है। इससे महिलाओं के जीवन में बदलाव की उम्मीद जग रही है।
सामाजिक बदलाव की दिशा में
इस योजना के पीछे सरकार का स्पष्ट संदेश है कि महिलाओं को केवल आर्थिक रूप से नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी सशक्त किया जाए। लंबे समय से घर की मजबूरियों और आर्थिक तंगी का सामना करती रही महिलाओं को जब अपनी आय का साधन मिलेगा, तो परिवार की संरचना में भी सकारात्मक बदलाव आएगा। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना बिहार में आर्थिक न्याय और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है। महिलाओं को सीधे आर्थिक मदद देने से उनकी आत्मनिर्भरता सुनिश्चित होगी और पूरा परिवार लाभान्वित होगा। राजनीति चाहे इसे चुनावी प्रयोग कहे या ऐतिहासिक पहल, लेकिन यह सच है कि 50 लाख महिलाओं को सीधे बैंक खाते में मिली यह राशि उनके जीवन की तस्वीर बदलने का सामर्थ्य रखती है। यह पहल उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ समाज में मान-सम्मान दिलाने की दिशा में भी एक मजबूत कदम है।

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