November 21, 2025

भारत में सामने आया पहला एचएमपीवी का मामला, बेंगलुरु में 8 महीने की बच्ची हुई पॉजिटिव

बेंगलुरु। चीन में फैले कोरोना जैसे वायरस का भारत में पहला केस मिला है। वायरस का नाम ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बेंगलुरु में 8 महीने की बच्ची पॉजिटिव आई है। सैंपल की जांच बैपटिस्ट अस्पताल में की गई थी। हालांकि कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपनी लैब में नमूने की जांच नहीं कराई। रिपोर्ट एक निजी अस्पताल से आई है। वायरस से संक्रमित होने पर मरीजों में सर्दी और कोविड-19 जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों पर देखा जा रहा है। इनमें 2 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। केंद्र सरकार ने कहा था- एचएमपीवी इस मौसम में सामान्य वायरस चीन में एचएमपीवी के बढ़ते मामलों के बीच भारत सरकार ने 4 जनवरी को जॉइंट मॉनीटरिंग ग्रुप की बैठक की थी। बैठक के बाद सरकार ने कहा था कि फ्लू के मौसम को देखते हुए चीन की स्थिति असामान्य नहीं है। केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा देश सांस से जुड़ी बीमारियों के मामलों में किसी भी बढ़त से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। चीन में फ्लू के बढ़ते मामलों की वजह आरएसवी और एचएमपीवी इस मौसम में इन्फ्लुएंजा के सामान्य वायरस हैं। सरकार स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है। साथ ही डब्ल्यूएचओ से चीन की स्थिति के बारे में समय-समय पर अपडेट देने को कहा है। एहतियात के तौर पर टेस्टिंग लैब बढाएंगे सरकार ने कहा कि भारत में आईसीएमआर और आईडीएसपी के जरिए इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी और इन्फ्लूएंजा के लिए गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी के लिए मजबूत निगरानी सिस्टम मौजूद है। दोनों एजेंसियों के आंकड़ों से पता चलता है कि आईएलआई मामलों में कोई असामान्य बढ़त नहीं हुई है। यह कोई नया वायरस नहीं है। पिछले साल भी चीन में इसके फैलने की खबर आई थी। साल 2023 में नीदरलैंड, ब्रिटेन, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में भी इस वायरस का पता चला था। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, सबसे पहले नीदरलैंड में साल 2001 में इसका पता लगाया गया था। हालांकि इसे कम-से-कम 50 साल पुराना वायरस माना जाता है। इस वायरस का अभी तक कोई ऐसा वैरिएंट देखने को नहीं मिला है, जो कोरोना की तरह विस्फोटक अंदाज में फैलता है।

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