पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर फायरिंग, गोल्डन टेंपल के बाहर हमला, मची अफरा-तफरी

अमृतसर। पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल पर 4 दिसंबर को अमृतसर स्थित गोल्डन टेंपल के बाहर फायरिंग की घटना ने राज्य की राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था को हिला दिया। घटना सुबह उस समय हुई जब सुखबीर सिंह बादल श्री अकाल तख्त साहिब के निर्देशानुसार धार्मिक सजा भुगतने के लिए पहुंचे थे। सुखबीर सिंह बादल अकाल तख्त के बाहर बरछा (धार्मिक प्रतीकात्मक शस्त्र) लेकर बैठे हुए थे। इसी दौरान गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक निवासी नारायण सिंह चौड़ा ने उन पर फायरिंग कर दी। सुखबीर बादल को उनके सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत घेर लिया और उन्हें सुरक्षित बचा लिया। हमले में वे बाल-बाल बचे। सुरक्षाकर्मियों ने तत्काल हमलावर को गिरफ्तार कर लिया और उसके पास से एक पिस्तौल बरामद की। हमलावर नारायण सिंह चौड़ा दल खालसा का सदस्य बताया जा रहा है। दल खालसा एक अलगाववादी संगठन है, जो पंजाब में खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करता है। इस हमले के पीछे नारायण सिंह के उद्देश्य की जांच जारी है, लेकिन प्राथमिक जांच में इसे धार्मिक और राजनीतिक विवाद से जुड़ा मामला माना जा रहा है। इस घटना के मूल में सुखबीर सिंह बादल पर लगे धार्मिक दुराचार के आरोप हैं। 30 अगस्त 2024 को श्री अकाल तख्त साहिब ने उन्हें “तनखैया” घोषित किया था, जिसका अर्थ है धार्मिक अपराधी। यह आरोप राम रहीम मामले से जुड़ा है, जिसमें अकाली दल की सरकार पर धार्मिक नियमों की अवहेलना और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। 2 दिसंबर 2024 को अकाल तख्त पर पांच सिंह साहिबानों की बैठक हुई थी, जिसमें सुखबीर बादल और उनकी सरकार के अन्य कैबिनेट सदस्यों के खिलाफ धार्मिक सजा सुनाई गई। इसके तहत उन्हें अकाल तख्त पर उपस्थित होकर अपने अपराधों की क्षमा मांगने और सजा भुगतने के लिए कहा गया। यह घटना पंजाब की राजनीति और धार्मिक संस्थानों के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करती है। सुखबीर बादल का अकाल तख्त पर पहुंचना और उन पर हमला होना धार्मिक और राजनीतिक तनाव को स्पष्ट करता है। सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं कि इतने महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल पर ऐसी घटना कैसे हुई। गोल्डन टेंपल जैसे संवेदनशील स्थान पर इस तरह की घटना से आम लोगों में भय और गुस्सा है। पंजाब सरकार ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस हमले की निंदा की और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। पुलिस ने हमलावर से पूछताछ शुरू कर दी है और इस घटना के पीछे किसी साजिश की संभावना की जांच की जा रही है। यह घटना धार्मिक और राजनीतिक विवादों के बढ़ते तनाव का प्रतीक है। सुखबीर सिंह बादल पर हमला केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि एक बड़े सामाजिक और धार्मिक मुद्दे का हिस्सा है। इससे पंजाब में सुरक्षा और शांति बनाए रखने की चुनौती सामने आती है।

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