मणिपुर में सेना और उग्रवादियों में फायरिंग, एनकाउंटर में चार उग्रवादी ढेर
चुराचांदपुर। मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में एक बार फिर सुरक्षा बलों और उग्रवादी संगठनों के बीच टकराव की स्थिति देखी गई। यह घटना खनपी गांव में सोमवार तड़के हुई, जहां सेना और यूनाइटेड कुकी नेशनल आर्मी (यूकेएनए) के उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में यूकेएनए के चार उग्रवादी मारे गए। यह कार्रवाई उन खुफिया इनपुट्स के आधार पर की गई थी, जिनमें संगठन की गतिविधियों और उनकी उपस्थिति की स्पष्ट जानकारी दी गई थी। मणिपुर में लंबे समय से सक्रिय विभिन्न उग्रवादी संगठन सुरक्षा और शांति के लिए चुनौती बने रहे हैं, और यह घटना उसी कड़ी का हिस्सा है।
यूकेएनए संगठन की पृष्ठभूमि
यूकेएनए यानी यूनाइटेड कुकी नेशनल आर्मी, मणिपुर और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में सक्रिय एक उग्रवादी संगठन है। यह संगठन एसओओ समझौते का हिस्सा नहीं है, अर्थात् इसने सरकार के साथ संघर्ष विराम या शांति समझौता नहीं किया है। हाल के कुछ महीनों में यूकेएनए की गतिविधियाँ बढ़ी हैं और इसके सदस्यों पर कई हिंसक घटनाओं को अंजाम देने के आरोप हैं। इनमें गांवों में दहशत फैलाना, लोगों को धमकाना और समुदायों के बीच तनाव पैदा करना शामिल है। कुछ समय पहले इस संगठन पर एक गांव प्रमुख की हत्या का भी आरोप लगा था, जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता बढ़ गई थी।
खुफिया जानकारी और ऑपरेशन की तैयारी
मौजूद स्रोतों के अनुसार सेना को पहले से यह सूचना मिल गई थी कि यूकेएनए के कुछ सदस्य चुराचांदपुर के खनपी गांव के आसपास सक्रिय हैं। क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति पहाड़ी और घने जंगलों वाली है, जिससे ऐसे अभियानों को अंजाम देना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। लेकिन सेना और असम राइफल्स ने संयुक्त रूप से एक योजनाबद्ध अभियान की तैयारी की। रात के समय विशेष दस्तों ने इलाके को घेर लिया ताकि आतंकियों की भागने की संभावनाओं को कम किया जा सके।
मुठभेड़ की घटना
जैसे ही सेना का दल निर्धारित स्थान पर पहुँचा, उग्रवादियों की तरफ से अचानक गोलीबारी शुरू कर दी गई। यह गोलीबारी बिना किसी उकसावे के की गई थी, जिसे स्पष्ट रूप से सुरक्षा बलों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश माना गया। इसके बाद सेना ने जवाबी कार्रवाई की, जो कुछ समय तक चली। फायरिंग रुकने के बाद इलाके की तलाशी ली गई और चार उग्रवादियों के शव बरामद किए गए। घटना स्थल से हथियार और अन्य सामग्रियाँ भी मिली हैं, जिनकी जांच जारी है।
सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया और उद्देश्य
सेना और असम राइफल्स ने इस ऑपरेशन के बाद कहा कि उनकी प्राथमिकता क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाना है। स्थानीय निवासियों की सुरक्षा सर्वोच्च है और इस प्रकार की कार्रवाइयाँ आवश्यक होती हैं जब कोई संगठन कानून और व्यवस्था को चुनौती देता है। यह भी कहा गया कि उग्रवादी संगठनों की हिंसक गतिविधियाँ न केवल सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी प्रभावित करती हैं।
मणिपुर की संवेदनशील स्थिति
मणिपुर पिछले कुछ समय से जातीय तनाव, सामाजिक असंतोष और उग्रवादी गतिविधियों की वजह से चर्चा में है। पहाड़ी और घाटी क्षेत्रों के बीच राजनीतिक और सामाजिक विभाजन कई बार हिंसक रूप ले लेता है। ऐसे में जब भी कोई उग्रवादी संगठन सक्रिय होता है, स्थिति और संवेदनशील हो जाती है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियाँ लगातार कोशिश कर रही हैं कि उग्रवाद को कम किया जाए और संवाद के माध्यम से समाधान निकाला जाए, लेकिन गैर-एसओओ संगठनों की बढ़ती गतिविधियाँ इस प्रक्रिया को जटिल बनाती हैं।
आगे की कार्रवाई
मुठभेड़ के बाद भी इलाके में तलाशी अभियान जारी है। सुरक्षा बल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई और उग्रवादी समूह उस क्षेत्र में सक्रिय न हो। साथ ही, स्थानीय समुदाय को भी भरोसे में लेने की कोशिश की जा रही है ताकि कोई गलतफहमी या दहशत न फैले और लोग सामान्य जीवन की ओर लौट सकें। इस मुठभेड़ के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि मणिपुर में शांति बहाल करने की प्रक्रिया अभी भी चुनौतियों से घिरी हुई है। उग्रवादी संगठन अपनी विचारधारा और हितों के लिए हिंसा का रास्ता अपनाते हैं, जो अंततः आम नागरिकों के जीवन को प्रभावित करता है। सेना की इस कार्रवाई का उद्देश्य केवल उग्रवाद को रोकना ही नहीं, बल्कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता की पुनर्स्थापना भी है।


