भाजयुमो ने प्रशांत किशोर पर दर्ज कराई प्राथमिकी, छात्रों को भड़काने और सरकार को बदनाम करने का लगाया आरोप
पटना। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) परीक्षा विवाद में भाजपा युवा मोर्चा (भाजयुमो) ने जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (पीके) पर प्राथमिकी दर्ज कराई है। सोमवार को पटना के गांधी मैदान थाना में दर्ज की गई इस प्राथमिकी में प्रशांत किशोर पर छात्रों को भड़काने और सरकार को बदनाम करने का गंभीर आरोप लगाया गया है। भाजयुमो प्रवक्ता कृष्ण सिंह कल्लू ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर ने बीपीएससी छात्रों को उकसाने और सरकार की छवि खराब करने की कोशिश की। उनका कहना है कि गांधी मैदान में प्रशांत किशोर ने भड़काऊ बयान दिया, जिसमें उन्होंने छात्रों से कहा कि उनकी संख्या 4-5 हजार क्यों है, जबकि अगर 3-4 लाख छात्र इकट्ठा हो जाएं तो सरकार को डराया जा सकता है। भाजयुमो ने इस बयान को अशांति फैलाने और छात्रों का राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास बताया है। बीपीएससी परीक्षा में पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं के विरोध में छात्र गर्दनीबाग धरना स्थल पर 12 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच शनिवार को प्रशांत किशोर वहां पहुंचे और छात्रों को गांधी मैदान में जुटने और संसद जैसी बैठक करने का आह्वान किया। उनके इस बयान के बाद रविवार को छात्रों ने गांधी मैदान में विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने सीएम आवास तक पैदल मार्च करने की कोशिश की। पुलिस ने रोकने के लिए पहले वाटर कैनन का इस्तेमाल किया और बाद में लाठी चार्ज किया। इस दौरान कई छात्र घायल हो गए और कुछ को हिरासत में भी लिया गया। भाजयुमो के कार्यकर्ताओं ने प्रशांत किशोर के इस कदम को सरकार के खिलाफ षड्यंत्र बताया। उन्होंने प्रशासन से प्रशांत किशोर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। उनका कहना है कि बीपीएससी छात्रों के मुद्दे का इस्तेमाल प्रशांत किशोर ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए किया। पुलिस ने प्रदर्शन के दौरान हुई घटनाओं की जांच शुरू कर दी है। प्रशांत किशोर के बयान और घटनाओं की सच्चाई का पता लगाने के लिए भी जांच की जा रही है। प्रशासन का कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना प्राथमिकता है और इस मामले में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। बीपीएससी परीक्षा विवाद ने बिहार की राजनीति को गर्मा दिया है। प्रशांत किशोर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और छात्रों पर पुलिस कार्रवाई ने मामले को और पेचीदा बना दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस मुद्दे पर क्या कदम उठाता है और विरोध कहां तक जाता है।


