November 17, 2025

बिहार में 30 को जारी होगी अंतिम मतदाता सूची, अक्टूबर में चुनाव का ऐलान, दो से तीन चरण में होगी वोटिंग

पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म होता जा रहा है। मौजूदा सरकार का कार्यकाल नवंबर में समाप्त होने वाला है, ऐसे में चुनाव आयोग भी पूरी तरह से सक्रिय हो गया है। आयोग की ओर से मिले संकेतों के अनुसार चुनाव की तारीखों का ऐलान 6 अक्टूबर के बाद किया जा सकता है। इससे पहले 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची जारी की जाएगी, जो चुनावी प्रक्रिया का अहम हिस्सा है।
अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन
चुनाव आयोग ने साफ किया है कि 30 सितंबर को बिहार की अंतिम मतदाता सूची जारी होगी। इस सूची के प्रकाशित होने के बाद यह तय हो जाएगा कि राज्य में कितने मतदाता आगामी चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। यह सूची न केवल राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण होगी, बल्कि आम जनता को भी इससे स्पष्ट जानकारी मिलेगी कि उनके नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं या नहीं।
अधिकारियों का तबादला और आयोग की सख्ती
चुनाव आयोग ने पारदर्शी चुनाव की दिशा में सख्त कदम उठाए हैं। आयोग का कहना है कि जो अधिकारी पिछले तीन सालों से एक ही जगह पर तैनात हैं, उनका अनिवार्य रूप से तबादला किया जाएगा। साथ ही यह भी तय किया गया है कि कोई भी अधिकारी अपने गृह जिले में चुनावी जिम्मेदारी नहीं निभाएगा। इस निर्णय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव प्रक्रिया में किसी भी तरह का पक्षपात या दबाव सामने न आए।
6 अक्टूबर तक पूरी होगी तैयारी
चुनाव आयोग ने राज्य सरकार और संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि 6 अक्टूबर तक अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। इसके बाद सभी विभागों को अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंपनी होगी। यह एक नियमित प्रक्रिया है, लेकिन चुनावों के दौरान इसका महत्व और बढ़ जाता है, क्योंकि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराना आयोग की प्राथमिकता होती है।
चुनावी तारीखों की संभावना
मौजूदा सरकार का कार्यकाल नवंबर तक है। ऐसे में यह लगभग तय है कि चुनाव की तारीखों का ऐलान अक्टूबर के पहले सप्ताह के बाद कभी भी किया जा सकता है। माना जा रहा है कि नवंबर के पहले हफ्ते में ही चुनाव की शुरुआत हो सकती है। आयोग की सख्ती और तेज तैयारियों से यह स्पष्ट है कि समय पर चुनाव कराना उसकी प्राथमिकता है।
पिछले चुनावों से तुलना
अगर 2020 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो वह तीन चरणों में संपन्न हुआ था। पहले चरण की वोटिंग 28 अक्टूबर को, दूसरे चरण की 3 नवंबर को और तीसरे चरण की 7 नवंबर को हुई थी। इस बार भी उम्मीद जताई जा रही है कि चुनाव दो से तीन चरणों में ही कराए जाएंगे। बहु-चरणीय चुनाव कराने का उद्देश्य सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत रखना और मतदान प्रक्रिया को शांतिपूर्ण ढंग से पूरा करना होता है।
आयोग की पारदर्शिता पर जोर
चुनाव आयोग लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र की आत्मा है। अधिकारियों के ट्रांसफर और गृह जिले से बाहर तैनाती जैसे कदम इसी दिशा में उठाए जाते हैं। इससे मतदाताओं का विश्वास भी बढ़ता है और यह सुनिश्चित होता है कि किसी भी स्तर पर चुनाव प्रक्रिया प्रभावित न हो। बिहार विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची जारी होने के बाद तस्वीर और स्पष्ट हो जाएगी। 6 अक्टूबर तक अधिकारियों के तबादले और रिपोर्ट पेश करने की प्रक्रिया पूरी होते ही चुनाव तारीखों का ऐलान संभव है। संकेत साफ हैं कि इस बार भी चुनाव दो से तीन चरणों में कराया जाएगा। चुनाव आयोग की सख्ती और तैयारियों से यह उम्मीद की जा रही है कि बिहार में लोकतंत्र का यह पर्व निष्पक्ष, पारदर्शी और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होगा।

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