November 23, 2025

पूर्व विधायक अनंत सिंह का बड़ा ऐलान, 14 अक्टूबर को मोकामा विधानसभा के लिए करेंगे नामांकन, जनता से मांगा समर्थन

पटना। बिहार की सियासत में एक बार फिर से हलचल मच गई है। मोकामा के बाहुबली नेता और पूर्व विधायक अनंत कुमार सिंह ने बुधवार को बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 14 अक्टूबर को मोकामा निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन करेंगे। यह घोषणा उनके आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से की गई, जिसमें लिखा गया – “14 अक्टूबर को छोटे सरकार नामांकन करेंगे। इस गौरवशाली बेला में सभी जनता मालिक और समर्थकों से आशीर्वाद और प्यार की कामना है। अनंत सिंह, जिन्हें स्थानीय लोग ‘छोटे सरकार’ के नाम से जानते हैं, लंबे समय से मोकामा और आस-पास के इलाकों में एक प्रभावशाली चेहरा रहे हैं। उनके नामांकन की घोषणा के साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि वे एक बार फिर से अपनी पारंपरिक सीट से चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं।
पत्नी नीलम देवी ने संभाला था राजनीतिक मोर्चा
गौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में जब अनंत सिंह जेल में बंद थे, तब उनकी पत्नी नीलम देवी ने राजद (राष्ट्रीय जनता दल) के टिकट पर मोकामा सीट से चुनाव लड़ा था और शानदार जीत दर्ज की थी। नीलम देवी ने राजद प्रत्याशी के रूप में एनडीए उम्मीदवार को पराजित किया था। हालांकि, विधानसभा में एक महत्वपूर्ण शक्ति परीक्षण के दौरान उन्होंने एनडीए के पक्ष में वोट देकर सभी को चौंका दिया था। इस कदम के बाद राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज हो गई थी कि अनंत सिंह और उनका परिवार अब राजद से दूरी बनाकर एनडीए खेमे की ओर झुकाव दिखा रहे हैं।
एनडीए में शामिल होंगे या निर्दलीय लड़ेंगे?
हालांकि अनंत सिंह ने कई बार सार्वजनिक मंचों से यह कहा है कि वे एनडीए में हैं, लेकिन अब तक उन्होंने किसी भी दल – चाहे वह भाजपा, जदयू या लोजपा (रामविलास) – की औपचारिक सदस्यता ग्रहण नहीं की है। यही वजह है कि उनके नामांकन की घोषणा के बाद सियासी गलियारों में यह सवाल उठने लगा है कि वे किस दल के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे या निर्दलीय रूप से मैदान में उतरेंगे। एनडीए में भी फिलहाल सीट बंटवारे की प्रक्रिया अंतिम चरण में नहीं पहुंची है। यह अभी तय नहीं हुआ है कि मोकामा विधानसभा सीट किस सहयोगी दल को दी जाएगी। ऐसे में अनंत सिंह की घोषणा ने न केवल एनडीए के भीतर गणित बदल दिया है बल्कि विपक्षी खेमे, खासकर राजद में भी बेचैनी बढ़ा दी है।
बिहार की राजनीति में ‘छोटे सरकार’ का प्रभाव
अनंत सिंह का नाम बिहार की राजनीति में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। कभी लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे अनंत सिंह का राजनीति से लेकर अपराध तक का लंबा इतिहास रहा है। मोकामा और उसके आसपास के इलाकों में उनकी गहरी पैठ मानी जाती है। कई मामलों में जेल जाने के बावजूद उन्होंने अपने समर्थकों के बीच लोकप्रियता बनाए रखी है। उनके समर्थकों का मानना है कि “छोटे सरकार” केवल एक नेता नहीं बल्कि एक जनप्रतिनिधि हैं, जिन्होंने इलाके के विकास के लिए हमेशा काम किया। वहीं विरोधियों का आरोप है कि उनकी राजनीति भय और प्रभाव के दम पर चलती है। लेकिन इन सबके बीच यह निर्विवाद है कि मोकामा की राजनीति में अनंत सिंह की भूमिका बेहद अहम रही है।
राजनीतिक समीकरणों पर पड़ेगा असर
अनंत सिंह के नामांकन की घोषणा से बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर बड़ा असर पड़ सकता है। राजद पहले ही मोकामा सीट पर अपनी दावेदारी जताता रहा है, जबकि जदयू और भाजपा के बीच इस सीट को लेकर अंदरखाने खींचतान की खबरें हैं। अगर एनडीए ने अनंत सिंह को अधिकृत उम्मीदवार नहीं बनाया, तो उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने की संभावना से एनडीए को भी नुकसान हो सकता है। मोकामा जैसी सीट पर तीन-तरफा मुकाबला बनना तय है — राजद, एनडीए और अनंत सिंह की स्वतंत्र ताकत के बीच।राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर अनंत सिंह निर्दलीय मैदान में उतरते हैं तो मोकामा का समीकरण पूरी तरह बदल सकता है। उनके पारंपरिक वोट बैंक के कारण अन्य दलों के प्रत्याशियों को कड़ी चुनौती मिल सकती है।
समर्थकों में उत्साह, विरोधियों में चिंता
अनंत सिंह के नामांकन की घोषणा के बाद से ही मोकामा और उसके आसपास के इलाकों में उनके समर्थकों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में पोस्ट और वीडियो वायरल हो रहे हैं। समर्थक इसे “छोटे सरकार की वापसी” के रूप में देख रहे हैं। वहीं राजनीतिक विरोधी खेमे में बेचैनी साफ झलक रही है। राजद जहां मोकामा में अपनी सीट बरकरार रखने की कोशिश में है, वहीं एनडीए के नेता इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि अगर सीट अनंत सिंह को नहीं दी गई तो इसका असर पूरे पटना ग्रामीण क्षेत्र की राजनीति पर पड़ सकता है।
क्या कहता है भविष्य?
फिलहाल सबकी निगाहें 14 अक्टूबर पर टिकी हैं, जब अनंत सिंह औपचारिक रूप से अपना नामांकन दाखिल करेंगे। उस दिन उनके साथ एनडीए या किसी दल के प्रमुख नेता उपस्थित रहते हैं या नहीं, यह देखने वाली बात होगी। एक बात तो तय है — अनंत सिंह की सक्रिय राजनीति में वापसी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को और रोमांचक बना दिया है। मोकामा की सीट एक बार फिर राज्य की सियासी सुर्खियों में है और आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि “छोटे सरकार” इस बार किस दल के झंडे तले चुनावी मैदान में उतरते हैं या अपनी अलग पहचान के साथ एक बार फिर जनता के बीच “मालिक” बनकर खड़े होते हैं।

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