December 8, 2025

पटना में दर्दनाक हादसा, करंट लगने से पिता-पुत्र की मौत, एक झुलसा

पटना। बिहार की राजधानी पटना से एक दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई है जिसने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। बाढ़ अनुमंडल अंतर्गत बख्तियारपुर प्रखंड के घांघ डीह गांव में करंट लगने से एक ही परिवार के दो सदस्यों की मौत हो गई, जबकि तीसरा गंभीर रूप से घायल है। यह हादसा उस समय हुआ जब खेत में गिरे बिजली के तार की चपेट में आकर तीन लोग करंट से झुलस गए।
भुट्टा तोड़ने के दौरान हुआ हादसाघटना उस वक्त हुई जब देवनंदन पासवान अपने दो बेटों संजीत पासवान और अन्टू पासवान के साथ खेत में भुट्टा तोड़ने गए थे। खेत में 440 वोल्ट का बिजली का तार पहले से ही गिरा हुआ था। हवा तेज होने के कारण तार टूटकर जमीन पर गिर गया था, जिसकी जानकारी गांव के किसी भी व्यक्ति को नहीं थी। जैसे ही देवनंदन पासवान का पैर उस तार पर पड़ा, वह करंट की चपेट में आ गए और मौके पर ही उनकी हालत गंभीर हो गई।
बचाने के प्रयास में बेटा भी गया जान से
पिता को करंट से छटपटाते देख उनका बड़ा बेटा संजीत पासवान बचाने दौड़ा और वह भी उसी करंट की चपेट में आ गया। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। छोटा बेटा अन्टू पासवान भी पिता और भाई को बचाने के लिए आगे बढ़ा लेकिन वह भी बिजली की चपेट में आकर झुलस गया। अन्टू की स्थिति गंभीर बनी हुई है और उसे हरनौत के एक निजी क्लिनिक में भर्ती कराया गया है जहां उसका इलाज चल रहा है।
बिजली विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि तार गिरने की सूचना बिजली विभाग को समय पर दी गई थी लेकिन उन्होंने बिजली आपूर्ति को बंद नहीं किया। यह विभागीय लापरवाही इस दुखद घटना का बड़ा कारण बनी। लोगों ने आरोप लगाया कि विभाग की तरफ से न तो तार को हटाने की कोशिश की गई और न ही बिजली लाइन काटी गई, जिससे यह हादसा हुआ।
मौके पर पहुंची पुलिस और प्रशासन
घटना की सूचना मिलते ही बख्तियारपुर थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बाढ़ अनुमंडल अस्पताल भेजा गया। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और बिजली विभाग की भूमिका की भी समीक्षा की जा रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और सांत्वना
घटना की जानकारी मिलते ही पूर्व विधायक रणविजय सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया पीड़ित परिवार के घर पहुंचे। उन्होंने शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी और सरकार से मुआवजे की मांग की। साथ ही उन्होंने बिजली विभाग की लापरवाही के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी उठाई। यह हादसा केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं बल्कि सिस्टम की लापरवाही की एक और मिसाल है। अगर समय रहते बिजली विभाग सक्रियता दिखाता, तो दो जिंदगियां बच सकती थीं। यह घटना सरकार और प्रशासन के लिए चेतावनी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था की निगरानी और सुरक्षा के उपायों को और अधिक सख्त और संवेदनशील बनाया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह के हादसे दोबारा न हों।

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