December 9, 2025

पप्पू यादव का बड़ा हमला, कहा- तेजस्वी की गलत नीतियों के कारण हुई बिहार में इंडिया गठबंधन की दुर्गति

पटना। पूर्णिया के नवनिर्वाचित सांसद पप्पू यादव ने बिहार में इंडिया गठबंधन की हार का जिम्मा आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर डाला है। पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव के अहंकार और गलत नीतियों के कारण ही बिहार में इंडिया गठबंधन की दुर्गति हुई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किस वजह से राहुल गांधी प्रधानमंत्री नहीं बन सके। पप्पू यादव ने कहा कि उन्होंने पहले ही भविष्यवाणी की थी कि 230 से अधिक सीटें नहीं आएंगी। अगर बिहार के युवराज यानी तेजस्वी यादव के भीतर अहंकार नहीं होता तो बिहार में इंडिया गठबंधन को 25 सीटें मिल सकती थीं। तेजस्वी के अहंकार के कारण ही बिहार की यह स्थिति हो गई है। पप्पू यादव ने कहा, “अगर आप मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं, तो दिल भी बड़ा होना चाहिए। एक व्यक्ति के कारण इतनी सीटें हार गए। जिन सीटों पर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार की जीत हो रही थी, वह सीटें भी हम हार गए। आपने सीवान में भी वही किया। बेगूसराय में अगर कन्हैया कुमार को टिकट दिए होते तो शायद वह वहां से जीत गए होते। जहां भी एनडीए के लोगों की जीत हुई है, वहां देख लीजिए वोटों का अंतर कितना कम है। पप्पू यादव ने यह भी कहा कि बिहार और दिल्ली के कारण राहुल गांधी प्रधानमंत्री नहीं बन पाए। सिर्फ बिहार और दिल्ली के कारण वह पीएम बनते-बनते रह गए। नहीं तो आज राहुल ही प्रधानमंत्री होते। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पीएम मोदी के पैर छूने पर पप्पू यादव ने कहा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। पप्पू यादव का बयान बिहार की राजनीति में हलचल मचाने वाला है। उनके आरोपों ने तेजस्वी यादव और इंडिया गठबंधन के भीतर की खींचतान को उजागर कर दिया है। पप्पू यादव ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि अगर तेजस्वी यादव ने अहंकार छोड़कर सही निर्णय लिए होते, तो परिणाम अलग हो सकते थे। उनके इस बयान से बिहार की राजनीति में नई बहस शुरू हो गई है और आने वाले दिनों में इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है। बिहार में इंडिया गठबंधन की हार के बाद पप्पू यादव का यह बयान दर्शाता है कि गठबंधन के भीतर मतभेद और रणनीतिक गलतियां थीं, जिन्होंने अंततः चुनाव परिणामों को प्रभावित किया। पप्पू यादव का यह आरोप तेजस्वी यादव के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है और उन्हें अपनी नीतियों और निर्णयों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है।

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