December 23, 2025

बिहार में मशरूम की खेती के लिए किसानों को मिलेगी सस्ती बिजली, 55 पैसे प्रति यूनिट का होगा खर्च

पटना। बिहार सरकार ने राज्य के किसानों के हित में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार ने मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बिजली दरों में बड़ी राहत देने का फैसला किया है। इस फैसले के तहत अब मशरूम उत्पादक किसानों को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। इससे न केवल किसानों की लागत कम होगी, बल्कि उन्हें अपनी आमदनी बढ़ाने का भी अवसर मिलेगा।
अब तक कैसी थी बिजली व्यवस्था
अब तक मशरूम की खेती करने वाले किसानों को बिजली के मामले में व्यवसायिक श्रेणी में रखा गया था। इस वजह से उन्हें अपेक्षाकृत अधिक दरों पर बिजली का भुगतान करना पड़ता था। ग्रामीण क्षेत्रों में 100 यूनिट तक बिजली खपत पर किसानों से 3.35 रुपये प्रति यूनिट और 100 यूनिट से अधिक खपत पर 4.21 रुपये प्रति यूनिट वसूले जाते थे। वहीं शहरी क्षेत्रों में स्थिति और भी महंगी थी, जहां पांच किलोवाट तक के कनेक्शन पर 5.67 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिल लिया जाता था।
शहरी इलाकों में किसानों पर अतिरिक्त बोझ
शहरी क्षेत्रों में पांच से 70 किलोवाट तक के कनेक्शन वाले मशरूम उत्पादक किसानों को 100 यूनिट तक 5.67 रुपये प्रति यूनिट और इससे अधिक खपत पर 6.44 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना पड़ता था। इस व्यवस्था के कारण कई किसान मशरूम की खेती को आगे बढ़ाने में हिचकिचाते थे, क्योंकि बिजली लागत उनकी कुल उत्पादन लागत का बड़ा हिस्सा बन जाती थी।
55 पैसे प्रति यूनिट का प्रस्ताव
अब इस स्थिति को बदलने के लिए विद्युत कंपनी ने बिहार विद्युत विनियामक आयोग को एक नया प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव के अनुसार मशरूम उत्पादक किसानों को सामान्य किसानों की श्रेणी में शामिल किया जाएगा। इसके बाद उन्हें मात्र 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलेगी। आयोग से मंजूरी मिलने के बाद यह नई व्यवस्था आगामी एक अप्रैल से लागू होने की संभावना है।
किसानों को मिलने वाला सीधा लाभ
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है तो मशरूम उत्पादक किसानों को मौजूदा दरों की तुलना में कई गुना सस्ती बिजली मिलेगी। इससे उनकी उत्पादन लागत में बड़ी कमी आएगी। मशरूम की खेती में तापमान नियंत्रण, नमी बनाए रखने और वेंटिलेशन के लिए लगातार बिजली की जरूरत होती है। ऐसे में सस्ती बिजली मिलने से किसानों को सीधा आर्थिक लाभ होगा।
मशरूम खेती के प्रति बढ़ेगा रुझान
बिजली सस्ती होने से अधिक किसान मशरूम की खेती की ओर आकर्षित होंगे। खासकर छोटे और सीमांत किसान, जो अब तक ज्यादा लागत के डर से इस खेती में कदम नहीं उठा पा रहे थे, उन्हें आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। इससे राज्य में मशरूम उत्पादन का दायरा और विस्तृत होगा।
बिहार की बढ़ती पहचान
गौरतलब है कि बिहार पहले से ही मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में अपनी मजबूत पहचान बना चुका है। राज्य अब देश के अग्रणी मशरूम उत्पादक राज्यों में शामिल हो गया है। राष्ट्रीय स्तर पर मशरूम उत्पादन में बिहार का योगदान लगभग 11 प्रतिशत है। इस मामले में बिहार ने ओडिशा को पीछे छोड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया है, जो राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
सरकार की सब्सिडी योजनाएं
राज्य सरकार मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पहले से ही कई योजनाएं चला रही है। मशरूम उत्पादन से जुड़े उपकरण, शेड निर्माण और अन्य आवश्यक संसाधनों पर सरकार 90 प्रतिशत तक सब्सिडी दे रही है। इससे ग्रामीण इलाकों में खासकर महिलाओं और युवाओं को स्वरोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती
मशरूम की खेती कम जगह और कम समय में अच्छा मुनाफा देने वाली कृषि गतिविधि मानी जाती है। सस्ती बिजली और सरकारी सब्सिडी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इससे किसानों की आय बढ़ेगी और पलायन जैसी समस्याओं पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
महिला और युवा सशक्तिकरण
बिहार में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से बड़ी संख्या में महिलाएं मशरूम की खेती से जुड़ी हुई हैं। बिजली दरों में राहत मिलने से इन समूहों को भी बड़ा लाभ होगा। इससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और वे आत्मनिर्भर बन सकेंगी। साथ ही युवा वर्ग के लिए भी यह खेती एक आकर्षक व्यवसाय बन सकती है।
भविष्य की संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह योजना सफलतापूर्वक लागू होती है तो बिहार मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में और आगे बढ़ सकता है। इससे न केवल राज्य की कृषि आधारित आय में इजाफा होगा, बल्कि निर्यात की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। सस्ती बिजली जैसी सुविधाएं किसानों को आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए भी प्रेरित करेंगी। मशरूम उत्पादक किसानों को 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली उपलब्ध कराने का निर्णय एक दूरदर्शी कदम है। इससे किसानों की लागत घटेगी, उत्पादन बढ़ेगा और उनकी आय में सुधार होगा। साथ ही यह पहल बिहार को कृषि नवाचार और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में एक नई दिशा देने वाली साबित हो सकती है।

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