September 13, 2025

पटना में ब्रिटानिया फैक्ट्री के मजदूरों का विरोध प्रदर्शन, समय पर वेतन नहीं मिलने पर किया हंगामा, खूब काटा बवाल

बिहटा। पटना जिले के बिहटा स्थित सिकंदरपुर औद्योगिक क्षेत्र की ब्रिटानिया फैक्ट्री में सोमवार को अचानक काम ठप हो गया जब सैकड़ों मजदूरों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। मजदूरों का आरोप है कि उन्हें समय पर वेतन नहीं मिल रहा है और कंपनी द्वारा की गई वादाखिलाफी से वे परेशान हैं। फैक्ट्री के बाहर जमकर नारेबाजी हुई और मजदूरों ने मुख्य गेट को घेर कर प्रदर्शन किया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
18 महीने से काम कर रहे मजदूरों की नाराजगी
मजदूर भानु प्रताप सिंह ने बताया कि वे और उनके साथी मजदूर पिछले 18 महीनों से इस फैक्ट्री में काम कर रहे हैं। इन मजदूरों में अधिकतर बिहार के अलग-अलग जिलों से आए लोग हैं, जो यहां मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। कंपनी ने उन्हें हर साल 10% वेतन वृद्धि देने का वादा किया था, लेकिन अब तक न वेतन बढ़ा और न ही अन्य वादे पूरे हुए।
खाने की खराब गुणवत्ता और अन्य सुविधाओं की कमी
मजदूरों की शिकायत केवल वेतन तक सीमित नहीं है। उनका कहना है कि फैक्ट्री की कैंटीन में परोसा जाने वाला भोजन खराब गुणवत्ता का होता है। खाने के साथ-साथ पीने का साफ पानी, बैठने की जगह, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी ठीक से उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। कई बार शिकायत करने के बावजूद फैक्ट्री प्रबंधन ने इन समस्याओं की अनदेखी की है।
पहले भी हुआ था प्रदर्शन, नहीं मिली कोई राहत
मजदूरों ने यह भी बताया कि कुछ महीने पहले भी उन्होंने इन्हीं मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया था। तब प्रबंधन ने आश्वासन दिया था कि जल्द समस्याओं का समाधान किया जाएगा। लेकिन हकीकत यह है कि अब तक कोई सुधार नहीं हुआ, बल्कि स्थिति और खराब होती जा रही है। इस कारण मजदूरों का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने फिर से हड़ताल करने का फैसला लिया।
शोषण और असंतोष का बढ़ता स्तर
मजदूर प्रीतेश कुमार ने कहा कि करीब दो साल पहले शुरू हुई यह फैक्ट्री शुरू में ठीक चल रही थी। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, कंपनी के अधिकारियों का रवैया बदल गया। अब मजदूरों को समय पर वेतन नहीं मिलता और उनका शोषण किया जा रहा है। उनका कहना है कि जब मजदूरों की बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं होंगी तो काम करने की इच्छा भी खत्म हो जाएगी।
प्रशासन की मौजूदगी और आगे की चेतावनी
स्थिति को बिगड़ता देख स्थानीय पुलिस को मौके पर बुलाया गया। पुलिस ने मजदूरों से बात कर शांत रहने की अपील की और फैक्ट्री प्रबंधन से बातचीत करने की कोशिश की। हालांकि मजदूरों ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर जल्द उनकी समस्याओं का हल नहीं निकाला गया तो वे फैक्ट्री छोड़ देंगे और राज्यस्तरीय आंदोलन करेंगे।
जरूरत है संवाद और समाधान की
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि औद्योगिक इकाइयों में मजदूरों की स्थिति कितनी चिंताजनक है। यदि कोई प्रतिष्ठित कंपनी भी अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन और न्यूनतम सुविधाएं नहीं दे पा रही है तो यह नीति और नियमन की विफलता को दर्शाता है। प्रशासन और श्रम विभाग को इस मामले में जल्द हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि समस्या का शांतिपूर्ण समाधान निकले और मजदूरों को उनका हक मिल सके।

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