देहरादून में बिहार के इंजीनियरिंग छात्र ने की आत्महत्या, कमरे में फांसी लगाकर दी जान

जमुई/पटना। देहरादून से एक दुखद खबर सामने आई है, जहां बिहार के जमुई जिले का रहने वाला एक बीटेक का छात्र आशीष कुमार अपने होस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया। यह घटना न केवल मृतक के परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र में गहरे सदमे और सवालों के घेरे में है।
आशीष कुमार की पहचान और पृष्ठभूमि
मृतक छात्र की पहचान जमुई जिले के सोनो थाना क्षेत्र के भीठरा गांव निवासी 20 वर्षीय आशीष कुमार के रूप में की गई है। वह देहरादून के एक संस्थान में बीटेक की पढ़ाई कर रहा था और अपने चचेरे भाई अजय कुमार के साथ रह रहा था। आशीष एक होनहार छात्र माना जाता था और पढ़ाई में काफी तेज था।
घटना की जानकारी और परिस्थितियां
घटना वाले दिन आशीष ने अपने भाई से यह कहकर इंस्टीट्यूट नहीं जाने की बात कही कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है। उसका चचेरा भाई अजय संस्थान चला गया और जब वह वापस आया तो उसने कमरे में आशीष को फंदे से लटका पाया। यह दृश्य देखकर अजय सन्न रह गया और तुरंत लोगों को जानकारी दी गई। पुलिस को भी सूचना दी गई और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
परिवार ने जताई आत्महत्या पर शंका
आशीष के पिता नंदकिशोर यादव ने बताया कि दो दिन पहले ही आशीष से फोन पर बात हुई थी और वह बिल्कुल सामान्य और खुश नजर आ रहा था। उन्होंने आत्महत्या की बात पर संदेह जताया है और मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यह घटना समझ से परे है, क्योंकि आशीष ना केवल पढ़ाई में अच्छा था बल्कि उसका व्यवहार भी बिल्कुल सामान्य था।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और परिवार की मदद
सोनो थाना के थानाध्यक्ष ने बताया कि चूंकि यह घटना उत्तराखंड के देहरादून में हुई है, इसलिए वहां की पुलिस मामले की जांच कर रही है। हालांकि जिला प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवार को हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया गया है। घटना की जानकारी मिलते ही मृतक के परिजन देहरादून के लिए रवाना हो गए हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर उठते सवाल
इस प्रकार की घटनाएं फिर से यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि युवाओं में मानसिक दबाव और अवसाद कितनी गंभीर समस्या बनती जा रही है। आज के प्रतिस्पर्धी माहौल में कई बार छात्र अकेलेपन, तनाव और पढ़ाई के दबाव से जूझते हैं, जो उनकी मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। हालांकि इस मामले में आत्महत्या का कारण अभी स्पष्ट नहीं हुआ है, फिर भी यह ज़रूरी हो जाता है कि छात्रों की मानसिक सेहत पर विशेष ध्यान दिया जाए। आशीष की मौत ने न केवल उसके परिवार को बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। एक उज्ज्वल भविष्य वाला छात्र अचानक इस प्रकार दुनिया को अलविदा कह देगा, यह किसी ने सोचा भी नहीं था। यह घटना एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर करती है कि युवाओं की भावनात्मक और मानसिक स्थिति पर नियमित ध्यान देना कितना जरूरी है। अब परिवार को सिर्फ न्याय की उम्मीद है और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है।
