November 1, 2025

हजारीबाग में पुलिस और नक्सलियों में मुठभेड़, मारे गए 3 इनामी नक्सली, 2 जवान घायल, हथियार बरामद

हजारीबाग। झारखंड का हजारीबाग जिला लंबे समय से नक्सल गतिविधियों का गढ़ माना जाता रहा है। सोमवार को यहां पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ ने एक बार फिर इस समस्या की गंभीरता को सामने ला दिया। गोरहर थाना क्षेत्र के पाती पिरी जंगल में हुई इस मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने तीन कुख्यात और इनामी नक्सलियों को मार गिराया। इनमें से एक नक्सली पर तो एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित था।
मुठभेड़ का घटनाक्रम
मिली जानकारी के अनुसार, कोबरा 209 बटालियन और हजारीबाग पुलिस की संयुक्त टीम को इलाके में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी। सूचना के आधार पर टीम ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया। पाती पिरी जंगल में प्रवेश करते ही नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला और घंटों चली मुठभेड़ के बाद तीन नक्सलियों को ढेर कर दिया। इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों के दो जवान भी घायल हुए। घायल जवानों में अजय भौमिक, जो असम के रहने वाले हैं, और सुब्रतो विश्वास, जो पश्चिम बंगाल के निवासी हैं, शामिल हैं। दोनों को पहले बरही अनुमंडलीय अस्पताल ले जाया गया और बाद में बेहतर इलाज के लिए हजारीबाग सदर अस्पताल रेफर किया गया।
मारे गए नक्सलियों की पहचान
पुलिस ने मारे गए नक्सलियों की पहचान कर ली है। इनमें सबसे बड़ा नाम सहदेव सोरेन उर्फ परवेश का है। वह नक्सली संगठन की केंद्रीय समिति का सदस्य था और उस पर एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित था। सुरक्षा एजेंसियां लंबे समय से उसकी तलाश कर रही थीं। दूसरा नक्सली रघुनाथ हेंब्रम था, जो बिहार-झारखंड विशेष क्षेत्र समिति का सदस्य था। उस पर 25 लाख रुपए का इनाम घोषित था। तीसरा नक्सली बीरसेन गंझू उर्फ रामखेलावन था, जो क्षेत्रीय समिति में सक्रिय था और उस पर 10 लाख रुपए का इनाम रखा गया था। तीनों नक्सली झारखंड और बिहार की सीमावर्ती इलाकों में लंबे समय से सक्रिय थे और कई बड़ी घटनाओं में शामिल रहे थे।
बरामद हुए हथियार
मुठभेड़ के बाद पुलिस ने घटनास्थल से भारी मात्रा में हथियार बरामद किए। इनमें एके-47 रायफल और अन्य घातक हथियार शामिल हैं। हथियारों की बरामदगी से यह साफ हो गया कि नक्सली किसी बड़ी वारदात की योजना बना रहे थे। लेकिन सुरक्षाबलों की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई ने उनकी योजना पर पानी फेर दिया।
सुरक्षा बलों के लिए बड़ी उपलब्धि
हजारीबाग के एसपी अंजनी अंजन ने इस घटना की पुष्टि की और इसे सुरक्षा बलों के लिए बड़ी सफलता बताया। उन्होंने कहा कि इनामी नक्सलियों का मारा जाना संगठन के लिए करारा झटका है। इससे नक्सलियों की हौसले पस्त होंगे और आने वाले दिनों में पुलिस की पकड़ और मजबूत होगी। यह कार्रवाई यह भी दर्शाती है कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियां नक्सलवाद के खिलाफ कितनी गंभीर हैं। इस तरह की सफलताओं से जहां स्थानीय लोगों का भरोसा बढ़ता है, वहीं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाल करने की दिशा में भी एक ठोस कदम माना जा रहा है।
नक्सल गतिविधियों पर असर
तीनों नक्सलियों की मौत से संगठन की गतिविधियों पर बड़ा असर पड़ने की संभावना है। सहदेव सोरेन जैसे कुख्यात नक्सली का मारा जाना न केवल झारखंड बल्कि बिहार और अन्य राज्यों के नक्सलियों के लिए भी बड़ा झटका है। इनकी सक्रियता ने बीते वर्षों में कई निर्दोष लोगों की जान ली थी और सुरक्षा बलों को भी लगातार चुनौती दी थी। अब जबकि संगठन के शीर्ष स्तर के नेता और सक्रिय सदस्य मारे गए हैं, यह उम्मीद की जा रही है कि नक्सलियों का नेटवर्क कमजोर होगा। पुलिस और अर्धसैनिक बल इस मौके का फायदा उठाकर और भी सर्च ऑपरेशन तेज कर सकते हैं।
स्थानीय स्तर पर प्रतिक्रिया
इलाके के ग्रामीणों ने भी इस मुठभेड़ पर राहत की सांस ली है। उनका कहना है कि नक्सलियों की मौजूदगी से वे हमेशा भयभीत रहते थे। फसल, मजदूरी और रोजमर्रा के जीवन पर नक्सलियों का दबाव बना रहता था। पुलिस की इस कार्रवाई से उन्हें यह विश्वास मिला है कि अब धीरे-धीरे इलाके में शांति बहाल हो सकेगी। हजारीबाग में हुई यह मुठभेड़ नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता मानी जाएगी। तीन कुख्यात और इनामी नक्सलियों का खात्मा सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और समर्पण को दर्शाता है। हालांकि नक्सल समस्या अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, लेकिन इस तरह की कार्रवाई से यह साफ है कि नक्सलवाद की जड़ें कमजोर हो रही हैं। आने वाले समय में अगर सुरक्षा बल इसी तरह सक्रियता दिखाते रहे तो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति और विकास की राह खुल सकती है।

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