बिहार के विभिन्न जिलों में शिक्षा सेवकों की होगी बहाली, 30 जून तक 2206 रिक्त पदों पर चयन प्रक्रिया

पटना। बिहार सरकार ने राज्य के विभिन्न जिलों में शिक्षा सेवकों की बहाली की प्रक्रिया को गति देने का निर्णय लिया है। यह बहाली खास तौर पर उन क्षेत्रों में की जा रही है, जहां महादलित, दलित, अल्पसंख्यक और अतिपिछड़ा वर्ग की साक्षरता दर काफी कम है। इस बहाली का मकसद अक्षर आंचल योजना को प्रभावी ढंग से लागू करना और समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना है।
2206 पदों पर होगी बहाली
शिक्षा विभाग के अनुसार राज्यभर में शिक्षा सेवकों के कुल 2206 पद रिक्त हैं। इन पदों को भरने के लिए विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। बहाली की प्रक्रिया 30 जून 2024 तक पूरी कर लेने का लक्ष्य तय किया गया है। जिन जिलों में सर्वेक्षण का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है, वहां 15 जून तक चयन प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया है।
धीमी प्रक्रिया पर जताई गई नाराजगी
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि जून महीने की शुरुआत में ही जिलों को रिक्त पदों की बहाली को लेकर रिमाइंडर भेजा गया था, लेकिन उसके बावजूद अब तक कई जिलों में चयन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। इसको लेकर विभाग ने नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि अब किसी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सभी जिलों को मिले निर्देश
इस संबंध में विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर निर्देश दिए हैं कि चयन प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। उन्होंने कहा है कि जिन जिलों में अभी तक सर्वेक्षण कार्य पूरा नहीं हुआ है, वहां भी 30 जून तक यह कार्य पूरा कर चयन प्रक्रिया संपन्न कर ली जाए।
शिक्षा सेवकों की भूमिका
शिक्षा सेवक मुख्य रूप से उन समुदायों में शिक्षा को बढ़ावा देने का काम करते हैं, जो सामाजिक रूप से पिछड़े हुए हैं। वे गैर-औपचारिक शिक्षा केंद्रों में बच्चों और वयस्कों को पढ़ाते हैं, जिससे साक्षरता दर में सुधार होता है। शिक्षा सेवकों की बहाली से ना केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि समाज के वंचित तबकों को शिक्षित करने की दिशा में एक मजबूत कदम भी साबित होगा।
सरकार की प्राथमिकता
राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार लाने की दिशा में प्रयासरत है। शिक्षा सेवकों की बहाली से यह संकेत मिलता है कि सरकार समाज के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा पहुंचाने के लिए गंभीर है। आने वाले समय में इन सेवकों की भूमिका ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में शिक्षा के प्रचार-प्रसार में अहम होगी।
