September 16, 2025

युवराज सिंह और रॉबिन उथप्पा को ईडी का समन जारी, ऑनलाइन बेटिंग ऐप मामले में पूछताछ के लिए बुलाया

नई दिल्ली। भारत में ऑनलाइन सट्टेबाजी और उससे जुड़े वित्तीय घोटालों पर पिछले कुछ समय से एजेंसियों की नजर बनी हुई है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी इस दिशा में लगातार कार्रवाई कर रहा है। इसी कड़ी में एजेंसी ने अब भारतीय क्रिकेट के दो बड़े नामों युवराज सिंह और रॉबिन उथप्पा को पूछताछ के लिए समन जारी किया है। यह मामला चर्चित ऑनलाइन बेटिंग प्लेटफॉर्म 1xबेट से जुड़ा हुआ है, जिसकी गतिविधियों की जांच धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत की जा रही है।
युवराज सिंह और रॉबिन उथप्पा को तलब
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ईडी ने पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा को 22 सितंबर और विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रह चुके युवराज सिंह को 23 सितंबर को दिल्ली स्थित मुख्यालय में पेश होने का आदेश दिया है। उनसे पूछताछ का उद्देश्य यह जानना है कि क्या वे इस प्लेटफॉर्म से सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े थे और किस रूप में इसका प्रचार-प्रसार किया गया।
पहले भी हो चुकी है क्रिकेटरों से पूछताछ
यह पहला मौका नहीं है जब किसी क्रिकेटर का नाम इस जांच में आया हो। इससे पहले भी ईडी ने इसी प्रकरण में भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी सुरेश रैना और शिखर धवन से पूछताछ की थी। इन क्रिकेटरों से यह जानने की कोशिश की गई थी कि क्या उन्होंने किसी तरह से इस प्लेटफॉर्म को प्रमोट किया या इसके साथ किसी व्यावसायिक समझौते में शामिल रहे। एजेंसी का मानना है कि इस तरह के ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म अवैध रूप से धन का लेनदेन करते हैं, जो मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा हो सकता है।
1xबेट और विवादों का सिलसिला
1xबेट एक ऐसा ऑनलाइन बेटिंग ऐप है जिसने भारत सहित कई देशों में तेजी से लोकप्रियता हासिल की। लेकिन इसके संचालन को लेकर कई बार सवाल उठे हैं। यह प्लेटफॉर्म कथित तौर पर क्रिकेट और अन्य खेलों में सट्टेबाजी को बढ़ावा देता है, जो भारतीय कानूनों के खिलाफ है। यही कारण है कि प्रवर्तन निदेशालय ने इस पर शिकंजा कसना शुरू किया है। एजेंसी यह जांच कर रही है कि इस ऐप के जरिए कितनी बड़ी रकम विदेशों में भेजी गई और इसमें कौन-कौन शामिल रहा।
ईडी की सख्त कार्रवाई
ईडी ने हाल के दिनों में इस मामले में अपनी जांच और तेज कर दी है। एजेंसी का मानना है कि इस तरह के अवैध प्लेटफॉर्म न केवल खेल की छवि को धूमिल करते हैं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। खिलाड़ियों और मशहूर हस्तियों द्वारा किए गए प्रचार के कारण आम जनता इन ऐप्स की ओर आकर्षित होती है और यह नेटवर्क और मजबूत होता जाता है।
क्रिकेटरों पर उठ रहे सवाल
युवराज सिंह और रॉबिन उथप्पा जैसे नामचीन क्रिकेटरों को समन जारी होने के बाद यह बहस तेज हो गई है कि क्या खिलाड़ियों को ऐसे प्लेटफॉर्म के साथ किसी भी तरह का जुड़ाव रखना चाहिए। चूंकि क्रिकेट भारत में केवल एक खेल नहीं बल्कि करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है, ऐसे में जब खिलाड़ी इस तरह की कंपनियों से जुड़ते हैं तो इसका असर सीधे तौर पर आम लोगों पर पड़ता है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस मामले ने खेल जगत के साथ-साथ राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भी चर्चा पैदा कर दी है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि यदि खिलाड़ी अनजाने में भी ऐसे प्लेटफॉर्म का प्रचार करते हैं तो उन्हें सतर्क रहना चाहिए। वहीं, राजनीतिक स्तर पर विपक्ष ने सरकार से सवाल उठाए हैं कि आखिर ऐसे प्लेटफॉर्म को भारत में काम करने की अनुमति कैसे मिल जाती है, जबकि कानूनन यह प्रतिबंधित है।
पूछताछ के संभावित पहलू
ईडी की पूछताछ का फोकस मुख्य रूप से खिलाड़ियों और कंपनी के बीच हुए समझौते, भुगतान के स्रोत और धन के प्रवाह पर होगा। एजेंसी यह जानना चाहती है कि क्या खिलाड़ियों को किसी अवैध स्रोत से भुगतान किया गया और क्या इस पैसे को विदेशों में भेजने की कोशिश हुई। साथ ही, यह भी देखा जाएगा कि क्या खिलाड़ियों को जानकारी थी कि वे जिस प्लेटफॉर्म का प्रचार कर रहे हैं वह अवैध गतिविधियों में लिप्त है।
आगे की कार्रवाई
हालांकि अभी तक युवराज सिंह और रॉबिन उथप्पा की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह तय है कि ईडी की पूछताछ के बाद इस मामले में कई अहम खुलासे हो सकते हैं। एजेंसी अगर ठोस सबूत जुटा पाती है तो आगे की कार्रवाई में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं। ऑनलाइन बेटिंग ऐप से जुड़ा यह मामला केवल अवैध सट्टेबाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय अपराधों का बड़ा जाल हो सकता है। युवराज सिंह और रॉबिन उथप्पा जैसे खिलाड़ियों को समन भेजे जाने के बाद यह मामला और गंभीर हो गया है। आने वाले दिनों में पूछताछ और जांच के बाद तस्वीर साफ होगी कि इन खिलाड़ियों की भूमिका क्या रही और क्या वे अनजाने में इस नेटवर्क का हिस्सा बने या जानबूझकर इसमें शामिल हुए। यह मामला न केवल खेल जगत बल्कि समाज और शासन के लिए भी चेतावनी है कि लोकप्रियता और विश्वास के नाम पर अवैध गतिविधियों को छुपाया नहीं जा सकता।

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