November 23, 2025

झारखंड और पश्चिम बंगाल में ईडी की बड़ी कार्रवाई: 100 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों के घर एक साथ की छापेमारी

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को झारखंड और पश्चिम बंगाल में धनशोधन से जुड़े कोयला तस्करी नेटवर्क के खिलाफ एक बड़ी और समन्वित कार्रवाई को अंजाम दिया। यह छापेमारी सुबह छह बजे शुरू हुई और एक साथ दोनों राज्यों में 40 से अधिक ठिकानों को कवर किया गया। ईडी की टीमों को केंद्रीय सुरक्षा बलों का सहयोग मिला, जिससे कार्रवाई को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से पूरा किया जा सका।
छापेमारी का पैमाना
इस कार्रवाई में ईडी के करीब 100 अधिकारियों और कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। टीमें घरों, कार्यालयों, गोदामों, चेक पोस्टों और यहां तक कि टोल कलेक्शन बूथों तक पहुंच गईं। इससे स्पष्ट होता है कि एजेंसी की ओर से यह ऑपरेशन लंबे समय से तैयार किया गया था और इसका लक्ष्य कोयला चोरी एवं अवैध खनन से जुड़े पूरे नेटवर्क को पकड़ना था। पीएमएलए यानी धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत यह कार्रवाई की गई, जो बड़े वित्तीय अपराधों की जांच के लिए उपयोग किया जाता है।
झारखंड में 18 से अधिक ठिकानों पर छापा
झारखंड में ईडी टीमों ने करीब 18 परिसरों पर छापेमारी की। यहां की कार्रवाई मुख्य रूप से उन व्यक्तियों और कारोबारी समूहों पर केंद्रित रही जो कोयला चोरी, कोयला तस्करी और सरकारी खदानों से कोयले की हेराफेरी जैसे मामलों में कथित रूप से शामिल रहे हैं। सूत्रों की मानें तो जिन प्रमुख नामों से जुड़े परिसरों पर छापेमारी हुई, उनमें अनिल गोयल, संजय उद्योग से जुड़े कारोबारी, एलबी सिंह, अमर मंडल और अन्य शामिल हैं। इन पर आरोप है कि इन लोगों ने कोयले की अवैध निकासी और तस्करी के जरिए बड़े पैमाने पर काला धन कमाया और सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया।
पश्चिम बंगाल में 24 से अधिक ठिकानों पर तलाशी
पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर, पुरुलिया, हुगली और कोलकाता जिलों में एक साथ करीब 24 जगहों पर छापेमारी की गई। इस राज्य में ईडी की जांच उन लोगों के खिलाफ चल रही है जो कोयले के अवैध खनन, बिचौलगी, परिवहन और भंडारण में सक्रिय बताए जा रहे हैं। जिन प्रमुख नामों पर कार्रवाई हुई, उनमें नरेंद्र खड़का, युधिष्ठिर घोष, कृष्णा मुरारी कयाल, चिन्मयी मंडल और राजकुशोर यादव शामिल हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने कोयले की आपूर्ति और परिवहन में हेराफेरी कर करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की।
नकदी और सोने के आभूषण बरामद
छापेमारी के दौरान विभिन्न स्थानों से ईडी ने नकदी और सोने के आभूषण भी जब्त किए। अनेक परिसरों से दस्तावेज, कंप्यूटर हार्ड डिस्क, मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त किए गए हैं, जिनका विश्लेषण आगे की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। धनशोधन के इन मामलों में वित्तीय लेन-देन की गहराई से जांच होनी है, और यह कार्रवाई उस दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
सरकार को हुआ करोड़ों का नुकसान
जांच एजेंसियों के अनुसार, कोयले की चोरी और तस्करी से सरकारी खजाने को प्रत्येक वर्ष सैकड़ों करोड़ रुपये की क्षति होती है। यह तस्करी न केवल आर्थिक अपराध है बल्कि इससे प्रशासनिक भ्रष्टाचार, अवैध गतिविधियों और अपराध जगत को भी ताकत मिलती है। अधिकारियों का कहना है कि जिन ठिकानों को कवर किया गया है, वे सभी इस व्यापक नेटवर्क का हिस्सा हैं, जो सरकारी खदानों से कोयले की अवैध निकासी और ब्लैक मार्केट में उसकी बिक्री में संलिप्त हैं।
कोयला माफिया का प्रभाव क्षेत्र
झारखंड और पश्चिम बंगाल दोनों ही खनन संपन्न राज्य हैं और यहां अवैध खनन वर्षों से एक गंभीर समस्या रही है। कोयला माफिया स्थानीय स्तर पर राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव का इस्तेमाल कर अक्सर कानून व्यवस्था को चुनौती देते आए हैं। अवैध खनन से न केवल पर्यावरण को क्षति पहुंचती है बल्कि इससे जुड़े तस्कर बड़े पैमाने पर काला पैसा भी उत्पन्न करते हैं, जिसका इस्तेमाल जमीन खरीदने, अपराध गतिविधियों और धनशोधन के लिए किया जाता है।
ईडी की सख्त कार्रवाई का उद्देश्य
इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य अवैध कोयला कारोबार की जड़ों तक पहुंचना और इस नेटवर्क के प्रमुख संचालकों को कानून के दायरे में लाना है। ईडी पहले ही कई मामलों में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है और कई बार छापेमारी कर लाखों-करोड़ों रुपये की संपत्ति संलग्न कर चुकी है। यह हालिया कार्रवाई इस व्यापक अभियान का ही हिस्सा है, जिसका लक्ष्य इस संगठित अपराध को समाप्त करना है।
आगे की प्रक्रिया
छापेमारी के बाद जिन सामग्रियों को जब्त किया गया है, उनकी जांच के बाद कई और बड़े खुलासे होने की संभावना है। ईडी आगे पूछताछ के लिए कई लोगों को तलब कर सकती है और जिन पर गंभीर संदेह है, उनके खिलाफ गिरफ्तारी की कार्रवाई भी संभव है। अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान आगे भी जारी रहेगा, क्योंकि अवैध खनन और धनशोधन का यह नेटवर्क काफी बड़ा और गहराई तक फैला हुआ है। झारखंड और पश्चिम बंगाल में ईडी की इस संयुक्त छापेमारी ने कोयला माफिया के फैलते जाल को एक बार फिर उजागर कर दिया है। अवैध खनन और तस्करी से सरकारी खजाने को हो रहे भारी नुकसान को रोकने के लिए यह कार्रवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है। आने वाले समय में जांच के आगे बढ़ने के साथ इस मामले में कई और खुलासे होने की संभावना है, जो इस पूरे नेटवर्क की वास्तविक गहराई को सामने लाएंगे।

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