बिहार का आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 सदन में पेश : सकल राज्य घरेलू उत्पाद मात्र 2.5 प्रतिशत बढ़ा, प्रति व्यक्ति आय 50,555 रूपये

  • उपमुख्यमंत्री-सह-वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण

पटना। बिहार विधानमंडल का बजट सत्र शुक्रवार से शुरू हो गया। सत्र के पहले दिन बिहार के उपमुख्यमंत्री-सह-वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 को बिहार विधानसभा में पेश किया। वहीं आर्थिक सर्वेक्षण की प्रति बिहार विधान परिषद की पटल पर भी रखी गई। इसके पश्चात बिहार विधान परिषद के उप भवन के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान संवादाताओं को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार इस बार 16वां आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत कर रही है। सर्वेक्षण में 13 अध्याय हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के प्रभाव के कारण बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 2020-21 में मात्र 2.5 प्रतिशत बढ़ा, लेकिन यह प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। वर्तमान मूल्य पर बिहार की प्रति व्यक्ति आय 2020-21 में 50,555 रुपये थी जबकि भारत की 86,659 रुपये थी। गत पांच वर्षों में (2016-17 से 2020-21 तक) बिहार में प्राथमिक क्षेत्र 2.3, द्वितीयक क्षेत्र 4.8 और तृतीयक क्षेत्र सर्वाधिक 8.5 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा।
कुल व्यय गत वर्ष की 13.4 प्रतिशत बढ़ा
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक राज्य की वित्त व्यवस्था की बात है, तो कोविड-19 महामारी के कारण 2020-21 कठिनाइयों वाला वर्ष था। राज्य सरकार ने इस चुनौती का जवाब अपने वित्तीय संसाधनों के सर्वोत्तम संभव उपयोग के जरिए दिया। वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार का कुल व्यय गत वर्ष की अपेक्षा 13.4 प्रतिशत बढ़कर 1,65,696 करोड़ रुपये पहुंच गया। वहीं राज्य सरकार का अपने कर और करेतर स्रोतों से राजस्व 2019-20 के 33,858 करोड़ से बढ़कर 36,543 करोड़ रुपये हो गया।
मछली उत्पादन में हुए लगभग आत्मनिर्भर
उन्होंने कहा कि बिहार में कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्रों का लगातार विकास हुआ है। वर्ष 2019-20 में सकल शस्य क्षेत्र (जीसीए) 72.97 लाख हेक्टेयर था और फसल सघनता 1.44 प्रतिशत थी। गत पांच वर्षों में कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र 2.1 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा। उप क्षेत्रों के बीच पशुधन एवं मत्स्यपालन की वृद्धि दर क्रमश: 10 और 7 प्रतिशत रही है। वर्ष 2020-21 में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 17.95 लाख टन होने का अनुमान है। वर्ष 2020-21 में 6.83 लाख टन मछली का उत्पादन होने से राज्य मछली उत्पादन में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है। बिहार में दूध का कुल उत्पादन 2020-21 में 115.01 लाख टन था।


निवेश के 1918 प्रस्ताव प्राप्त मिले
उन्होंने कहा कि औद्योगिक निवेश आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने अनेक नीतिगत उपाय किए हैं और समर्पित संस्थानों की स्थापना की है। इन पहलकदमियों के कारण 2017 से 2021 के बीच राज्य को कुल 54,761 करोड़ रुपये निवेश के 1918 प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिसमें तीन सर्वाधिक आकर्षक उद्योग इथेनॉल, खाद्य प्रसंस्करण और नवीकरणीय ऊर्जा हैं। दिसंबर 2021 तक ईथेनॉल क्षेत्र में कुल 32,454 करोड़ रु. निवेश वाली 159 इकाइयों को प्रथम स्तर की अनापत्ति दी गई।
कुल 4.28 लाख मजदूर निबंधित
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने प्रमुख क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने और श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न योजनाओं की शुरूआत की है। 2016-17 से 2020-21 तक कुल मिलाकर 4.28 लाख मजदूर निबंधित हुए हैं। वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार ने 11.10 लाख निर्माण मजदूरों को कुल 538 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई है। इसके अलावा, विभिन्न आयोगों के जरिए भी राज्य सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग ने 2018 से 2020 तक के तीन वर्षों के अंदर पांच राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए हैं। गत दशक (2011-20) के दौरान देश में परिवहन, भंडारण एवं संचार क्षेत्र में सर्वाधिक 14.4 प्रतिशत वृद्धि दर बिहार में दर्ज हुई। यह सड़क एवं पुल क्षेत्र में गत 15 वर्षों के दौरान किए गए उच्च सार्वजनिक निवेश का परिणाम है।
ऊर्जा की प्रति व्यक्ति खपत 350 किवा आवर
उन्होंने कहा कि बिहार ने जिन क्षेत्रों में काफी प्रगति की है, उनमें से एक ऊर्जा क्षेत्र भी है। राज्य में ऊर्जा की प्रति व्यक्ति खपत 2014-15 के 203 किलोवाट आवर से बढ़कर 2020-21 में 350 किवा आवर हो गई है, जो छ: वर्षों में 72.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। चरम मांग की पूर्ति लगभग 109.5 प्रतिशत बढ़ी और 2014-15 के 2831 मेगावाट से 2020-21 में 5932 मेगावाट पहुंच गई। राज्य में बिजली की कुल खपत 2016-17 में 21.6 अरब यूनिट थी जो 2020-21 में बढ़कर 31.4 अरब यूनिट हो गई। इसका अर्थ चार वर्षों में 45 प्रतिशत से भी अधिक वृद्धि है। बिजली की बढ़ी मांग पूरी करने के लिए राज्य सरकार की 2023-24 तक विभिन्न स्रोतों से चरणबद्ध ढंग से 6607 मेगावाट अतिरिक्त क्षमता जोड़ने की योजना है।
51.0 लाख परिवारों को मिला रोजगार
उपमुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि अभी 12.72 लाख से भी अधिक स्वयं सहायता समूहों का बैंकों के साथ ऋण- संपर्क है और अभी तक 16,537 करोड़ रुपये की लेनदेन की गई है। वित्तीय समावेश योजना के तहत जीविका ने 11 लाख से भी अधिक स्वयं सेवा समूहों को कम खर्च में बीमा आच्छादन का संपर्क उपलब्ध कराया है। ग्रामीण परिवारों की आमदनी बढ़ाने के लिहाज से रोजगार पैदा करने के लिए मनरेगा का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन किया जा रहा है। रोजगार पाने वाले परिवारों की संख्या 2016-17 के 22.9 लाख से 132.2 प्रतिशत बढ़कर 2020-21 में 51.0 लाख हो गई। वहीं स्वच्छ गांव समृद्ध गांव एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य सभी गांवों में सौर प्रकाश व्यवस्था स्थापित करना है। इसका क्रियान्वयन 2000 करोड़ रुपये के व्यय से किया जा रहा है।
बैंकों की 270 नई शाखाएं शुरू
उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 में राज्य में बैंकों की 270 नई शाखाएं शुरू हुई। सर्वाधिक 115 शाखाएं एसबीआई द्वारा खोली गई और उसके बाद 92 निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों की 52 शाखाएं खुलीं। बिहार में ऋण जमा अनुपात 2019-20 के 36.1 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 41.2 प्रतिशत हो गया जबकि संपूर्ण भारत के स्तर पर यह 76.5 प्रतिशत से घटकर 71.7 प्रतिशत रह गया। राज्य में वार्षिक ऋण योजना का लक्ष्य 6.6 प्रतिशत बढ़कर 2020-21 में 54.500 करोड़ रु हो गया। बैंकों ने बिहार में 2020-21 में 2.51 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जो गत वर्ष से 51.0 प्रतिशत अधिक है। राज्य में सभी बैंकों की अनिष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) मार्च 2020 में कुल अग्रिम का 14.9 प्रतिशत थीं, जो मार्च 2021 में घटकर 11.8 प्रतिशत रह गई।
शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय आंकड़े से कम
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के कुल व्यय में सामाजिक सेवाओं पर व्यय का हिस्सा 2015-16 में 34.4 प्रतिशत था, जो 2020-21 में बढ़कर 44.0 प्रतिशत हो गया। यह 16.6 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्शाता है। इस व्यय से लाभान्वित होने वाले दो मुख्य क्षेत्र स्वास्थ्य और शिक्षा हैं। परिणामों पर गौर करें तो बिहार में शिशु मृत्यु दर 29 मृत्यु प्रति 1000 जीविक प्रसव है जो 30 के राष्ट्रीय आंकड़े से कम है। दिसंबर 2021 तक राज्य में 10 करोड़ से भी अधिक व्यक्तियों को टीके लगाए गए।
बच्चों पर समग्र व्यय बढ़ा
उन्होंने कहा कि गत सात वर्षों के दौरान बिहार में बाल विकास पर व्यय में लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2013-14 से 2019-20 के बीच बच्चों पर समग्र व्यय 22.7 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा है। राज्य की शैक्षिक अधिसंरचना के अंदर कार्यशील पेयजल सुविधा और शौचालयों का सभी प्रकार के विद्यालयों में 90 प्रतिशत से अधिक आच्छादन रहा है। विभिन्न हस्तक्षेपों के जरिए 2020-21 में राज्य में 6 से 13 वर्ष उम्र के कुल 1.12 लाख विद्यालय से बाहर हो गए बच्चों ( ओओओसी ) को मुख्य धारा में लाया गया। इनमें से 0.54 लाख लड़कियां थी और 0.58 लाख लड़के थे। ऐसे में विद्यालय से बाहर रहे बच्चों की संख्या 2019-20 में 1.44 लाख थी, जो 2020-21 में घटकर 1.12 रह गई। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जल-जीवन- हरियाली मिशन के तहत 2020-21 में लगभग 3.92 करोड़ पौधे लगाए गए और करीब 4436 हेक्टेयर वन क्षेत्र का मृदा और नमी संरक्षण कार्य के तहत उपचार किया गया। वर्ष 2020-21 में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का कुल व्यय 694 करोड़ रुपये था।

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