महागठबंधन के खराब प्रदर्शन पर बोली कांग्रेस, कहा- ईसीआई ने एसआईआर से खेल किया, जवाब देना होगा
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के रुझान और नतीजे सामने आने के बाद जहां एनडीए खेमे में उत्साह दिख रहा है, वहीं महागठबंधन की ओर से निराशा और असंतोष जाहिर किया जा रहा है। खासतौर पर कांग्रेस ने अपने कमजोर प्रदर्शन के लिए चुनाव प्रक्रिया की कुछ तकनीकी व्यवस्थाओं को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि चुनाव आयोग द्वारा किए गए विशेष मतदाता पुनरीक्षण यानी एसआईआर ने इस चुनाव में बड़ा असर डाला है और परिणामों को प्रभावित किया है।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस नेता उदित राज ने चुनाव नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह जीत वास्तव में भाजपा या एनडीए की नहीं है, बल्कि यह एसआईआर की जीत है। उनका तर्क है कि मतदाता सूची में गड़बड़ियों के कारण कई लोगों के नाम हटाए गए या परिवर्तित किए गए, जिससे विपक्षी वोटों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। उन्होंने दावा किया कि यह पूरी प्रक्रिया एकतरफा दिखाई दे रही है और इससे लोकतांत्रिक संतुलन प्रभावित हुआ है।
एसआईआर क्या है
गहन मतदाता पुनरीक्षण या एसआईआर वह प्रक्रिया है जिसमें चुनाव आयोग मतदाता सूची का विस्तृत सत्यापन करता है। इसमें मृत मतदाताओं, स्थानांतरित मतदाताओं और दोहराए गए नामों को हटाया जाता है। कांग्रेस का आरोप है कि इस प्रक्रिया में अनेक सही मतदाताओं के नाम भी हट गए, जिससे बड़ी संख्या में लोग मतदान से वंचित रह गए। पार्टी का कहना है कि उन्होंने इस बारे में कई बार चुनाव आयोग से शिकायत की, लेकिन उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया गया।
चुनाव आयोग पर सवाल
उदित राज ने कहा कि कांग्रेस ने एसआईआर को लेकर लगातार सवाल उठाए, लेकिन चुनाव आयोग ने हमेशा इस मुद्दे को नजरअंदाज किया। उनका कहना है कि आयोग ने वही जवाब दिया, जैसा उसे ऊपर से निर्देश मिला होगा। इससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयोग अभी भी दावा कर रहा है कि उसे एसआईआर को लेकर कोई बड़ी आपत्ति या शिकायत प्राप्त नहीं हुई, जबकि विपक्ष लगातार इस पर चिंता जता रहा है।
महागठबंधन के प्रदर्शन पर असर
महागठबंधन को इस चुनाव में उम्मीद से काफी कम सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं। रुझानों से स्पष्ट है कि एनडीए भारी बहुमत की ओर बढ़ रहा है, जबकि महागठबंधन मात्र कुछ दर्जन सीटों पर ही सिमटता दिख रहा है। कांग्रेस का कहना है कि यदि एसआईआर प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होती, तो स्थिति कुछ और हो सकती थी। पार्टी नेताओं के अनुसार कई क्षेत्रों से शिकायत आई कि मतदाता अपने मतदान केंद्र पहुंचे, लेकिन सूची में उनका नाम नहीं था। यह स्थिति खासकर शहरी क्षेत्रों में देखने को मिली।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और माहौल
कांग्रेस का यह बयान चुनावी माहौल में नई राजनीतिक बहस को जन्म दे रहा है। एनडीए की ओर से इन आरोपों को खारिज किया गया है और कहा गया है कि विपक्ष अपनी हार का ठीकरा चुनाव आयोग पर फोड़ रहा है। एनडीए नेताओं के अनुसार गहन मतदाता पुनरीक्षण एक नियमित प्रक्रिया है, जिसे हर चुनाव से पहले किया जाता है और यह किसी भी राजनीतिक दल के हित में या विरोध में नहीं होती। उनका कहना है कि जनता ने एनडीए पर भरोसा किया है और विपक्ष जमीनी स्तर पर कमजोर पड़ गया।
भविष्य की राजनीतिक दिशा
कांग्रेस ने संकेत दिया है कि वह इस मुद्दे को आगे भी उठाएगी। पार्टी का कहना है कि चुनाव आयोग को इन सवालों का जवाब देना होगा और यह स्पष्ट करना होगा कि मतदाता सूची की समीक्षा किस तरह की गई। यदि आवश्यक हुआ तो कांग्रेस इस मुद्दे को न्यायिक मंच तक भी ले जा सकती है। उनके अनुसार लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता बनाए रखना सबसे जरूरी है, और मतदाता सूची में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी लोकतंत्र के लिए खतरा है। बिहार चुनाव के बाद महागठबंधन और विशेषकर कांग्रेस की ओर से चुनाव आयोग और एसआईआर प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्न उठाए जा रहे हैं। जहां एनडीए इसे जनता का जनादेश बता रहा है, वहीं कांग्रेस इसे चुनावी प्रक्रिया की खामियों का परिणाम मान रही है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चुनाव आयोग इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और आगे क्या कदम उठाए जाते हैं। बिहार की राजनीति एक बार फिर नई दिशा में बढ़ रही है, जिसमें चुनावी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर बहस अब और तेज होने की संभावना है।


