किशनगंज और अररिया में महसूस किए गए भूकंप के झटके, घरों से बाहर निकले लोग, 5.6 की मापी गई तीव्रता
किशनगंज/अररिया। बिहार के किशनगंज और अररिया जिलों में शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। झटकों के अचानक महसूस होते ही दोनों जिलों में लोग दहशत में घरों, दुकानों और इमारतों से बाहर निकल आए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.6 मापी गई, जिसके बाद इलाके में कुछ समय तक अफरा-तफरी का माहौल बना रहा।
भूकंप का केंद्र बांग्लादेश में
भूकंप का केंद्र बांग्लादेश की राजधानी ढाका से लगभग 42 किलोमीटर दूर नर्सिंगदी इलाके में था। अचानक आए इन झटकों का प्रभाव बिहार के सीमावर्ती जिलों किशनगंज और अररिया में सबसे अधिक महसूस किया गया। लोगों ने बताया कि झटके आते ही घरों में लगे पंखे, खिड़कियों के शीशे, दरवाजे और बर्तन जोर-जोर से हिलने लगे। कुछ ही सेकंड तक झटके महसूस हुए, लेकिन उनकी तीव्रता इतनी थी कि लोग तुरंत बाहर निकलने पर मजबूर हो गए।
दहशत में आए लोग, अफरा-तफरी का माहौल
किशनगंज और अररिया में सुबह-सुबह आए इन कंपन के कारण लोग घबरा गए। कई लोग जमीन हिलते ही घरों के बाहर भागने लगे और कई परिवार सुरक्षित स्थानों की ओर दौड़ पड़े। झटके कुछ ही सेकंड तक रहे, लेकिन उनका असर लोगों की मानसिक स्थिति पर स्पष्ट रूप से देखा गया। हालांकि, पहले झटके के बाद दूसरा झटका महसूस नहीं हुआ, जिससे लोगों ने राहत की सांस ली।
कोई नुकसान नहीं, प्रशासन सतर्क
अब तक दोनों जिलों से किसी भी प्रकार की जनहानि या संपत्ति को नुकसान की सूचना नहीं मिली है। स्थानीय प्रशासन पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है। एसडीआरएफ और जिला प्रशासन ने लोगों से अफवाहों से दूर रहने और सावधानी बरतने की अपील की है। भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में विशेष निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि आवश्यक स्थिति में तुरंत राहत कार्य शुरू किए जा सकें।
घरों में हिलने लगे पंखे और दरवाजे
कई लोगों ने बताया कि भूकंप के दौरान उनके घरों में लगे पंखे जोर से हिलने लगे थे। कुछ घरों में खिड़कियों के शीशे कंपित होने लगे और रसोई में बर्तनों की खनखनाहट सुनाई देने लगी।
झटकों की तीव्रता ज्यादा न होने के बावजूद उनकी गति तेज थी, जिसके कारण लोगों में भय का माहौल उत्पन्न हुआ।
भूकंप प्रवण क्षेत्रों की जानकारी
भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार, भारत को भूकंप के खतरे के आधार पर पाँच जोनों में विभाजित किया गया है—जोन 1 सबसे सुरक्षित और जोन 5 सबसे अधिक जोखिम वाला क्षेत्र माना जाता है। भारत के विभिन्न हिस्से अलग-अलग भूकंप जोनों में आते हैं।
जोन 4: उच्च जोखिम वाला क्षेत्र
भारत का लगभग 11 प्रतिशत हिस्सा जोन 4 में आता है। इसमें कश्मीर घाटी, हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी भाग, उत्तराखंड का पूर्वी क्षेत्र, गुजरात का कच्छ, और बिहार का उत्तरी भाग शामिल हैं। किशनगंज और अररिया भी इसी संवेदनशील क्षेत्र के करीब आते हैं।
जोन 3: मध्यम से उच्च जोखिम
देश का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा इस जोन में आता है। इसमें बिहार के कई इलाके, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्से, झारखंड का उत्तरी भाग, उत्तर प्रदेश का उत्तरी हिस्सा, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्र शामिल हैं। इस जोन में भूकंप मध्यम तीव्रता के आते रहते हैं।
जोन 2: कम जोखिम वाला क्षेत्र
देश का 18 प्रतिशत हिस्सा इस जोन में आता है। इसमें राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु के अनेक हिस्से आते हैं। यह क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता है।
भारत का 59 प्रतिशत क्षेत्र भूकंप जोखिम में
विशेषज्ञों के अनुसार देश का लगभग 59 प्रतिशत हिस्सा भूकंप जोखिम जोन में आता है। यह क्षेत्र जोन 3, 4 और 5 में फैला हुआ है, जहां कंपन अक्सर महसूस किए जाते हैं। इसी कारण इन क्षेत्रों में भवन निर्माण मानकों का पालन करना और सुरक्षा उपायों में सतर्कता आवश्यक होती है।
लोगों में भय और सतर्कता
किशनगंज और अररिया में भूकंप के झटकों के बाद लोग देर तक घरों के बाहर ही खड़े रहे। कई परिवारों ने अपने बच्चों को घर के अंदर जाने से रोका और कुछ देर तक खुले स्थानों पर ही ठहरे रहे। स्थानीय दुकानों और बाजारों में भी कुछ देर तक कामकाज प्रभावित रहा। सुबह के समय आए इन भूकंप के झटकों ने दोनों जिलों में हलचल पैदा कर दी। हालांकि कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इससे यह स्पष्ट है कि बिहार का उत्तरी भाग भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है। विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए लोगों को जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता है। प्रशासन की निगरानी जारी है और आवश्यकता पड़ने पर राहत कार्यों के लिए पूरी तैयारी की गई है।


