सरकारी बसों में अब वर्दी में रहेंगे ड्राइवर और कंडक्टर, नेम प्लेट लगाना होगा अनिवार्य
पटना। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम (बीएसआरटीसी) की बसों में यात्रा करने वाले लोगों के लिए अब सेवा और सुरक्षा के नए मानक तय किए जा रहे हैं। परिवहन विभाग द्वारा आयोजित समीक्षा बैठक में कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जिनका उद्देश्य राज्य की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को अधिक अनुशासित, सुरक्षित और यात्री-मुखी बनाना है।
ड्राइवर-कंडक्टर अब रहेंगे वर्दी में और लगाएंगे नेम प्लेट
बैठक में यह स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि बीएसआरटीसी की सभी बसों में कार्यरत ड्राइवर और कंडक्टर अब खाकी वर्दी पहनेंगे और उनके नाम की नेम प्लेट बस के प्रवेश द्वार के पास स्पष्ट रूप से प्रदर्शित की जाएगी। इससे यात्रियों को न केवल सुविधा होगी, बल्कि जवाबदेही भी सुनिश्चित की जा सकेगी। इसके साथ ही कंडक्टरों को व्यवहार कुशलता का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जा रही है ताकि वे यात्रियों के प्रति विनम्र रहें और सेवा का स्तर बेहतर हो सके।
महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें
बढ़ती महिला यात्रियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए एक और अहम निर्णय यह लिया गया है कि अब बसों की आगे की चार पंक्तियों की सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इससे महिलाओं को सार्वजनिक बसों में अधिक सुविधा और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिलेगा।
पुरानी बसों की फिटनेस होगी अनिवार्य
बैठक में यह भी तय किया गया कि पुरानी और जर्जर बसों की फिटनेस जांच अब अनिवार्य होगी। इसके लिए राज्यभर में वाहन जाँच अभियान चलाया जाएगा, जिसमें प्रदूषण प्रमाणपत्र, बीमा और फिटनेस से जुड़े दस्तावेजों की सघन जांच की जाएगी। ओवरलोडिंग पर नियंत्रण के लिए भी विशेष निगरानी की व्यवस्था की जा रही है, जिसमें दो पालियों में बैरियर लगाकर जाँच की जाएगी।
बस स्टैंडों पर बुनियादी सुविधाओं का विस्तार
यात्रियों की सहूलियत के लिए बस स्टैंडों पर साफ पानी, शौचालय और अन्य मूलभूत सुविधाओं को सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए हैं। विशेषकर पटना के फुलवारीशरीफ स्थित परिवहन परिसर में पहले से ही कई आधुनिक सुविधाएं जैसे सीएनजी पंप, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन और ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक मौजूद हैं।
ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैकों का विस्तार
राज्य में ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए आधुनिक टेस्टिंग ट्रैक पहले से ही 27 जिलों में कार्यरत हैं। इन ट्रैकों पर आवेदकों की ड्राइविंग क्षमता को हाई डेफिनिशन कैमरों और सेंसर-लाइन आधारित ट्रैक पर जांचा जाता है। जून 2025 में सारण, रोहतास और मधुबनी जिलों में बड़ी संख्या में ड्राइविंग टेस्ट किए गए, जिसमें हजारों आवेदकों को लाइसेंस जारी किए गए। आवेदकों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए इन जिलों में अतिरिक्त ट्रैक स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। बिहार सरकार द्वारा उठाए गए ये कदम राज्य की परिवहन व्यवस्था को अधिक सुरक्षित, व्यवस्थित और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास हैं। वर्दी, नेम प्लेट, महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें, जाँच की सख्ती और बुनियादी सुविधाओं का विस्तार न केवल यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाएगा, बल्कि सार्वजनिक परिवहन में विश्वास भी बढ़ाएगा। इन सुधारों के लागू होने से बिहार में एक अधिक उत्तरदायी और समावेशी परिवहन व्यवस्था विकसित होगी।


