बिहार में खनिजों के खोज हेतु कार्य में तेजी लाना हमारा प्रयास : आरसीपी सिंह

- बिहार की खनिज सम्पदा की वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजनाओं पर बैठक आयोजित
पटना। केन्द्रीय इस्पात मंत्री रामचन्द्र प्रसाद सिंह ने मंगलवार को उद्योग भवन, दिल्ली स्थित अपने कार्यालय में बिहार की खनिज सम्पदा की वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजनाओं पर आयोजित बैठक की अध्यक्षता की। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्था के उप महानिदेशक- बिहार, एसके दत्ता ने राज्य में चल रहे भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की जानकारी दी।
बैठक के प्रारंभ में श्री सिंह ने कहा कि बिहार में खनिजों के खोज हेतु सभी संस्थाओं से जानकारी प्राप्त कर इस कार्य में तेजी लाना हमारा प्रयास है। उन्होंने जीएसआई द्वारा किये जा रहे कार्य की प्रशंसा की और राज्य में खनिज अन्वेषण की प्रक्रिया को और तीव्रता से जारी रखने का निर्देश दिया। श्री सिंह ने रेयर अर्थ एलेमेंट्स (आरईई) और सोने की खानों की खोज की आवश्यकता पर बल दिया। कहा कि आरईई की बढ़ती मांग और आपूर्ति में चीन के लगभग एकाधिकार को देखते हुए इनकी स्वदेशी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्यान्वयन रणनीति को विकसित करने की आवश्यकता है।
केंद्रीय मंत्री ने जीएसआई की बिहार में भविष्य की योजनाओं की प्रशंसा की, जिनमें गया और औरंगाबाद जिलों में टिन, टंगस्टन की जांच, हेसातु बेलबाथन बेल्ट में बेस मेटल की जांच, बांका जिले में आरईई जांच, माजोस ब्लॉक और उसके आसपास मैग्नेटाइट जांच और गया और नवादा जिलों में और उसके आसपास लिथियम जांच शामिल हैं।
श्री सिंह के सम्मुख प्रस्तुति में बताया गया कि जीएसआई (आरएसएएस- रिमोट सेंसिंग एंड एरियल सर्वे डिवीजन) ने सभी हार्ड रॉक इलाके में भूवैज्ञानिक अध्ययन किया है। आच्छादित क्षेत्र, कठोर चट्टानी भूभाग और जलोढ़ आवरण का अध्ययन अभी बाकी है। इसे ध्यान में रखते हुए जीएसआई यूपी, बिहार और झारखंड सीमा से पश्चिम बंगाल-बिहार-झारखंड सीमा के बीच हवाई भूभौतिकीय सर्वेक्षण कर रहा है। इस कार्य के परिणाम के आधार पर हार्ड रॉक इलाके और गंगा नदी के बीच जो संसाधन छुपा हो सकता है, उसका पता लगेगा। इसी तरह से गढ़वा और मजोसो के बीच मैग्नेटाइट का उपसतह विस्तार (जमुई) अपेक्षित है और कोयला आधारित गोंडवाना चट्टानें भी अपेक्षित हैं।
