एलजेपीआर और हम में सीधी लड़ाई, मांझी बोले- बोधगया और मखदुमपुर पर चिराग के खिलाफ लड़ेंगे, घमासान जारी
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए में सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा हो चुकी है, लेकिन इसके बाद भी सत्ताधारी गठबंधन में खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी के बाद अब हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी मोर्चा खोल दिया है। मांझी ने साफ कहा है कि वे गया जिले की दो विधानसभा सीटों — बोधगया और मखदुमपुर — पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेंगे। दिलचस्प बात यह है कि ये दोनों सीटें लोजपा (रामविलास) यानी चिराग पासवान के हिस्से में गई हैं। ऐसे में एनडीए के भीतर इन सीटों पर सीधी टक्कर एनडीए बनाम एनडीए की होती दिख रही है। मांझी का यह बयान गठबंधन में पहले से चल रहे असंतोष को और गहरा करता दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं की मांग पर हम ने यह फैसला लिया है। बोधगया और मखदुमपुर दोनों ही सीटें गया जिले में हैं, जो मांझी का राजनीतिक गढ़ माना जाता है। उन्होंने कहा कि “हम अपनी जमीन किसी के हवाले नहीं करेंगे। जहां हमारा जनाधार है, वहां हम अपनी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे।” दूसरी ओर, लोजपा (रामविलास) के नेताओं का कहना है कि एनडीए के अंदर सबकुछ सहमति से हुआ है और सभी दलों को पर्याप्त सम्मान मिला है। मगर मांझी के इस ऐलान के बाद अब चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच सीधी लड़ाई तय मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषक इसे गया की राजनीति में बड़ा टकराव बता रहे हैं, जो गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े कर सकता है। उधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें भी लगातार सामने आ रही हैं। सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार सीट बंटवारे में कुछ फैसलों से खुश नहीं हैं, खासकर उन 9 सीटों पर जहां जदयू के हिस्से में कम सीटें आईं। जदयू ने भाजपा से इन सीटों पर पुनर्विचार करने की मांग की है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि जिन क्षेत्रों में जदयू का संगठन मजबूत है, वहां पार्टी को प्राथमिकता दी जाए। इस बीच, कहलगांव सीट को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया। भागलपुर सांसद अजय मंडल ने कहलगांव सीट पर असहमति जताते हुए अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेज दिया था। इसके बाद भाजपा ने यह सीट छोड़ दी, जो अब जदयू के खाते में चली गई है। इसी तरह काराकाट सीट भी भाजपा ने जदयू के लिए छोड़ दी है। यानी कहलगांव और काराकाट दोनों सीटें अब जदयू के हिस्से में हैं। कुल मिलाकर, सीट बंटवारे के बाद एनडीए में असंतोष की लहर थमने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ जहां चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया है, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पार्टी के भीतर और गठबंधन के स्तर पर नाराज बताए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस विवाद को कैसे सुलझाती है और क्या एनडीए एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतर पाएगा या नहीं।


