दानापुर विधानसभा से कट सकता है बाहुबली रीतलाल यादव का टिकट! दीनानाथ यादव पर दांव लगा सकती है पार्टी,कई अन्य है कतार में..
पटना।(अमृतवर्षा ब्यूरो) पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र अंतर्गत पड़ने वाले दानापुर विधानसभा सीट, जो पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र का अहम हिस्सा है, 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर राजनीतिक हलचल के केंद्र में आ गई है। शहरी और ग्रामीण मतदाताओं के मिश्रण, जातीय समीकरण और पिछले चुनावों की यादों के बीच इस बार मुकाबला और दिलचस्प बनने जा रहा है। दानापुर हमेशा से राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र रहा है — जहां हर चुनाव जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दों के अनोखे मेल से प्रभावित होता रहा है। दानापुर विधानसभा क्षेत्र से राजद के रीतलाल यादव सिटिंग विधायक हैं.जिसे टक्कर देने के लिए भाजपा की ओर से पूर्व विधायक आशा सिन्हा, पूर्व सांसद रामकृपाल यादव,प्रियंका कुमारी समेत कई उम्मीदवारों के नाम चर्चा में चल रहे हैं। विधानसभा चुनाव 2025 में दानापुर विधानसभा क्षेत्र से राजद अपने सिटिंग विधायक रीतलाल यादव का टिकट काट सकती है।इस बात की चर्चा भी क्षेत्र में बेहद तेज है। ऐसे में दीनानाथ यादव को राजद अपना उम्मीदवार बना सकती है।दीनानाथ यादव के अलावे भी राजद से टिकट के कई दावेदार है।जो लंबे समय से दानापुर में अपनी सक्रियता बरकरार रखे हुए हैं।दानापुर नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय राजकिशोर यादव की पुत्रवधू भी राजद से टिकट लेने के कतार में है।लेकिन राजद के सूत्रों की माने तो अगर राजद दानापुर में किसी दूसरे प्रत्याशी को टिकट देती है।तो दीनानाथ प्रसाद यादव के दावेदारी ज्यादा प्रबल है। राजद के आलाकमान के कथित सहमति के आधार पर दीनानाथ प्रसाद यादव लगातार दानापुर विधानसभा क्षेत्र में कैंपेन कर रहे हैं।इतना ही नहीं दीनानाथ प्रसाद यादव लगभग पांच वर्षों से दानापुर में सामाजिक क्षेत्र में जन सुविधाओं का विस्तार तथा मूलभूत नागरिक सेवाओं के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं।

*2020 का समीकरण और राजनीतिक पृष्ठभूमि*
पिछले विधानसभा चुनाव (2020) में दानापुर सीट पर राष्ट्रीय जनता दल के रीतलाल यादव ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार और पूर्व विधायक आशा देवी सिन्हा को लगभग 15,900 वोटों के अंतर से पराजित किया था। यह जीत उस समय राजद के लिए बड़ी जीत साबित हुई थी, क्योंकि पटना जिले में परंपरागत रूप से भाजपा का आधार मजबूत माना जाता रहा है। दानापुर की राजनीतिक यात्रा में कई ऐतिहासिक अध्याय जुड़े हैं। 1995 और 2000 में लालू प्रसाद यादव इस सीट से विधायक रह चुके हैं। वहीं 2005 के बाद सत्यनारायण सिंह की हत्या के बाद उनकी पत्नी आशा देवी सिन्हा ने लगातार तीन बार (2005, 2010 और 2015) जीत दर्ज की थी। इस पृष्ठभूमि ने दानापुर को हमेशा से राजनीति के केंद्र में बनाए रखा है, जहां हर चुनाव में स्थानीय समीकरण और नेताओं की रणनीति खास मायने रखती है।
*जातीय समीकरण: चुनावी दिशा तय करने वाला कारक*
दानापुर का सामाजिक ढांचा जटिल और बहु-आयामी है। यहां यादव मतदाता अब भी निर्णायक भूमिका में हैं। इसके साथ ही वैश्य, अगड़ी जातियाँ (जैसे भूमिहार, राजपूत, कुर्मी), पासवान, रविदास, मुस्लिम और अन्य पिछड़े वर्गों की मजबूत उपस्थिति भी है। यह सामाजिक विविधता हर राजनीतिक दल के लिए रणनीति तय करने में चुनौतीपूर्ण बनती है। यादव समुदाय पर राजद का प्रभाव ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहा है।
*राजद की रणनीति और दीनानाथ यादव का उभार*
दानापुर विधानसभा क्षेत्र से रीतलाल यादव ने 2020 में विजय पताका लहराया था। जबकि 2005 के दोनों चुनाव 2010 तथा 2015 में राजद के उम्मीदवारों को यहां से हार का सामना करना पड़ा था।ऐसे में दानापुर में फिर से बगैर रीतलाल यादव के जीत हासिल करने के लिए मजबूत प्रत्याशी की जरूरत राजद को है।जिसे देखते हुए राजद तो दीनानाथ प्रसाद यादव पर दाव लगा सकती है। वैसे राजद की टिकट पर कई अन्य स्थानीय प्रत्याशी टकटकी लगाए देख रहे हैं।लालू तेजस्वी के दरबार में पहलवानों के द्वारा अपनी दावेदारी के पक्ष में समीकरण प्रस्तुत किए जा रहे हैं। रीतलाल यादव तो स्थानीय जीते हुए विधायक है ही उनके जेल में रहने के कारण अगर सीट में बदलाव होता है।तो राजद निश्चित तौर पर मजबूत उम्मीदवार को ही मैदान में उतारेगा।

