September 16, 2025

गुरु नानक के प्रकाशोत्सव पर श्रद्धालुओं को नहीं मिली करतारपुर साहिब जाने की अनुमति, केंद्र के फैसले के बाद मचा बवाल

नई दिल्ली। गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव के मौके पर इस बार सिख श्रद्धालुओं को बड़ा झटका लगा है। पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब और ननकाना साहिब की यात्रा के लिए केंद्र सरकार ने अनुमति नहीं दी है। गृह मंत्रालय ने 12 सितंबर को परामर्श जारी कर पंजाब, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को साफ निर्देश दिया कि नवंबर में किसी भी श्रद्धालु को पाकिस्तान यात्रा की इजाजत नहीं दी जाएगी।
सुरक्षा कारणों का हवाला
गृह मंत्रालय ने इस प्रतिबंध के पीछे सुरक्षा कारणों का तर्क दिया है। मंत्रालय ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले और “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढ़े तनाव को इसका आधार बताया। सरकार का कहना है कि मौजूदा हालात में श्रद्धालुओं को पाकिस्तान भेजना सुरक्षित नहीं होगा। इस कदम का उद्देश्य श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
पंजाब में सियासी तूफान
जैसे ही यह खबर सामने आई, पंजाब की राजनीति गर्मा गई। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की। उन्होंने केंद्र पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया। मान ने कहा कि अगर पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेले जा सकते हैं और कारोबारी संबंध बनाए जा सकते हैं, तो फिर सिख श्रद्धालुओं को अपने पवित्र स्थलों पर जाने से क्यों रोका जा रहा है। उनके अनुसार, भक्ति और आस्था राजनीति और खेल से कहीं ऊपर है।
आस्था बनाम राजनीति और खेल
भगवंत मान ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार के लिए क्रिकेट और कारोबार प्राथमिकता क्यों है, जबकि आस्था पीछे छूट रही है। उन्होंने टिप्पणी की कि करतारपुर और ननकाना साहिब सिख समुदाय के लिए धार्मिक महत्व के केंद्र हैं। इन स्थलों की यात्रा को रोका जाना श्रद्धालुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान से खेले जाने वाले मैचों से होने वाली आय अंततः आतंक और नशे को बढ़ावा देने में इस्तेमाल होगी, जिससे देश को ही नुकसान होगा।
अकाली दल की अपील
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी इस फैसले पर नाराजगी जताई। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से अपील की कि इस निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए। बादल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि सिख श्रद्धालु श्री ननकाना साहिब पर माथा टेकने के लिए उत्सुक हैं। इस पवित्र अवसर पर उन्हें रोकना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा है। उनके अनुसार, जब भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंध बहाल हो सकते हैं, तो करतारपुर कॉरिडोर को भी श्रद्धालुओं के लिए खोला जाना चाहिए।
विपक्ष और धार्मिक नेताओं की प्रतिक्रिया
पंजाब के अन्य विपक्षी दलों और सिख धार्मिक नेताओं ने भी केंद्र सरकार के कदम को अनुचित बताया। उनका कहना है कि श्रद्धालुओं को रोकना उनके धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है। धार्मिक वर्ग का मानना है कि यह निर्णय श्रद्धालुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है और इससे समुदाय में आक्रोश पैदा हो सकता है।
विवाद का समय और पृष्ठभूमि
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच एशिया कप का मैच खेला गया। इस घटना के बाद सवाल उठने लगे कि जब दोनों देशों के बीच खेल संबंध बहाल हो सकते हैं, तो धार्मिक यात्राओं पर पाबंदी क्यों लगाई जा रही है। आलोचकों का कहना है कि सरकार को सुरक्षा के साथ-साथ धार्मिक भावनाओं का भी सम्मान करना चाहिए।
आगे की संभावनाएं
अब सबकी नजर केंद्र सरकार के अगले कदम पर है। क्या सरकार अपने फैसले पर कायम रहेगी या फिर पंजाब सरकार और सिख नेताओं की मांगों को ध्यान में रखते हुए इसमें कोई ढील देगी, यह आने वाले दिनों में तय होगा। फिलहाल इतना साफ है कि यह मुद्दा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक विवाद का भी केंद्र बन गया है। केंद्र सरकार द्वारा गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर श्रद्धालुओं को करतारपुर और ननकाना साहिब जाने से रोकने का फैसला कई सवाल खड़े कर रहा है। सुरक्षा का मुद्दा अपनी जगह अहम है, लेकिन आस्था की अनदेखी भी बड़ी चिंता है। पंजाब की सियासत में इस मुद्दे ने हलचल मचा दी है और यह आने वाले दिनों में और बड़ा राजनीतिक विमर्श बन सकता है। श्रद्धालु और धार्मिक नेता उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार इस निर्णय पर पुनर्विचार करेगी और भक्ति की राह में कोई रुकावट नहीं आने देगी।

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