October 27, 2025

स्कूलों में दोहरे नामांकन के खिलाफ शिक्षा विभाग सख्त, जांच टीम का गठन, फर्जी छात्रों के खिलाफ होगी कार्रवाई

पटना। बिहार में शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए शिक्षा विभाग ने एक अहम कदम उठाया है। आगामी शैक्षणिक सत्र 2026 से राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में किसी भी छात्र का दोहरा नामांकन पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। विभाग ने इस दिशा में ठोस कार्ययोजना तैयार करनी शुरू कर दी है। इसका उद्देश्य न केवल फर्जी नामांकन पर रोक लगाना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तविक और पात्र छात्रों तक ही पहुंचे।
दोहरे नामांकन की समस्या
अब तक देखा गया है कि कई छात्र एक साथ दो अलग-अलग स्कूलों में नामांकित रहते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि सरकारी आंकड़ों में छात्रों की संख्या बढ़ी हुई दिखाई देती है, जबकि वास्तविकता में उतने छात्र स्कूलों में उपस्थित नहीं होते। शिक्षा विभाग को इससे भारी वित्तीय नुकसान झेलना पड़ता है क्योंकि सरकार ऐसे फर्जी नामांकनों के आधार पर मिड-डे मील, छात्रवृत्ति, किताबें, यूनिफॉर्म और अन्य सुविधाओं पर अनावश्यक खर्च करती है। वर्ष 2025 में हुई जांच के दौरान यह पाया गया कि केवल एक जिले में ही करीब 600 से अधिक बच्चों का दोहरा नामांकन दर्ज था।
जांच टीम का गठन और तकनीकी निगरानी
शिक्षा विभाग ने निर्णय लिया है कि इस समस्या से निपटने के लिए एक विशेष जांच टीम का गठन किया जाएगा। यह टीम सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूलों में नामांकित विद्यार्थियों की जानकारी की जांच करेगी। हर छात्र का विवरण ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। इस पोर्टल के माध्यम से यह आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि कोई बच्चा दो अलग-अलग स्कूलों में नामांकित तो नहीं है। यह पोर्टल एक डिजिटल डेटाबेस के रूप में काम करेगा, जिससे विभाग को छात्रों की जानकारी तक तत्काल पहुंच मिलेगी।
आधार नंबर की अनिवार्यता
नए नियम के तहत अब प्रत्येक छात्र को नामांकन के समय आधार कार्ड प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। आधार नंबर के माध्यम से छात्र की पहचान सीधे ई-शिक्षा पोर्टल पर सत्यापित की जाएगी। इससे किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या फर्जीवाड़े की संभावना लगभग समाप्त हो जाएगी। आधार लिंकिंग के बाद एक ही छात्र का नाम दो स्कूलों में दर्ज होना असंभव हो जाएगा, क्योंकि सिस्टम ऐसे मामलों को तुरंत चिन्हित कर लेगा।
पारदर्शिता और लाभ वितरण में सुधार
इस नई व्यवस्था से शिक्षा विभाग को कई स्तरों पर लाभ मिलेगा। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि फर्जी नामांकनों पर पूरी तरह रोक लगाई जा सकेगी। साथ ही सरकारी योजनाओं जैसे छात्रवृत्ति, वर्दी, साइकिल, किताब और मिड-डे मील का लाभ केवल वास्तविक विद्यार्थियों तक पहुंचेगा। अब किसी भी विद्यार्थी की जन्मतिथि, पता या व्यक्तिगत जानकारी को लेकर भ्रम की स्थिति नहीं रहेगी, क्योंकि सभी सूचनाएं आधार डेटा से सत्यापित होंगी।
ई-शिक्षा पोर्टल की भूमिका
ई-शिक्षा पोर्टल इस पूरी योजना की रीढ़ माना जा रहा है। इसके माध्यम से न केवल छात्रों की पहचान की जाएगी, बल्कि स्कूलवार आंकड़े भी सुरक्षित रखे जाएंगे। इससे विभाग को किसी भी जिले या स्कूल के नामांकन की स्थिति को रियल टाइम में देखने और विश्लेषण करने की सुविधा मिलेगी। यह पोर्टल भविष्य में शिक्षा योजनाओं की निगरानी और मूल्यांकन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
दोहरे नामांकन पर कार्रवाई और सख्त प्रावधान
शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि जांच में किसी छात्र का दोहरा नामांकन पाया जाता है तो संबंधित छात्र और अभिभावक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही उस स्कूल पर भी विभागीय कार्रवाई हो सकती है, जहां फर्जी नामांकन दर्ज किया गया है। विभाग का मानना है कि केवल सख्ती से ही इस समस्या पर पूर्ण नियंत्रण पाया जा सकता है।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में कदम
यह कदम बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन साबित हो सकता है। इससे शिक्षा विभाग के वित्तीय संसाधनों का दुरुपयोग रुकेगा, पारदर्शिता बढ़ेगी और वास्तविक विद्यार्थियों को शिक्षा से जुड़ी सुविधाएं समय पर मिलेंगी। इसके अलावा, यह व्यवस्था शिक्षा के अधिकार अधिनियम को भी और मजबूत बनाएगी। बिहार शिक्षा विभाग का यह कदम न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में है, बल्कि यह शिक्षा प्रणाली में अनुशासन और जवाबदेही भी स्थापित करेगा। जब हर विद्यार्थी का नाम और पहचान आधार से जुड़ी होगी, तो फर्जीवाड़े की संभावना नगण्य रह जाएगी। इससे शिक्षा विभाग का भरोसा बढ़ेगा, सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता में सुधार आएगा और सबसे महत्वपूर्ण बात, सही बच्चों को उनका हक और अधिकार समय पर मिल सकेगा। इस प्रकार यह पहल बिहार की शिक्षा प्रणाली को नई दिशा देने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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