पटना में डेंगू के मामलों में फिर बढ़ोतरी, 24 घंटे में 14 नए मरीज़ मिले, स्वास्थ्य विभाग की चेतावनी जारी
पटना। जिले में एक बार फिर डेंगू के मामले बढ़ने लगे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार, बीते 24 घंटे में जिले में 14 नए डेंगू मरीजों की पुष्टि हुई है। इस तरह अब तक पटना में इस वर्ष कुल 1150 लोग डेंगू से संक्रमित पाए जा चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग की बढ़ती चिंता का कारण यह है कि संक्रमण का सबसे अधिक असर 21 से 30 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों में देखा जा रहा है, जो कामकाजी और शिक्षार्थी वर्ग से संबंधित हैं।
संक्रमण के हॉटस्पॉट इलाके
पटना के बांकीपुर अंचल को इस वर्ष डेंगू संक्रमण का सबसे बड़ा केंद्र माना जा रहा है। मुसल्लहपुर हाट, सुल्तानगंज, कदमकुआं, महेंद्रू और खजांची रोड जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में सबसे अधिक मरीज सामने आ रहे हैं। इन इलाकों में नालियों की सफाई, जलजमाव और मच्छरों की रोकथाम को लेकर नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार अभियान चला रही हैं।
डेंगू के लिए अनुकूल मौसम
सिविल सर्जन ने बताया कि अक्टूबर का महीना डेंगू संक्रमण के लिए सबसे जोखिमपूर्ण होता है। इस दौरान वातावरण में मौजूद तापमान और नमी डेंगू वायरस के फैलाव के लिए अत्यंत अनुकूल रहते हैं। इस समय एडीज एजिप्टी मच्छर तेजी से पनपते हैं और संक्रमण के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि जब तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच और नमी अधिक होती है, तो डेंगू का संक्रमण तेजी से फैलता है।
पिछले वर्ष की तुलना में स्थिति बेहतर
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष यानी 2024 में इसी अवधि के दौरान लगभग 2400 डेंगू मरीज दर्ज किए गए थे। जबकि इस वर्ष अब तक यह संख्या 1150 तक सीमित है। यानी पिछले वर्ष की तुलना में इस बार संक्रमण के मामले लगभग आधे हैं। सिविल सर्जन का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार विभाग और नगर निगम ने शुरुआती दौर में ही फॉगिंग और एंटी-लार्वा दवा के छिड़काव का काम शुरू कर दिया था, जिससे संक्रमण के फैलाव पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सका है।
स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां
स्वास्थ्य विभाग ने जिला अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। सभी अस्पतालों में डेंगू टेस्ट की सुविधा उपलब्ध कराई गई है और प्लेटलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। साथ ही, गंभीर मरीजों के लिए विशेष वार्ड भी तैयार किए गए हैं। नगर निगम की ओर से सभी अंचलों में प्रतिदिन फॉगिंग अभियान चलाया जा रहा है और जलजमाव वाले इलाकों में दवा का छिड़काव किया जा रहा है।
डॉक्टरों की सलाह
विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बताया है कि डेंगू से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि लोग अपने घरों और आस-पास की सफाई रखें। पानी कहीं भी दो दिनों से अधिक जमा न रहने दें, क्योंकि मच्छर स्थिर पानी में ही पनपते हैं। कूलर, टंकी, गमले और खाली बर्तनों की नियमित सफाई करें। बच्चों और बुजुर्गों को मच्छरों से बचाने के लिए मच्छरदानी या रिपेलेंट का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। डॉक्टरों का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति को लगातार बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द या त्वचा पर लाल चकत्ते दिखें, तो तुरंत जांच करानी चाहिए।
नागरिकों की जिम्मेदारी
डेंगू से बचाव केवल प्रशासनिक प्रयासों से नहीं, बल्कि नागरिकों की जागरूकता से भी संभव है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे अपने घरों के आसपास साफ-सफाई बनाए रखें और जलजमाव की स्थिति तुरंत नगर निगम को सूचित करें। इसके अलावा लोगों को खुद भी सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि डेंगू का कोई विशेष इलाज नहीं है, केवल समय पर पहचान और देखभाल से ही इसे नियंत्रित किया जा सकता है। पटना में डेंगू के बढ़ते मामलों ने एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है, हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में स्थिति नियंत्रित कही जा सकती है। विभाग की ओर से फॉगिंग, जांच और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन डेंगू से बचने का सबसे प्रभावी उपाय लोगों की सतर्कता और स्वच्छता ही है। यदि नागरिक जागरूक रहें और अपने परिवेश को साफ रखें, तो इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है और शहर को डेंगू मुक्त बनाया जा सकता है।


