November 17, 2025

नेऊरा को प्रखंड बनाने की मांग तेज, पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा– “अब नहीं टलेगा फैसला”

बिहटा, (मोनु कुमार मिश्रा)। पटना जिले के बिहटा प्रखंड से अलग नेऊरा को नया प्रखंड बनाने की वर्षों पुरानी मांग अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। सोमवार को नेऊरा प्रखंड निर्माण संघर्ष मोर्चा के बैनर तले कमेटी हॉल परिसर में आयोजित बैठक में 13 पंचायतों के जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों और स्थानीय ग्रामीणों ने एक स्वर में प्रखंड निर्माण की मांग को दोहराया। बैठक में उपस्थित प्रतिनिधियों ने साफ कहा कि यदि सरकार ने जल्द निर्णय नहीं लिया तो आंदोलन की राह और तेज होगी। बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी सरयुग प्रसाद ने की, जबकि संचालन नेऊरा उप-मुखिया शाहिल कुमार उर्फ रवि कुमार ने किया। इस अवसर पर बिहटा मुखिया संघ अध्यक्ष राम अवधेश राय, नेऊरा पंचायत मुखिया प्रतिनिधि उदय, मखदुमपुर के पूर्व मुखिया अजय कुमार, मुखिया सुनील राय, नेऊरा सरपंच मो. शमीम उर्फ गुड्डू, पंचायत समिति सदस्य सागर कुमार, संतोष कुमार, शिदेश्वर राय और सयानंद सिंह सहित बड़ी संख्या में पंचायत प्रतिनिधि मौजूद रहे। वक्ताओं ने तर्क दिया कि वर्तमान में बिहटा प्रखंड की 26 पंचायतों पर प्रशासनिक बोझ बहुत अधिक है। इसका सीधा असर विकास कार्यों और जनसमस्याओं के समाधान पर पड़ रहा है। नेऊरा और आसपास के गांवों के लोगों को छोटे-मोटे कार्यों के लिए भी करीब 10 किलोमीटर दूर बिहटा प्रखंड कार्यालय जाना पड़ता है, जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी होती है। प्रतिनिधियों का कहना था कि यदि नेऊरा को प्रखंड का दर्जा मिलता है तो क्षेत्र की हजारों की आबादी को सीधी राहत मिलेगी। न केवल प्रशासनिक कार्यकुशलता बढ़ेगी बल्कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी तेजी आएगी। बैठक में यह भी तय हुआ कि सरकार को अब जल्द से जल्द इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाना चाहिए। पंचायत प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि यदि मांग को अनदेखा किया गया तो जनआंदोलन का स्वरूप और उग्र होगा। गौरतलब है कि नेऊरा को प्रखंड बनाने की मांग कोई नई नहीं है। यह मुद्दा पिछले दो दशकों से बार-बार उठता रहा है। समय-समय पर विभिन्न राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों ने भी मंच से इसका समर्थन किया, लेकिन अब तक ठोस निर्णय नहीं हो सका है। स्थानीय लोग मानते हैं कि सरकार द्वारा नेऊरा को प्रखंड घोषित किए जाने से क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास की तस्वीर बदल जाएगी। बैठक में मौजूद ग्रामीणों ने कहा कि अब उनकी सहनशीलता की परीक्षा और नहीं हो सकती। आने वाले समय में यह मुद्दा चुनावी राजनीति का भी अहम विषय बन सकता है।

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