October 28, 2025

दिल्ली में सर्दियों आते ही खराब हुई हवा, एक्यूआई 367 के पार, सांस लेने में हुई परेशानी

नई दिल्ली। दिल्ली में ठंड की दस्तक के साथ ही हवा की गुणवत्ता तेजी से बिगड़ने लगी है। राजधानी की वायु एक बार फिर जहरीली हो चुकी है और लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगी है। शुक्रवार सुबह जारी आंकड़ों ने यह स्पष्ट कर दिया कि दिल्ली की हवा “बहुत खराब” श्रेणी में पहुंच चुकी है। हर साल की तरह इस बार भी सर्दियों की शुरुआत के साथ प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, जिससे लोगों में चिंता का माहौल है।
दिल्ली की हवा में बढ़ता ज़हर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, शुक्रवार सुबह आठ बजे दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 367 दर्ज किया गया। यह स्तर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। सबसे ज्यादा प्रदूषण आनंद विहार क्षेत्र में पाया गया, जहां एक्यूआई 370 तक पहुंच गया। इसके अलावा वजीरपुर में 328, जहांगीरपुरी में 324 और अक्षरधाम क्षेत्र में 369 रिकॉर्ड किया गया। दिल्ली के कई अन्य इलाकों में भी एक्यूआई 200 से ऊपर रहा, जिससे यह साफ है कि राजधानी के लगभग सभी हिस्सों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। हवा में धूलकण (PM2.5) और विषैले गैसों की बढ़ती मात्रा ने लोगों को बाहर निकलने में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
प्रदूषण के बढ़ने के प्रमुख कारण
सर्दियों में दिल्ली की हवा खराब होने के कई कारण हैं। सबसे पहला कारण है – मौसम में बदलाव और तापमान का गिरना। जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है, हवा की गति धीमी हो जाती है और प्रदूषक कण वायुमंडल में फंस जाते हैं। इसके अलावा हर साल की तरह इस बार भी पराली जलाने की घटनाएं पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शुरू हो चुकी हैं, जिनका सीधा असर दिल्ली की हवा पर पड़ता है। दूसरा प्रमुख कारण है वाहन उत्सर्जन। दिल्ली में रोजाना लाखों वाहन सड़कों पर उतरते हैं, जिनसे निकलने वाला धुआं प्रदूषण में बड़ी भूमिका निभाता है। साथ ही निर्माण स्थलों पर धूल उड़ना, खुले में कचरा जलाना और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुआं भी हवा को जहरीला बना रहा है।
लोगों की सेहत पर असर
प्रदूषण के बढ़ते स्तर का सबसे अधिक असर बच्चों, बुजुर्गों और सांस या हृदय रोग से पीड़ित लोगों पर पड़ रहा है। अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे माहौल में लंबे समय तक बाहर रहना या सुबह-सुबह सैर पर निकलना सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। कई इलाकों में लोगों को आंखों में जलन, सिरदर्द, खांसी और गले में खराश की शिकायतें हो रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि एक्यूआई 300 से ऊपर पहुंच जाता है, तो यह हवा बेहद विषैली मानी जाती है और इससे फेफड़ों की कार्यक्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
सरकार का ‘विंटर एक्शन प्लान’
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए 2025-26 का ‘विंटर एक्शन प्लान’ जारी किया है, जो तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है। इस योजना का उद्देश्य अक्टूबर से फरवरी तक के महीनों में प्रदूषण के स्रोतों पर रोक लगाना है। इस प्लान को सात प्रमुख थीम पर आधारित किया गया है— सड़क की धूल और निर्माण प्रबंधन, वाहन उत्सर्जन नियंत्रण, उद्योग और ऊर्जा क्षेत्र में सुधार, कचरा प्रबंधन, खुले में आगजनी पर रोक, नागरिक सहभागिता और ग्रीन इनोवेशन को बढ़ावा देना। सरकार ने कहा है कि इस योजना को लागू करने के लिए दिल्ली की 30 से अधिक एजेंसियों का समन्वय किया जाएगा। इसके तहत प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की पहचान कर उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, सड़क की सफाई मशीनों की संख्या बढ़ाई जाएगी और निर्माण स्थलों की नियमित जांच होगी।
निगरानी और जनभागीदारी
दिल्ली सरकार ने ‘ग्रीन दिल्ली’ एप को भी फिर से सक्रिय किया है, जिसके माध्यम से नागरिक प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों की शिकायत सीधे सरकार तक पहुंचा सकते हैं। शिकायत मिलने पर संबंधित विभाग को तत्काल कार्रवाई करनी होगी। साथ ही, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की टीमें भी लगातार निगरानी कर रही हैं। प्रशासन ने यह भी कहा है कि यदि हालात और खराब होते हैं, तो ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान’ (GRAP) के तहत अतिरिक्त उपाय लागू किए जाएंगे। इसमें निर्माण गतिविधियों पर अस्थायी रोक, स्कूलों में छुट्टियां, और डीजल वाहनों की आवाजाही पर नियंत्रण जैसे कदम शामिल हो सकते हैं।
नागरिकों से अपील
सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें और घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। साथ ही, मास्क पहनने और वाहन का साझा उपयोग करने की सलाह दी गई है। विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रदूषण से निपटने के लिए केवल सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं होंगे, इसके लिए नागरिकों का सहयोग भी आवश्यक है। दिल्ली की हवा एक बार फिर लोगों के स्वास्थ्य के लिए चुनौती बन चुकी है। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही प्रदूषण का स्तर चिंताजनक हो गया है, जो यह दर्शाता है कि समस्या केवल मौसमी नहीं बल्कि संरचनात्मक है। सरकार द्वारा जारी ‘विंटर एक्शन प्लान’ एक सराहनीय कदम है, परंतु इसकी सफलता तभी संभव है जब नागरिक भी जिम्मेदारी निभाएं और पर्यावरण के प्रति जागरूक बनें। वर्तमान स्थिति यह याद दिलाती है कि स्वच्छ हवा अब विलासिता नहीं, बल्कि जीवन की आवश्यकता बन चुकी है।

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