फुलवारीशरीफ में नवजात की मौत, स्वास्थ्य केंद्र पर हंगामा, टीकाकरण में लापरवाही का आरोप

पटना। फुलवारीशरीफ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक नवजात की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो जाने के बाद आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया। घटना तब घटी जब बच्चे का जन्म होने के 12 घंटे के भीतर उसकी मृत्यु हो गई। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया और दावा किया कि बच्चे को दिए गए टीके की वजह से उसकी मृत्यु हुई। इस घटना ने स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता और अस्पतालों में प्रसव के बाद देखभाल पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतक नवजात के पिता कुणाल कुमार, फुलवारीशरीफ महुआ बाग के निवासी हैं, जिन्होंने अपनी पत्नी राधा कुमारी को प्रसव के लिए सोमवार रात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया था। राधा कुमारी ने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। मंगलवार की सुबह बच्चे को टीका लगाया गया, जो कि एक नियमित प्रक्रिया का हिस्सा था। हालांकि, टीकाकरण के करीब आधे घंटे बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ने लगी और थोड़ी देर बाद उसकी मृत्यु हो गई।बच्चे की अचानक मृत्यु से परिवार में शोक और आक्रोश का माहौल बन गया। परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि बच्चे को दिया गया टीका जहरीला था और इसी कारण उसकी मौत हुई। अस्पताल कैंपस में आक्रोशित परिजनों ने जमकर हंगामा किया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा। अस्पताल प्रबंधन और संबंधित डॉक्टरों ने परिजनों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मौत के कारणों की जांच की जा रही है। अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर आरके चौधरी ने बताया कि जिस टीके को मौत का कारण बताया जा रहा है, उसे और भी आधा दर्जन नवजातों को दिया गया है, लेकिन किसी अन्य बच्चे से कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया की सूचना नहीं मिली है। इससे यह स्पष्ट होता है कि टीके में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं थी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की डॉक्टर दीपा सिंह, जो नवजात का इलाज कर रही थीं, ने भी परिजनों के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण से मौत का कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं दिखता है और यह घटना गहन जांच का विषय है। डॉक्टर सिंह ने यह भी कहा कि अस्पताल की तरफ से सभी प्रक्रियाएं निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार पूरी की गई थीं और कोई लापरवाही नहीं बरती गई। नवजात की मौत के बाद अस्पताल में जमा हुए लोग बेहद गुस्से में थे। पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही वास्तविक कारण का पता चल सकेगा कि क्या वाकई टीकाकरण से नवजात की मौत हुई है या किसी अन्य कारण से। इस दुखद घटना ने अस्पतालों में नवजात की देखभाल और टीकाकरण की प्रक्रियाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। टीकाकरण नवजातों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इसे करने के दौरान लापरवाही या गलतियां गंभीर परिणाम दे सकती हैं। भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पहले से ही सवालों के घेरे में रहती है, खासकर ग्रामीण और शहरी गरीब इलाकों में। फुलवारीशरीफ में हुई यह घटना फिर से इस मुद्दे को उजागर करती है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में संसाधनों और प्रशिक्षित स्टाफ की कमी के कारण कई बार मरीजों को सही और समय पर इलाज नहीं मिल पाता। यह घटना फुलवारीशरीफ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में टीकाकरण और नवजात की देखभाल से संबंधित लापरवाही का एक गंभीर मामला है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों ने लापरवाही के आरोपों को खारिज किया है, लेकिन परिजनों के आक्रोश और बच्चे की मृत्यु की वजह से इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच जरूरी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच के नतीजे ही यह तय करेंगे कि नवजात की मृत्यु का असली कारण क्या था। इस प्रकार की घटनाएं स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और पारदर्शिता की आवश्यकता को और भी अधिक रेखांकित करती हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचा जा सके।
