महाकुंभ की भगदड़ में बांका के दिव्यांग श्रद्धालु की मौत, परिवार में मचा हाहाकार

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बांका। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ में बिहार के बांका जिले के एक दिव्यांग श्रद्धालु की दुखद मौत हो गई। यह घटना मंगलवार की रात करीब 11:30 बजे घटी, जब स्नान के दौरान अचानक भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में 50 वर्षीय सत्यवान रजक, जो बांका के धोरैया थाना क्षेत्र के चलना गांव के निवासी थे, अपने परिजनों से बिछड़ गए और उनकी मौत हो गई। सत्यवान अपनी पत्नी कंकई देवी और अन्य रिश्तेदारों के साथ महाकुंभ में स्नान करने आए थे। भगदड़ के बाद सत्यवान के परिजनों ने उन्हें ढूंढने की पूरी कोशिश की। उन्होंने पुलिस सहायता केंद्र में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई। हालांकि, देर रात करीब जब परिजन मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज पहुंचे, तो उन्हें सत्यवान का शव मिला। इस दुखद खबर ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया। सत्यवान रजक चार भाइयों में दूसरे नंबर पर थे और उनके दो बेटे और एक बेटी हैं। उनका बड़ा बेटा भी दिव्यांग है। सत्यवान मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। उनकी मौत से न केवल परिवार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है, बल्कि उनके बच्चों का भविष्य भी अनिश्चित हो गया है। इस घटना की जानकारी मिलते ही पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। गांववासियों और रिश्तेदारों ने सत्यवान के परिवार के साथ गहरी संवेदना व्यक्त की। कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष गिरीश पासवान और सामाजिक कार्यकर्ता राजा रामदास ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया और सरकार से परिवार को उचित मुआवजा देने की मांग की। महाकुंभ जैसे विशाल आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए, इस घटना ने एक बार फिर सरकार और प्रशासन को चेतावनी दी है। ऐसे आयोजनों में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना और भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त उपाय करना बेहद जरूरी है। सत्यवान रजक की मौत ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना हमें यह सबक देती है कि सामूहिक आयोजनों में सुरक्षा और प्रबंधन के मामले में कोई लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए। सत्यवान के परिवार को इस दुखद घटना से उबरने में समय लगेगा, और उन्हें इस कठिन समय में समाज और सरकार का पूरा सहयोग मिलना चाहिए।
