September 12, 2025

सिक्किम में घातक लैंडस्लाइड से बड़ा हादसा, चार लोगों की मौत, तीन अन्य लापता

गंगटोक। सिक्किम में एक बार फिर प्राकृतिक आपदा ने तबाही मचाई है। पश्चिमी सिक्किम के यांगथांग के ऊपरी रिम्बी क्षेत्र में गुरुवार देर रात भारी भूस्खलन हुआ, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई है और तीन अन्य लापता हैं। पुलिस अधीक्षक शेरिंग शेरपा ने जानकारी दी कि भूस्खलन के तुरंत बाद तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। इसके अलावा, स्थानीय लोगों और एसएसबी जवानों की मदद से दो घायल महिलाओं को बचाया गया। उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन दुर्भाग्यवश एक महिला ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया जबकि दूसरी की हालत गंभीर बनी हुई है।
अस्थायी पुल बनाकर बचाव कार्य
बचाव अभियान में स्थानीय ग्रामीणों, एसएसबी जवानों और पुलिस टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बाढ़ग्रस्त ह्यूम नदी पर पेड़ों की लकड़ियों से अस्थायी पुल बनाकर प्रभावित क्षेत्र से दो महिलाओं को सुरक्षित बाहर निकाला। दुर्गम भूभाग और कठिन परिस्थितियों में यह कार्य आसान नहीं था। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि बचाव कार्य अभी भी जारी है और लापता लोगों की तलाश की जा रही है। क्षेत्र में बर्फीला पानी और खड़ी चढ़ाई के बीच अभियान चलाना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन टीम लगातार प्रयास कर रही है।
पूर्व में आयोजित सैन्य अभ्यास का संदर्भ
इस त्रासदी के बीच सिक्किम में हाल ही में भारतीय सेना और नौसेना का एक संयुक्त सैन्य अभ्यास भी सम्पन्न हुआ था। रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि 30 अगस्त से 5 सितंबर तक 17,000 फीट की ऊंचाई पर भारतीय सेना पैरा (विशेष बल) और नौसेना के मरीन कमांडो (मार्कोस) द्वारा संयुक्त स्कूबा और कॉम्बैट डाइविंग अभ्यास किया गया था। इस अभ्यास में अत्यधिक ठंडे पानी में 17 मीटर की गहराई तक गोता लगाना, क्लोज सर्किट प्योर ऑक्सीजन डाइविंग और कॉम्बैट नाइट डाइविंग जैसे कठिन प्रशिक्षण शामिल थे।
उच्च ऊंचाई पर संचालन की चुनौतियां
इस प्रशिक्षण ने सैनिकों की मानसिक और शारीरिक क्षमता की परीक्षा ली। बर्फीले पानी में गोताखोरी और दुर्गम भूभाग में संचालन जैसे कार्यों ने सैनिकों की अनुकूलन क्षमता को और मजबूत किया। अभ्यास का मुख्य उद्देश्य भविष्य के युद्धक्षेत्रों के लिए सैनिकों को तैयार करना था, जहां अनिश्चितता और कठिन वातावरण आम चुनौती बन सकते हैं। उच्च हिमालय क्षेत्र में संचालन के दौरान सटीक कार्य करना और सीमित संसाधनों में जीवित रहना आवश्यक होता है, इसलिए इस प्रकार के अभ्यास युद्ध कौशल को निखारने में मदद करते हैं।
संयुक्त अभियानों की उपयोगिता
भारतीय सेना और नौसेना के विशेष बलों ने इस अभ्यास के माध्यम से एक-दूसरे के साथ तालमेल बढ़ाया। संयुक्त अभियानों में सहयोग और समन्वय युद्ध की जटिल परिस्थितियों में आवश्यक होता है। यह प्रशिक्षण न केवल सैनिकों की व्यक्तिगत क्षमताओं को बढ़ाता है बल्कि दल के रूप में कार्य करने की दक्षता भी प्रदान करता है। ऐसे अभियानों से लड़ाकू गोताखोरी की सीमाओं का विस्तार होता है और भविष्य में विविध भूभागों में मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने की तैयारी होती है।
प्राकृतिक आपदा और सैन्य तत्परता की सीख
सिक्किम में हालिया भूस्खलन ने एक बार फिर प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की जरूरत को रेखांकित किया है। वहीं, हाल ही में सम्पन्न सैन्य अभ्यास यह दर्शाता है कि भारत की सेना भविष्य की चुनौतियों के लिए सतर्क और तैयार है। उच्च ऊंचाई और बर्फीली परिस्थितियों में संचालन करना आसान नहीं है, लेकिन प्रशिक्षण और समन्वय से कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना किया जा सकता है। सिक्किम में हुए इस हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। वहीं, भारतीय सेना और नौसेना के संयुक्त अभ्यास ने यह दर्शाया कि कठिन परिस्थितियों में संचालन की तैयारी, सामूहिक प्रयास और मानसिक मजबूती से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। भविष्य में ऐसी आपदाओं और युद्ध जैसी परिस्थितियों में देश की सेनाएं और स्थानीय प्रशासन मिलकर बेहतर प्रतिक्रिया देने में सक्षम होंगे।

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