पूर्णिया में अंतिम संस्कार करने की बजाय लाश को दफनाया, जेसीबी का किया इस्तेमाल, जानें सीएस ने क्या किया

पूर्णिया। कोरोनाकाल में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना अमौर में हुई है। जहां कोरोना मरीज की लाश को दफनाने के लिए फिर एक बार जेसीबी का इस्तेमाल हुआ। जिसका दाह संस्कार करना था लेकिन गड्ढे में दफना दिया गया।

पूर्णिया के अमौर रेफरल अस्पताल के पास फुटपाथ पर बेलगाछी के पंचू यादव बीते चार दिनों से बीमार पड़े थे। जिसे पूछने वाला तक कोई नहीं था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पंचू यादव की उम्र 60 वर्ष थी। अमौर में बीते तीन साल से घूम-घूमकर भीख मांग कर अपना पेट भरते थे।

तबीयत बिगड़ने के बाद उसे सड़क किनारे पड़ा देख स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना अस्पताल प्रबंधन को दी। सूचना मिलने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने 27 मई को कोविड टेस्ट कराया गया। रिेपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अमौर के बेलगाछी के कोविड सेन्टर सेंटर में भर्ती कराया गया। दो दिनों के इलाज के बाद मरीज की 29 मई की सुबह आठ बजे मौत हो गई।

अमौर के कोविड केयर सेंटर बेलगाछी में पंचू यादव ने अंतिम सांस ली। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने उनके शव को प्लास्टिक में लपेट कर जेसीबी में डाल दिया। जिसे मशीन के आगे की तरफ रखा गया और शव को दो किमी दूर पलसा पुल के किनारे गड्ढे में डाल दिया गया। फोटो तस्वीर वायरल होने के बाद इसके बारे में बातें होने लगीं।

कोरोना गाइडलाइन को दरकिनार कर लोग जेसीबी से शव ढो रहे थे। जिसके बाद बवाल भी हुआ। क्योंकि शव को जेसीबी से उठाकर दफनाया दिया गया।

सरकार ने कोरोना से मौत के बाद लाश को सुपुर्द करने की जिम्मेदारी एनजीओ को दे दी है। जो संक्रमण के फैलाव से रोकने के लिए गाइडलाइन के तहत काम करती है। सूचना के अनुसार अमौर के कोविड केयर सेंटर में जो एनजीओ काम कर रही है । उनके पास दो एंबुलेंस हैं । बावजूद इसके जेसीबी शव को ले जाना एनजीओ की लापरवाही को दिखाता है।

पूर्णिया सिविल सर्जन संतोष कुमार वर्मा से बताया कि पूरे मामले की जांच की जा रही है। बेलगाछी स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. एहतामामूल हक को शोकॉज जारी किया गया है। जांच में जो भी दोषी पाए मिलेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

 

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