पटना में जितिया के नहाए-खाए पर गंगा घाटों पर उमड़ी महिला श्रद्धालुओं की भीड़, प्रशासन के सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

पटना। पटना में जितिया पर्व को लेकर गंगा घाटों पर शनिवार को महिला श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। जितिया व्रत की परंपरा में नहाए-खाए का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान कर भगवान से संतानों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की जाती है। नहाए-खाए के बाद ही व्रत का आरंभ माना जाता है और इसके बाद व्रती महिलाएं अगले दिन तक उपवास रखती हैं। इस पर्व के दौरान महिलाएं कठिन व्रत करती हैं और पूजा-अर्चना के माध्यम से अपने परिवार की भलाई की प्रार्थना करती हैं।
घाटों पर श्रद्धालुओं की उपस्थिति और पूजा-पाठ
सुबह होते ही पटना के विभिन्न गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का तांता लग गया। महिलाएं अपने परिवार के साथ स्नान करने पहुंचीं। गंगा में डुबकी लगाकर वे भगवान से संतानों की दीर्घायु, परिवार में सुख-समृद्धि और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना कर रही थीं। इस दौरान कई जगहों पर महिलाएं पारंपरिक गीत गाते हुए एक-दूसरे को पर्व की शुभकामनाएं देती दिखीं। गंगा किनारे पूजा स्थल सजाए गए थे। महिलाएं स्नान के बाद पूजा सामग्री अर्पित कर विधिपूर्वक पूजा करती रहीं। कई महिलाएं माथे पर रोली लगाकर, हाथ में दीपक लेकर पूजा करती दिखाई दीं। यह दृश्य भक्ति और परंपरा की झलक प्रस्तुत कर रहा था।
प्रशासन ने किए सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम
भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने पहले से ही तैयारियों को अंजाम दिया था। गंगा घाटों की सफाई कराई गई थी ताकि श्रद्धालुओं को स्नान और पूजा में किसी प्रकार की असुविधा न हो। घाटों पर आपदा मित्र, गोताखोर और पुलिस बल की तैनाती की गई थी। किसी भी प्रकार की दुर्घटना या असामान्य स्थिति से बचाव के लिए बैरिकेडिंग की गई ताकि भीड़ नियंत्रित रहे। साथ ही नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग को भी सतर्क कर दिया गया था। घाटों पर अतिरिक्त सफाई कर्मियों की व्यवस्था की गई ताकि साफ-सफाई बनी रहे। चिकित्सा सुविधा के लिए एम्बुलेंस और प्राथमिक उपचार केंद्र भी तैयार रखे गए थे। जिला प्रशासन का उद्देश्य था कि पर्व के दौरान श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कठिनाई न हो।
गंगा के बढ़े जलस्तर से बढ़ी चुनौती
इस वर्ष गंगा का जलस्तर सामान्य से अधिक है। बढ़े हुए जल स्तर के कारण कई घाटों पर स्नान करने में श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ा। प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कई घाटों पर प्रवेश मार्ग सीमित कर दिए ताकि अधिक पानी में स्नान से बचा जा सके। लोगों को जल की गहराई और बहाव से सतर्क रहने की सलाह दी गई। गोताखोरों की तैनाती का उद्देश्य भी यही था कि अगर कोई व्यक्ति अनजाने में गहरे पानी में चला जाए तो उसे सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।
जितिया व्रत की कठिनता और महत्व
जितिया व्रत को बेहद कठिन माना जाता है। इसमें महिलाएं 24 घंटे से अधिक समय तक उपवास करती हैं। इस दौरान वे जल तक नहीं ग्रहण करतीं। इसे संतान की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए किया जाता है। व्रती महिलाएं पूरे मन से पूजा करती हैं और व्रत को लेकर किसी प्रकार की लापरवाही नहीं करतीं। इस व्रत के दौरान महिलाएं तपस्या और संयम का पालन करती हैं जिससे उनकी श्रद्धा और भक्ति प्रकट होती है। मान्यता है कि जितिया व्रत से संतान की रक्षा होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
समाज में धार्मिक आस्था का संदेश
पटना में गंगा घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ यह दर्शाती है कि धार्मिक पर्वों के प्रति लोगों की आस्था कितनी गहरी है। नहाए-खाए के साथ जितिया व्रत की शुरुआत ने समाज में परिवार, परंपरा और आस्था का संदेश दिया है। जिला प्रशासन द्वारा किए गए इंतजाम यह दर्शाते हैं कि धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखना कितना आवश्यक है। बढ़े जल स्तर के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ। महिलाएं इस कठिन व्रत को निभाकर अपने परिवार की भलाई के लिए प्रार्थना करती रहीं। इससे यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक विश्वास लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं और समाज में इन्हें सम्मान के साथ मनाना आवश्यक है।
