सावन की दूसरी सोमवारी पर मंदिरों और शिवालयों में भक्तों की भीड़, एकादशी पर बना उत्तम संयोग

पटना। सावन का महीना हिंदू धर्म में विशेष रूप से भगवान शिव की उपासना के लिए जाना जाता है। इस महीने की हर सोमवारी का अपना एक विशेष धार्मिक महत्व होता है। इस बार की दूसरी सोमवारी और भी अधिक पावन मानी जा रही है, क्योंकि इसके साथ कामदा एकादशी का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है। यह संयोग दस वर्षों बाद पुनः उपस्थित हुआ है, जिससे भक्तों में अत्यधिक उत्साह और आस्था देखने को मिल रही है।
कामदा एकादशी और सोमवारी का संयोग
इस बार की सोमवारी की खासियत यह है कि यह कामदा एकादशी के दिन पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब सोमवारी और एकादशी एक साथ पड़ते हैं तो इसका पुण्यफल कई गुना बढ़ जाता है। इससे पूर्व यह संयोग वर्ष 2015 और 2008 में बना था। कामदा एकादशी श्रीहरि विष्णु की उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है, वहीं सोमवारी भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष दिन है। इस प्रकार आज का दिन दोनों ही देवताओं की कृपा पाने का श्रेष्ठ अवसर बन गया है।
पुण्यकारी चार शुभ योगों का संयोग
आज के दिन रोहिणी नक्षत्र के साथ वृद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, जयद् योग और अमृत सिद्धि योग जैसे चार शुभ योग भी बन रहे हैं। इन योगों में किया गया पूजन, व्रत और जप अत्यंत फलदायी माना जाता है। यही कारण है कि सुबह से ही मंदिरों और शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। भक्तजन शिवलिंग का जलाभिषेक कर भगवान शिव को गंगाजल, दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा, मधु, घी आदि अर्पित कर रहे हैं।
शिव और विष्णु दोनों की पूजा का विशेष अवसर
इस विशेष संयोग पर भक्त केवल भगवान शिव की ही नहीं, बल्कि भगवान विष्णु की भी आराधना कर रहे हैं। शिव को बेलपत्र से और विष्णु को तुलसी पत्र से पूजन किया जा रहा है। कामदा एकादशी के अवसर पर विष्णु पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, वहीं सोमवारी को शिव उपासना से सौभाग्य, स्वास्थ्य और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
वैवाहिक जीवन में सुख-शांति का उपाय
आज के दिन पति-पत्नी अगर साथ मिलकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें और उन्हें वस्त्र, श्रृंगार सामग्री अर्पित करें तो उनके वैवाहिक जीवन में सुख और सौहार्द बना रहता है। अविवाहित युवक और युवतियां भी आज का व्रत रखकर मनचाहा जीवनसाथी पाने की कामना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि कुंवारी कन्याएं अगर पूरे श्रद्धा-भाव से भोलेनाथ की पूजा करती हैं तो उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि और मंत्र जाप
भगवान शिव को गंगाजल, पंचामृत, गन्ना रस, दूध, दही, घी, मधु, और गुड़ से स्नान कराया जाता है। फिर उन्हें चंदन, इत्र, फूलमाला, बेलपत्र, धतूरा और अकवन से सजाया जाता है। श्रद्धालु “ॐ उमामहेश्वराय नमः” मंत्र का जाप कर भगवान शिव का ध्यान करते हैं। यह मंत्र जाप समस्त कामनाओं की पूर्ति में सहायक माना जाता है। सावन की दूसरी सोमवारी और कामदा एकादशी का यह संयोग अत्यंत दुर्लभ और पुण्यकारी है। यह दिन शिव और विष्णु दोनों के भक्तों के लिए विशेष अवसर प्रदान करता है। मंदिरों में उमड़ी भीड़ और भक्तों का उत्साह इस बात का प्रमाण है कि आस्था और भक्ति की शक्ति आज भी लोगों के जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। धार्मिक अनुष्ठान और मंत्र जाप से आज का दिन आत्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कराता है।
