December 18, 2025

नौबतपुर के लख पुल में दरार, वाहनों का आवाजाही बंद, लोगों को बड़ी अनहोनी का डर, उदासीन बना प्रशासन

पटना। जिले के नौबतपुर प्रखंड में स्थित ऐतिहासिक लख पुल इन दिनों खतरे की स्थिति में है। इस पुल में आई दरार ने स्थानीय लोगों में भय का माहौल पैदा कर दिया है। प्रशासन की ओर से अब तक इस पुल की मरम्मत या नए पुल के निर्माण की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए जाने के कारण लोगों में नाराजगी है।
पुल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
लख पुल का निर्माण ब्रिटिश काल में वर्ष 1890 से 1895 के बीच किया गया था। मूल रूप से यह पुल कृषि कार्यों के लिए जल संरक्षण और ग्रामीणों की स्थानीय आवाजाही को सुगम बनाने के उद्देश्य से बनाया गया था। उस दौर में इसे लकड़ी से बनाया गया था, जिस पर बैलगाड़ियाँ और पैदल यात्री पार करते थे। आज़ादी के बाद इस पुराने लकड़ी के पुल को पक्के निर्माण में तब्दील किया गया। तब से यह पुल पटना, खगौल, औरंगाबाद, मसौढ़ी और अरवल जैसे इलाकों को जोड़ने वाला प्रमुख मार्ग बन गया। वर्षों से ग्रामवासियों की जीवनरेखा बने इस पुल की हालत अब इतनी जर्जर हो चुकी है कि उसके टूटने की आशंका बढ़ गई है।
मौजूदा स्थिति और खतरा
बीते कुछ दिनों में पुल की सतह और मुख्य ढांचे में दरारें दिखाई देने लगीं। दरारें इतनी गहरी हैं कि पुल की मजबूती पर संदेह पैदा हो गया है। इंजीनियरिंग विभाग द्वारा की गई प्राथमिक जांच में पाया गया कि पुल के मध्य भाग में कई जगहों पर ढांचा कमजोर पड़ चुका है। इस वजह से भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। अब केवल दोपहिया और सीमित हल्के वाहन ही धीरे-धीरे इस पुल से गुजर पा रहे हैं। स्थानीय लोग डर में जी रहे हैं कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यहां कोई बड़ा हादसा हो सकता है। दरार से गुजरते समय नीचे की सतह में कंपन महसूस होने लगा है। ग्रामीणों ने प्रशासन को बार-बार सूचित किया, लेकिन अब तक केवल जांच और रिपोर्ट बनाने के नाम पर ही कार्रवाई होती दिख रही है।
प्रशासन की उदासीनता पर नाराजगी
लोगों का कहना है कि सरकार और प्रशासन इस गंभीर स्थिति को लेकर लापरवाह बनी हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो महीने पहले इस पुल के समानांतर एक नए फ्लाईओवर निर्माण का शिलान्यास किया था। लोगों में उस समय उम्मीद जगी थी कि अब इस समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा। मगर दुर्भाग्यवश चुनाव आचार संहिता लागू हो जाने के कारण काम शुरू नहीं हो सका। स्थानीय किसान महंत महेश पाठक ने बताया कि पुल की मरम्मत और नए निर्माण के लिए कई बार प्रशासन से मांग की गई, लेकिन अब तक केवल वादे ही मिले हैं। उनके अनुसार, यदि जल्द निर्माण कार्य नहीं शुरू किया गया तो पुल कभी भी ढह सकता है, जिससे जान-माल की बड़ी क्षति हो सकती है।
ग्रामीणों की चिंता और जनजीवन पर असर
यह पुल नौबतपुर सहित आसपास के दर्जनों गांवों के लिए मुख्य संपर्क मार्ग है। ग्रामीण फसलों की बिक्री, बाजार जाने, अस्पताल पहुँचने और स्कूल-कालेज आने-जाने के लिए इसी पुल का इस्तेमाल करते हैं। भारी वाहनों पर रोक लगने के बाद इलाके में वस्तुओं की आपूर्ति पर भी असर पड़ा है। किसानों के लिए अनाज, सब्ज़ी और पशुधन ले जाने में दिक्कत हो रही है। पुल की खराब हालत के कारण वैकल्पिक रास्तों की तलाश में लोगों को अब कई किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है। इस वजह से दैनिक जीवन और कारोबार दोनों प्रभावित हैं। वहीं, परिवहन व्यवसायी भी नुकसान में हैं क्योंकि ट्रक और ट्रैक्टर अब पुल से नहीं गुजर पा रहे।
विभाग की प्रतिक्रिया और आगे की संभावना
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फ्लाईओवर निर्माण का टेंडर पहले ही स्वीकृत किया जा चुका है, किंतु चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही काम आरंभ किया जाएगा। विभाग के अनुसार, नये फ्लाईओवर का निर्माण इस तरह किया जाएगा कि वह वर्षों तक टिकाऊ और आधुनिक यातायात के अनुरूप हो। हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि इंतज़ार अब लंबा खिंचता जा रहा है। बरसात के मौसम के बाद पुल की स्थिति और भी खराब हो सकती है। लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जल्द अस्थायी मरम्मत की जाए ताकि पुल से गुजरने वाले राहगीर सुरक्षित रह सकें। लख पुल केवल एक पुराना ढांचा नहीं, बल्कि उस क्षेत्र की आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों की धड़कन है। यह इतिहास का हिस्सा भी है और वर्तमान का जरूरी साधन भी। प्रशासन की लापरवाही और देरी से पहल गांव के सैकड़ों लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकती है। यह आवश्यक है कि सरकार तत्काल इस पुल को अस्थायी रूप से मजबूत बनाने के साथ-साथ फ्लाईओवर निर्माण की प्रक्रिया बिना देरी शुरू करे। स्थानीय लोगों को केवल आश्वासन नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई की जरूरत है ताकि यह पुल इतिहास का हिस्सा बनकर खत्म न हो, बल्कि विकास का साक्षी बनते हुए नई दिशा दे सके।

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