सीपीआई (एमएल) ने 20 सीटों की लिस्ट की जारी, सीट शेयरिंग के बगैर घोषणा, महागठबंधन में तकरार जारी
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की राजनीतिक सरगर्मियों के बीच महागठबंधन यानी ‘इंडिया गठबंधन’ में सीट बंटवारे को लेकर जारी खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। जबकि दूसरी ओर भाकपा (माले) ने इंतजार खत्म करते हुए अपनी पहली सूची जारी कर दी है। पार्टी ने बिना सीट शेयरिंग की औपचारिक घोषणा के ही 20 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं, जिससे गठबंधन के भीतर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
भाकपा(माले) की पहली सूची में 20 उम्मीदवार
भाकपा(माले) ने अपनी जो सूची जारी की है, उसमें कुल 20 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। इनमें से 14 उम्मीदवार पहले चरण में चुनावी मैदान में उतरेंगे, जबकि शेष 6 उम्मीदवार दूसरे चरण में अपनी किस्मत आजमाएंगे। पार्टी ने उन क्षेत्रों पर फोकस किया है, जहां उसका पारंपरिक जनाधार मजबूत रहा है। कई सीटों पर वर्तमान विधायक और छात्र संगठन से जुड़े लोकप्रिय नेता भी उम्मीदवार बनाए गए हैं। भाकपा(माले) का यह कदम संकेत देता है कि उसने सीट बंटवारे को लेकर लंबा इंतजार करने की बजाय अपने संगठनात्मक आत्मविश्वास के आधार पर स्वतंत्र निर्णय लिया है।
नामांकन की प्रक्रिया और गठबंधन में उलझन
पहले चरण के नामांकन की अंतिम तारीख 17 अक्टूबर को समाप्त हो चुकी है। निर्वाचन आयोग के अनुसार, पहले चरण की 121 विधानसभा सीटों के लिए 1,250 से अधिक उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है। कई जिलों से आंकड़े अभी आने बाकी हैं, जिससे यह संख्या और बढ़ सकती है। इस बीच भाकपा(माले) का सूची जारी करना यह स्पष्ट करता है कि गठबंधन के भीतर सीटों पर सहमति नहीं बन पाई है। जिन सीटों पर भाकपा(माले) के प्रत्याशी उतरे हैं, उनमें से कई पर राजद या कांग्रेस के दावेदार भी सक्रिय हैं, जिससे अंदरूनी संघर्ष की स्थिति बन रही है।
‘फ्रेंडली फाइट’ की आशंका
सूत्रों के अनुसार, कम से कम आधा दर्जन सीटों पर महागठबंधन के भीतर एक से अधिक प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है। यदि 20 अक्टूबर तक इनमें से कोई भी प्रत्याशी नाम वापस नहीं लेता है, तो कई सीटों पर ‘फ्रेंडली फाइट’ यानी सहयोगी दलों के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है। यह स्थिति महागठबंधन के लिए चुनावी रणनीति की दृष्टि से नुकसानदेह साबित हो सकती है। गठबंधन के प्रमुख घटक दलों—राजद, कांग्रेस, वाम दलों और वीआईपी—के बीच सीटों की अंतिम सूची पर अभी तक सहमति नहीं बन सकी है।
एनडीए आत्मविश्वास में, विपक्ष में भ्रम
जहां एक ओर महागठबंधन आंतरिक असमंजस से जूझ रहा है, वहीं सत्तारूढ़ एनडीए आत्मविश्वास के साथ चुनावी मैदान में उतर चुका है। भाजपा और जदयू ने पहले ही सीट बंटवारे की प्रक्रिया पूरी कर अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। इसके चलते एनडीए का चुनाव अभियान पहले चरण में पूरी गति से चल रहा है। वहीं, विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के भीतर तालमेल की कमी और सार्वजनिक मतभेदों ने उसकी चुनावी छवि को कमजोर किया है।
माले का रणनीतिक कदम और संदेश
भाकपा(माले) का यह निर्णय सिर्फ संगठनात्मक मजबूती का प्रतीक नहीं, बल्कि यह गठबंधन को एक राजनीतिक संदेश भी देता है कि पार्टी अपने जनाधार और राजनीतिक प्राथमिकताओं से समझौता नहीं करेगी। माले हमेशा से सीमांचल और मगध क्षेत्र में अपने प्रभाव के लिए जानी जाती रही है, और इस बार भी उसने उन इलाकों में प्रत्याशी उतारकर यह स्पष्ट किया है कि वह चुनावी समर में पूरी तैयारी के साथ उतरी है।
सीट बंटवारे पर टकराव जारी
राजद, कांग्रेस और वीआईपी के बीच यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि कौन सी पार्टी किन सीटों पर लड़ेगी। खासकर उन सीटों पर स्थिति जटिल है जहां माले का परंपरागत जनाधार है। महागठबंधन के भीतर जारी यह असहमति जनता के बीच गलत संदेश भी दे रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह स्थिति बनी रही तो पहले चरण में विपक्षी वोटों का विभाजन तय है। भाकपा(माले) द्वारा सीट शेयरिंग के बिना उम्मीदवारों की घोषणा ने महागठबंधन की अंदरूनी स्थिति को और जटिल बना दिया है। जहां एक ओर एनडीए पहले से संगठित और तैयार दिखाई दे रहा है, वहीं ‘इंडिया गठबंधन’ अभी भी अंदरूनी समन्वय की प्रक्रिया में उलझा है। अब देखना यह होगा कि 20 अक्टूबर तक नाम वापसी की अंतिम तिथि आने से पहले गठबंधन इस स्थिति को कैसे संभालता है, क्योंकि यदि स्थिति जस की तस रही तो यह महागठबंधन के लिए चुनावी परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।



