केरल में गड़बड़ी और वोट ट्रांसफर पर सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को नोटिस, मांगा जबाब

  • चुनाव में ईवीएम में खराबी की शिकायतों का सख्ती से निपटारा करें चुनाव आयोग

नई दिल्ली। केरल में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी और दूसरों का वोट भी भाजपा को ट्रांसफर होने के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है। शीर्ष अदालत ने आयोग से कहा है कि वह इन शिकायतों पर संज्ञान लें। अर्जियों में आरोप लगाया गया था कि केरल के कासरगोड में मॉक पोलिंग के दौरान ऐसा हुआ था कि हर वोट भाजपा को ही जा रहा था। इस केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना ने आयोग के वकील से कहा कि वह इस पर संज्ञान लें। वीवीपैट को लेकर दाखिल अर्जी पर बेंच ने कहा, ‘केरल के कासरगोड में मॉक पोलिंग हुई थी। 4 ईवीएम और वीवीपैट में भाजपा का एक अतिरिक्त वोट मिला था। मनोरमा में यह रिपोर्ट मिली थी।’ इस पर बेंच ने चुनाव आयोग के वकील महिंदर सिंह से कहा कि आप इसका संज्ञान लें और एक बार चेक कर लें। दरअसल अदालत में कई अर्जियां दाखिल की गई हैं, जिसमें मांग की गई है कि ईवीएम से पड़ने वाले सारे मतों का वीवीपैट स्लिप से वेरिफिकेशन किया जाए। इस मामले को लेकर मंगलवार को लंबी और दिलचस्प बहस भी हुई थी। यही नहीं वकील प्रशांत भूषण ने वीवीपैट की सारी स्लिपों की गिनती कराने की मांग की थी। इस पर अदालत ने कहा था कि आखिर भारत जैसे देश में यह कैसे संभव है। इस पर प्रशांत भूषण ने जर्मनी जैसे देश का उदाहरण देते हुए कहा था कि वहां बैलेट पेपर से ही चुनाव हो रहा है। इस पर जज ने कहा था कि वहां सिर्फ 6 करोड़ ही नागरिक हैं। इतनी आबादी तो मेरे गृह राज्य की ही है। यही नहीं ईवीएम की जगह बैलेट पेपर को लेकर बेंच का यह भी कहना था कि हम उस दौर को भी देख चुके हैं, जब बैलेट से चुनाव होता था। उनका कहना था कि मशीन सही रिजल्ट देती हैं, बशर्तें उसमें कोई मानवीय दखल न दिया जाए।
वोटर्स को खुद बैलट बॉक्स में पर्ची डालने की सुविधा मिलनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े ने पैरवी की। प्रशांत भूषण एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की तरफ से पेश हुए। वीवीपैट पर्चियों की 100% वेरिफिकेशन को लेकर एक्टिविस्ट अरुण कुमार अग्रवाल ने अगस्त 2023 में याचिका लगाई गई थी। याचिका में कहा गया कि वोटर्स को वीवीपैट की पर्ची फिजिकली वेरिफाई करने का मौका दिया जाना चाहिए। वोटर्स को खुद बैलट बॉक्स में पर्ची डालने की सुविधा मिलनी चाहिए। इससे चुनाव में गड़बड़ी की आशंका खत्म हो जाएगी।
कोर्ट ने आयोग से पूछा- ईवीएम से छेड़छाड़ पर कड़ी सजा है?
कोर्ट ने चुनाव आयोग से ईवीएम के बनने से लेकर भंडारण और डेटा से छेड़छाड़ की आशंका तक हर चीज के बारे में बताने को कहा है। बेंच ने पूछा कि क्या वोटिंग के बाद गिनती में किसी गड़बड़ी के आरोपों को खत्म करने के लिए ईवीएम की तकनीकी जांच की जा सकती है? इस पर आयोग ने कहा कि हमारा पक्ष सुने बिना ऐसे कोई संकेत कोर्ट न दे। कोर्ट ने पूछा, क्या ईवीएम में हेरफेर करने पर कड़ी सजा का कानून है? लोगों में डर होना चाहिए। आयोग ने बताया कि इसे लेकर कार्यालय संबंधी कानून हैं। इस मामले में पिछली सुनवाई 1 अप्रैल को हुई थी, तब जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था। फिलहाल किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में 5 ईवीएम के वोटों का ही वीवीपैट पर्चियों से मिलान होता है। याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने लगभग 24 लाख वीवीपैट खरीदने के लिए 5 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं, लेकिन केवल 20,000 वीवीपैट की पर्चियों का ही वोटों से वेरिफिकेशन किया जा रहा है।
क्या होती है वीवीपैट मशीन
यह एक वोट वेरिफिकेशन सिस्टम है, जिससे पता चलता है कि कि वोट सही तरीके से गया है या नहीं। यह ईवीएम से कनेक्टेड होता है। जब वोटर ईवीएम में किसी पार्टी का बटन दबाता है, तो वीवीपैट में उस पार्टी के नाम और सिंबल की एक पर्ची प्रिंट होती है। यह पर्ची मशीन के ट्रांसपेरेंट विंडो पर 7 सेकेंड तक दिखती है। इसे देखकर वोटर कंफर्म कर पाता है कि ईवीएम में उसका वोट सही गया या नहीं। 7 सेकेंड के बाद यह पर्ची वीवीपैट मशीन के अंदर चली जाती है। पर्चियों का इस्तेमाल ईवीएम के नतीजों को क्रॉस-चेक करने के लिए किया जा सकता है। हालांकि, ऐसा बहुत कम ही होता है। वोटों से छेड़छाड़ या काउंटिंग में धांधली के आरोप पर चुनाव आयोग दोनों के मिलान का निर्देश दे सकता है। भारत में वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल पहली बार 2014 के आम चुनावों में किया गया था। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड ने बनाया है।

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