October 28, 2025

लैंड फॉर जॉब मामले में कोर्ट में सुनवाई टली, 10 नवंबर को अगली होगी सुनवाई

नई दिल्ली/पटना। देश की सियासत में सुर्खियों में रहने वाला ‘लैंड फॉर जॉब’ यानी नौकरी के बदले जमीन घोटाला एक बार फिर चर्चा में है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में इस मामले की सुनवाई सोमवार को होनी थी, लेकिन किसी तकनीकी कारण या प्रक्रियागत देरी के चलते सुनवाई नहीं हो सकी। कोर्ट ने अब अगली तारीख 10 नवंबर तय की है। इस स्थगन के साथ लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को फिलहाल कुछ समय की राहत जरूर मिली है, क्योंकि इसी दिन आईआरसीटीसी टेंडर मामले में उनके खिलाफ आरोप तय किए गए थे, जिससे परिवार पर कानूनी दबाव बढ़ गया था।
मामला क्या है
‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाला तब का है जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। सीबीआई की जांच के अनुसार, उस समय रेलवे में नौकरी दिलाने के बदले उम्मीदवारों से सस्ती दरों पर जमीनें ली गईं। यह जमीनें कथित रूप से लालू परिवार से जुड़े लोगों या उनसे निकट जुड़े व्यक्तियों के नाम पर ली गई थीं। सीबीआई का आरोप है कि रेल मंत्रालय के पदों का दुरुपयोग कर सरकारी नौकरी के बदले निजी लाभ उठाया गया। इस मामले में लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, तथा उनके बेटे और वर्तमान में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को आरोपी बनाया गया है।
राउज एवेन्यू कोर्ट की कार्यवाही
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सोमवार, 13 अक्टूबर को इस मामले पर सुनवाई निर्धारित थी। उम्मीद की जा रही थी कि अदालत इस दिन लालू परिवार के खिलाफ आरोप तय कर देगी। लेकिन प्रक्रिया पूरी न हो पाने की वजह से सुनवाई टल गई। अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी। इस बीच अदालत ने स्पष्ट किया है कि सभी आरोपी आगामी तारीख पर उपस्थित रहें। सुनवाई टलने के कारण लालू परिवार को कुछ दिनों की राहत जरूर मिली है, क्योंकि फिलहाल उन पर कोई नया कानूनी कदम नहीं उठाया गया है।
आईआरसीटीसी घोटाले से जुड़ी बड़ी कार्रवाई
लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के लिए सोमवार का दिन मिला-जुला रहा। एक ओर जहां ‘लैंड फॉर जॉब’ केस की सुनवाई टल गई, वहीं दूसरी ओर आईआरसीटीसी घोटाले में अदालत ने बड़ा कदम उठाया। इस मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। इसका अर्थ है कि अब इस केस में मुकदमे की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और अदालत गवाहों के बयान और सबूतों की जांच करेगी। आईआरसीटीसी घोटाले में आरोप है कि जब लालू प्रसाद रेल मंत्री थे, तब रेलवे के दो होटलों—रांची और पुरी—के संचालन का ठेका देने में अनियमितताएं की गईं। इन होटलों का ठेका एक निजी कंपनी को देने के बदले कथित रूप से लालू परिवार को आर्थिक लाभ पहुंचाया गया।
राजनीतिक और कानूनी असर
इन दोनों मामलों का असर न सिर्फ कानूनी रूप से, बल्कि राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। लालू प्रसाद यादव भारतीय राजनीति में एक बड़ा नाम हैं और बिहार की राजनीति में अब भी उनका परिवार केंद्र में है। वर्तमान में उनके बेटे तेजस्वी यादव राज्य की राजनीति में एक प्रमुख विपक्षी चेहरा हैं। ऐसे में इन मामलों के चलते परिवार पर कानूनी दबाव बढ़ना राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है। विपक्षी दलों का मानना है कि ये मामले राजनीतिक प्रतिशोध के तहत उठाए गए हैं, जबकि सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियां कहती हैं कि उन्होंने ठोस सबूतों के आधार पर कार्रवाई की है। अदालत में अब इन आरोपों की सच्चाई का परीक्षण होगा।
लालू परिवार के लिए राहत का क्षण
‘लैंड फॉर जॉब’ मामले की सुनवाई टलने को लालू परिवार के लिए अस्थायी राहत के रूप में देखा जा रहा है। आईआरसीटीसी घोटाले में आरोप तय होने से जहां परिवार पर कानूनी दबाव बढ़ा है, वहीं इस केस में सुनवाई आगे बढ़ने से उन्हें कुछ समय मिला है। फिलहाल परिवार के वकीलों का कहना है कि वे दोनों मामलों में अदालत में अपनी बात मजबूती से रखेंगे और यह साबित करेंगे कि आरोप निराधार हैं।
10 नवंबर की सुनवाई पर टिकी निगाहें
अब सबकी निगाहें 10 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं। उस दिन अदालत यह तय करेगी कि ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में आरोप तय किए जाएं या नहीं। अगर आरोप तय हो जाते हैं, तो मुकदमे की प्रक्रिया तेज हो जाएगी और गवाहों के बयान शुरू होंगे। अगर नहीं, तो मामला और आगे खिंच सकता है। फिलहाल इतना तय है कि लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार एक बार फिर न्यायिक प्रक्रिया के केंद्र में है। बिहार की राजनीति पर इसका प्रभाव साफ दिखेगा, खासकर तब जब राज्य में चुनावी माहौल धीरे-धीरे गर्म हो रहा है। अदालत की अगली तारीख तक लालू परिवार को थोड़ी राहत भले मिली हो, लेकिन कानूनी जंग अभी लंबी चलने वाली है।

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