पटना में 10 लाख की प्रतिबंधित कफ सिरप जब्त, 4800 बोतलें बरामद, पुलिस ने गुप्त सूचना पर की कार्रवाई
पटना। पटना सिटी के मालसलामी थाना क्षेत्र में पुलिस ने शुक्रवार को नशे के कारोबार के खिलाफ एक बड़ी सफलता हासिल की। गुप्त सूचना के आधार पर की गई छापेमारी में पुलिस ने मारूफगंज मंडी स्थित सागर ट्रांसपोर्ट से भारी मात्रा में प्रतिबंधित कफ सिरप बरामद किया। यह खेप अवैध रूप से यहां लाई गई थी और इसे आगे तस्करों के नेटवर्क के जरिए सप्लाई किया जाना था।
गोदाम से 4,800 बोतलें कोडीन युक्त कफ सिरप जब्त
छापेमारी के दौरान पुलिस ने ट्रांसपोर्ट गोदाम से 4,800 बोतलें कोडीन युक्त कफ सिरप जब्त कीं। प्रत्येक बोतल 100 एमएल की थी और इसकी कुल अनुमानित कीमत करीब 10 लाख 32 हजार रुपए आंकी गई है। इतनी बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित सिरप की बरामदगी ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि नशे के कारोबार में शामिल लोग लगातार नए-नए रास्ते ढूंढ़ रहे हैं।
गुप्त सूचना और छापेमारी
मालसलामी थाना प्रभारी सुनील कुमार ने जानकारी दी कि उन्हें गुप्त सूचना मिली थी कि मारूफगंज मंडी स्थित एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के जरिए लाखों रुपए मूल्य का कफ सिरप मंगाया गया है। सूचना को गंभीरता से लेते हुए पुलिस टीम गठित की गई और तत्परता से छापेमारी की गई। मौके पर पहुंचकर पुलिस ने गोदाम की तलाशी ली और वहां से प्रतिबंधित कफ सिरप की यह बड़ी खेप बरामद हुई।
हिमाचल प्रदेश से जुड़ा लिंक
बरामद बोतलों पर ‘हिमाचल प्रदेश निर्मित’ का लेबल पाया गया है। इससे यह संकेत मिलता है कि पैकिंग हिमाचल प्रदेश में की गई थी और वहां से ही यह खेप पटना भेजी गई थी। यह भी आशंका जताई जा रही है कि तस्करों का नेटवर्क कई राज्यों तक फैला हुआ है और बिहार में खपत के लिए यह कफ सिरप सप्लाई किया जा रहा था। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि खेप किस व्यक्ति या फर्म के नाम पर मंगाई गई थी और इसमें कितने लोग शामिल हैं।
शराबबंदी और नशे का नया जाल
बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद तस्करों ने नशे के कारोबार का नया रास्ता खोज लिया है। अब वे शराब की जगह कफ सिरप और नशीली दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। कोडीन युक्त कफ सिरप को नशे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और इसकी खपत युवाओं के बीच तेजी से बढ़ रही है। यही कारण है कि बड़ी मात्रा में इस तरह की खेप बिहार में लाई जाती है और गुप्त रूप से बेची जाती है।
पुलिस की जांच और आगे की कार्रवाई
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की गहन जांच की जा रही है। यह पता लगाया जा रहा है कि खेप किसके नाम से मंगाई गई थी और इसके पीछे कौन-कौन लोग सक्रिय हैं। ट्रांसपोर्ट कंपनी के संचालक और कर्मचारियों से भी पूछताछ की जा रही है ताकि पूरे नेटवर्क की जानकारी हासिल की जा सके। पुलिस का मानना है कि इस तरह के कारोबार में स्थानीय और बाहरी दोनों तरह के गिरोह शामिल हो सकते हैं।
नशे के खिलाफ सतर्कता की जरूरत
इस घटना ने यह भी साबित कर दिया है कि नशे के कारोबार पर लगाम कसना अभी भी एक बड़ी चुनौती है। हालांकि पुलिस समय-समय पर छापेमारी कर तस्करों के मंसूबों पर पानी फेरती रही है, लेकिन तस्कर लगातार नए तरीके अपनाकर युवाओं को नशे की ओर धकेल रहे हैं। ऐसे में समाज और परिवारों को भी सतर्क रहने की जरूरत है ताकि इस जाल में कोई फंस न पाए। पटना सिटी में हुई इस बड़ी बरामदगी से पुलिस को नशे के कारोबार की गहराई तक पहुंचने का मौका मिला है। 10 लाख से अधिक की इस खेप की जब्ती केवल एक सफलता नहीं है, बल्कि इस बात का सबूत भी है कि नशे के कारोबार का जाल कितना व्यापक है। पुलिस की अगली चुनौती यह होगी कि इस नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त किया जाए और इसके पीछे छिपे मास्टरमाइंड तक पहुंचा जाए। बिहार में युवाओं के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए नशे के खिलाफ यह जंग लगातार जारी रहनी चाहिए।


