सुधाकर सिंह का बड़ा खुलासा, सीएम के प्रधान सचिव पर लगाया सरकारी खजाना लूटने का आरोप, सामने रखें कई दस्तावेज
पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद सुधाकर सिंह ने बिहार सरकार पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि बिहार सरकार ने पर्यावरण से जुड़े एक फंड को सरकारी विभाग की बजाय एक निजी संस्था के जरिए जारी किया, जिसका सीधा संबंध राज्य के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव से है। 3 मार्च को बिहार सरकार द्वारा सदन में पेश किए गए बजट को लेकर राजद सांसद सुधाकर सिंह ने खुलासा किया कि सरकार ने बिहार ग्रीन डेवलपमेंट फंड के नाम पर 25 करोड़ रुपये का बजट पास किया। लेकिन यह राशि सीधे पर्यावरण विभाग को न देकर बौद्ध फाउंडेशन नामक संस्था को दी गई। सुधाकर सिंह का दावा है कि बौद्ध फाउंडेशन की अध्यक्ष ईशा वर्मा हैं, जो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव दीपक कुमार की बेटी हैं। उन्होंने इस फैसले को सरकारी खजाने की लूट करार दिया और इसे सीधे-सीधे भ्रष्टाचार से जोड़ा। सुधाकर सिंह ने आरोप लगाया कि बिहार सरकार के वित्त मंत्री और विभाग के प्रमुख सचिव अमृत ने इस बजट को गुप्त रूप से तैयार किया था। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि बजट बैठक में ईशा वर्मा भी शामिल थीं, जबकि वे सरकार का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि इस बैठक के दौरान ईशा वर्मा ने सोशल मीडिया पर बजट से जुड़े दस्तावेज भी साझा किए थे। सवाल यह उठता है कि एक निजी व्यक्ति, जो किसी सरकारी पद पर नहीं है, उसे सरकारी बजट की बैठक में शामिल होने की अनुमति कैसे मिली? क्या यह सत्ता के दुरुपयोग और परिवारवाद का मामला नहीं है। सुधाकर सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि दीपक कुमार पहले ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामलों में प्रभावशाली भूमिका निभाते थे, लेकिन अब वे राज्य के खजाने की लूट में भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यह सीधा भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें सरकार के उच्च अधिकारियों के परिवारजन भी जुड़े हुए हैं। सुधाकर सिंह ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के राज्यपाल को पत्र लिखकर इस पूरे प्रकरण की जांच की मांग की है। उन्होंने बिहार की आर्थिक अपराध इकाई से भी जांच करने की अपील की है। उनके इन आरोपों से बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। यदि सरकार इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं देती, तो इसे बड़े भ्रष्टाचार के रूप में देखा जाएगा। वहीं, सरकार इस पूरे मामले को एक राजनीतिक षड्यंत के रूप में भी पेश कर सकती है। बिहार सरकार पर लगे इन गंभीर आरोपों को लेकर अब सबकी नजर सरकार की प्रतिक्रिया पर टिकी है। क्या सरकार इन आरोपों का जवाब देगी या इसे राजनीतिक साजिश मानकर नजरअंदाज करेगी? यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। लेकिन इतना तय है कि यह मामला बिहार की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन सकता है।


