दिल्ली में फिर से डराने लगा कोरोना संक्रमण, अचानक से बढ़ रहें पॉजिटिविटी रेट ने बढाई सरकार की चिंता

नई दिल्ली। दिल्ली में कोरोना वायरस का पॉजिटिविटी रेट अब बढ़ने लगा है और बीते चार दिनों से लगातार 1 फीसदी से ऊपर बना हुआ है। राजधानी में बढ़ती कोरोना की पॉजिटिविटी रेट की असल वजह कम टेस्टिंग मानी जा रही है। पॉजिटिविटी रेट की बढ़ोतरी पर सरकारी अधिकारियों ने कहा कि इसका कारण यह है कि कम कोरोना परीक्षण किए जा रहे हैं और ज्यादातर सिम्प्टोमेटिक व्यक्तियों का ही परीक्षण किया जा रहा है। बता दें कि दिल्ली ने गुरुवार को केवल 10,000 से अधिक टेस्टिंग में ही 1.68% की सकारात्मकता दर दर्ज की गई है। दरअसल, पॉजिटिविटी रेट वह डेटा है, जिससे यह पता चलता है कि किए गए कुल टेस्ट में से कितने पॉजिटिव आ आए। पॉजिटिविटी रेट संक्रमण के फैलाव को भी इंगित करता है। यानी पॉजिटिविटी रेट ज्यादा, इसका मतलब संक्रमण तेजी से फैल रहा है।

वही अगर पॉजिटिविटी रेट कम तो मतलब खतरा कम। इसलिए पॉजिटिविटी रेट का कम होना, अच्छा संकेत माना जाता है, लेकिन अभी दिल्ली का पॉजिटिविटी रेट बढ़ा हुआ है। जानकारी के मुताबिक, अस्पताल में किए जा रहे कोरोना टेस्ट की वजह से ही पॉजिटिविटी रेट में वृद्धि हुई है। टेस्ट करवाने के लिए सामान्य लोग कम ही आ रहे हैं। जिन्हें लक्षण हैं, वही अब केवल टेस्ट करवाने आ रहे हैं। यही वजह है कि सप्ताह भर में सकारात्मकता दर में वृद्धि हुई है। यह पिछले चार दिनों में 1% से ऊपर बना हुआ है, जो महीने के पहले दिन दर्ज किए गए 0.57% से अधिक है। अधिकारियों ने कहा कि घरेलू यात्रा के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट की आवश्यकता जैसे प्रतिबंधों को हटाने से भी टेस्टिंग की संख्या में गिरावट आई है और इसके परिणामस्वरूप सकारात्मकता दर बढ़ रही है। इसके अलावा, जब अधिक सिम्प्टोमेटिक रोगियों का टेस्ट किया जाता है तो अधिक संख्या में पॉजिटिव होने की संभावना होती है।

रिपोर्ट की मानें तो बीते तीन दिनों में टेस्टिंग की संख्या बहुत कम रही है। एक दिन में औसतन 9,328 कोरोना टेस्ट किए गए हैं। इसकी तुलना में मार्च के अंतिम सात दिनों के दौरान औसतन प्रतिदिन औसतन 23431 परीक्षण किए गए। सरकार ने कोरोना के पीक के दौरान भी एक दिन में लगभग 60,000 टेस्टिंग करने की योजना बनाई थी। इस संबध में दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रेलवे स्टेशनों और आईएसबीटी जैसे सार्वजनिक जगहों पर भी लोग अब टेस्ट नहीं करवा रहे हैं, क्योंकि उनके भीतर से कोरोना संक्रमण का डर खत्म हो गया है। कम टेस्टिंग की वजह से सरकारी लैब भी खाली रह जा रहे हैं, जबकि कोरोना में उछाल के दौरान सरकारी क्षमता कम पड़ जाती है तो सैंपल को प्राइवेट लैब में भेजा जाता रहा है। अधिकारी ने कहा कि अभी ज्यादातर टेस्ट अस्पताल में किए जा रहे हैं।

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