कोरोना के खात्मे के लिए करें दुआ, इफ्तार पार्टियों से करें परहेज : मो. कासमी

  • नायब अमीर ए शरीयत ने लॉकडाउन का पालन करते हुये असहायों, गरीबों की मदद करने की अपील की

फुलवारी शरीफ (अजीत)। बिहार, झारखंड व उड़ीसा के मुसलमानों की सबसे बड़ी एदारा इमारत शरीया के नायब अमीर ए शरियत हजरत मौलाना मोहम्मद शमशाद रहमानी कासमी ने कोरोना के बढ़ते खतरे से लोगों को आगाह करते हुए कहा कि कोरोना रोग के लिए विशेषकर दुआ करें कि कोरोना रोग जल्दी से जल्दी समाप्त हो जाए, परिस्थितियां सामान्य हो जाएं ताकि मस्जिदें और मदरसे फिर से आबाद हों सके। उन्होंने कहा कि इस समय पूरा देश कोरोना वायरस जैसी घातक बीमारी और महामारी से जूझ रहा है। ऐसी स्थिति में आवश्यक है कि सभी मुसलमान किसी भी तरह की इफ्तार पार्टियों से दूर रहें। स्वयं भी दावत (आमंत्रित) न करें, सामूहिक बैठकें करने से बचें।
मौलाना रहमानी ने कहा कि रमजान का आखरी अशरा (दस दिन) निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण और मूल्यवान है। इस दशक की ताक (विषम) रातों में कोई रात “शब ए कद्र” हो सकती है। प्रत्येक मुसलमान रोजा, तरावीह के साथ अधिक से अधिक समय जिक्र व तिलावत और इबादत व रियाजत (उपासना और धर्मनिष्ठा) में लगाएं और शब ए कद्र की बरकत प्राप्त करने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि शब ए कद्र की खोज में सरकार की गाइडलाइन के विपरित मस्जिदों में इकट्ठा न हों, अपने घरों को इबादतों की रोशनी से भर दें। साथ ही खरीदने-बेचने हेतु सरकार के आदेश एवं लॉकडाउन के नियमों का पूर्णरूप से पालन करें।
उन्होंने आह्वान किया है कि हर मुसलमान, संप्रदाय एवं संगठन से आगे बढ़कर मृतकों के शवों को दफन करने एवं कब्रिस्तानों में जगह देने में सहायता करें। ऐसे कार्यों में मृत्यु से न डरें बल्कि अल्लाह पर विश्वास रखें। युवाओं का विशेष रूप से ध्यान आकर्षित किया है कि रात में मोटरसाइकिल, कार इत्यादि पर घूमने फिरने से बचें, मोबाइल का भी प्रयोग कम से कम करें, जिक्र व तिलावत पर ध्यान दें एवं रमजान की बरकतें हासिल करें। इमारत शरिया ने मदरसों एवं मस्जिदों के जिम्मेदार व्यक्तियों से अनुरोध किया है कि इमाम, मुअज्जिन एवं मदरसों के असातिजह (शिक्षकों) इत्यादि का भरपूर ख्याल रखें एवं इनके वेतन में किसी प्रकार की कटौती एवं कमी न करें।

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