December 31, 2025

कैमूर में कर्नाटक पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल की हार्टअटैक से मौत, चुनावी ड्यूटी में थे तैनात

कैमूर। बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान से पहले एक दर्दनाक घटना ने पूरे सुरक्षा तंत्र को झकझोर कर रख दिया। कैमूर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र में चुनावी ड्यूटी पर तैनात कर्नाटक पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल राजकुमार की अचानक हार्ट अटैक से मौत हो गई। घटना रविवार सुबह की है, जब वह अपने साथियों के साथ रामगढ़ हाई स्कूल परिसर में ठहरे हुए थे।
सुबह की ड्यूटी से पहले मिली दुखद खबर
जानकारी के मुताबिक, कर्नाटक पुलिस की एक टीम चुनावी सुरक्षा के मद्देनज़र कैमूर जिले में भेजी गई थी। इस टीम के सभी जवान रामगढ़ हाई स्कूल में ठहरे हुए थे। रविवार की सुबह जब साथी जवानों ने ड्यूटी के लिए राजकुमार को जगाने की कोशिश की, तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्हें बेहोशी की हालत में देखकर साथियों ने तुरंत अधिकारियों को सूचना दी और उन्हें आनन-फानन में रामगढ़ रेफरल अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि राजकुमार की पहले ही मौत हो चुकी थी। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि मौत का कारण हृदयाघात यानी हार्ट अटैक है।
अस्पताल में पसरा सन्नाटा
राजकुमार की मौत की खबर जैसे ही पुलिस विभाग को मिली, अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। कुछ ही देर में रामगढ़ थाना अध्यक्ष और पुलिस बल के अन्य अधिकारी मौके पर पहुंच गए। डॉक्टरों ने बताया कि जब उन्हें अस्पताल लाया गया, तब उनकी नाड़ी और सांसें बंद हो चुकी थीं। इसके बाद अधिकारियों ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भभुआ सदर अस्पताल भेज दिया। कैमूर के रामगढ़ बीडीओ जितेंद्र कुमार ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा, “प्रारंभिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि हेड कॉन्स्टेबल की मौत हार्ट अटैक से हुई है। घटना की जानकारी संबंधित पुलिस अधिकारियों को भेज दी गई है।”
कर्नाटक पुलिस टीम में शोक की लहर
राजकुमार की मौत से कर्नाटक पुलिस के साथियों में गहरा दुख छा गया है। चुनावी ड्यूटी पर आए उनके साथी जवानों ने बताया कि राजकुमार पूरी निष्ठा से ड्यूटी कर रहे थे और बीते दिनों से लगातार क्षेत्र में गश्त और सुरक्षा व्यवस्था में जुटे हुए थे। साथी जवानों ने कहा कि वह पूरी तरह स्वस्थ दिख रहे थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से चुनावी ड्यूटी के दबाव और लगातार बदलते मौसम की वजह से उन्हें थकान महसूस हो रही थी। एक अधिकारी ने कहा, “राजकुमार बहुत ही अनुशासित और शांत स्वभाव के जवान थे। उन्होंने हमेशा अपने कर्तव्य को प्राथमिकता दी। उनकी अचानक मौत हम सभी के लिए गहरा सदमा है।”
चुनावी दबाव में काम कर रहे सुरक्षा बल
यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि चुनावी ड्यूटी के दौरान सुरक्षा बल किस तरह के मानसिक और शारीरिक दबाव में काम करते हैं। बिहार जैसे बड़े राज्य में चुनाव के दौरान हजारों जवान विभिन्न राज्यों से बुलाए जाते हैं और उन्हें लगातार कई दिनों तक कड़ी ड्यूटी निभानी होती है। अक्सर सुरक्षा बलों को आराम और उचित चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पातीं। ठंड और थकान के बीच दिन-रात की ड्यूटी कई बार उनकी सेहत पर भारी पड़ जाती है। स्थानीय प्रशासन ने बताया कि सभी सुरक्षा कर्मियों को पर्याप्त आराम और आवश्यक स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
प्रशासन ने की तत्काल कार्रवाई
राजकुमार की मौत के बाद प्रशासनिक स्तर पर तेजी से कार्रवाई की गई। रामगढ़ थाना प्रभारी के नेतृत्व में पुलिस टीम ने मौके का निरीक्षण किया और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर आगे की प्रक्रिया शुरू की। भभुआ सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद शव को सम्मानपूर्वक उनके गृह राज्य कर्नाटक भेजा जाएगा। कैमूर जिला प्रशासन ने मृतक के परिवार से संपर्क साधा है और उन्हें सभी जरूरी सहायता देने का आश्वासन दिया गया है। चुनाव आयोग को भी घटना की जानकारी दे दी गई है ताकि मृतक जवान के परिजनों को उचित मुआवजा और सहायता राशि उपलब्ध कराई जा सके।
चुनावी ड्यूटी पर शहीद हुए कर्मी को श्रद्धांजलि
इस दुखद घटना के बाद कैमूर के स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस बल ने राजकुमार को श्रद्धांजलि दी। साथी जवानों ने कहा कि “उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए अंतिम सांस ली। यह लोकतंत्र की रक्षा में लगी सेवा के दौरान हुई मृत्यु है।” पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं सभी सुरक्षा कर्मियों के लिए एक संदेश हैं कि सेहत को प्राथमिकता देना आवश्यक है, खासकर तब जब ड्यूटी का दबाव लगातार बना हो। कर्नाटक पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल राजकुमार की हार्ट अटैक से हुई मौत न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि यह लोकतंत्र के प्रहरी सुरक्षा बलों की चुनौतियों का प्रतीक भी है। वे दूर-दराज़ राज्यों में जाकर चुनाव को सुरक्षित और निष्पक्ष बनाने के लिए दिन-रात ड्यूटी निभाते हैं, अक्सर अपनी जान की परवाह किए बिना। कैमूर की यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि लोकतंत्र की नींव केवल मतदाता नहीं, बल्कि वे सुरक्षा बल भी हैं जो हर परिस्थिति में शांति और व्यवस्था बनाए रखते हैं। राजकुमार की सेवा और समर्पण को हमेशा याद किया जाएगा।

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