October 28, 2025

लालगंज में कांग्रेस ने वापस लिया नामांकन, महागठबंधन से शिवानी शुक्ला लड़ेगी, होगी कड़ी टक्कर

वैशाली। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच लालगंज विधानसभा सीट का राजनीतिक समीकरण आखिरकार स्पष्ट हो गया है। लंबे समय से महागठबंधन के दो घटक दलों—राजद और कांग्रेस—के बीच इस सीट को लेकर चल रही असमंजस की स्थिति अब समाप्त हो गई है। कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी का नामांकन वापस लेकर इस सीट को राजद के लिए छोड़ दिया है। अब इस सीट से महागठबंधन की ओर से मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला चुनावी मैदान में होंगी।
महागठबंधन में सुलझा पेच
लालगंज सीट को लेकर पिछले कई दिनों से महागठबंधन में मतभेद की स्थिति बनी हुई थी। एक ओर जहां राष्ट्रीय जनता दल ने अपने मजबूत संगठन और क्षेत्रीय प्रभाव को ध्यान में रखते हुए शिवानी शुक्ला को टिकट दिया, वहीं कांग्रेस ने भी आदित्य कुमार राजा को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया था। इससे दोनों दलों के बीच तालमेल पर सवाल उठने लगे थे। लेकिन अब कांग्रेस ने गठबंधन की एकता को प्राथमिकता देते हुए आदित्य राजा का नामांकन वापस ले लिया है, जिससे इस सीट पर महागठबंधन की राह साफ हो गई है।
आदित्य राजा ने निभाया ‘गठबंधन धर्म’
कांग्रेस प्रत्याशी आदित्य कुमार राजा ने नाम वापस लेने के बाद कहा कि उनका यह निर्णय किसी दबाव या निजी स्वार्थ में नहीं लिया गया है, बल्कि गठबंधन धर्म निभाने के लिए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सहयोगी दलों के बीच सामंजस्य बनाए रखना ही सर्वोपरि है, इसलिए उन्होंने संगठन के हित में यह फैसला किया। इस कदम से कांग्रेस ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह महागठबंधन की एकजुटता को हर हाल में बरकरार रखना चाहती है।
निर्वाचन पदाधिकारी ने की पुष्टि
लालगंज विधानसभा क्षेत्र की निर्वाचन पदाधिकारी वर्षा सिंह ने आदित्य राजा के नामांकन वापस लेने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि आदित्य कुमार ने औपचारिक रूप से अपना नाम वापस ले लिया है। साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी दी कि जिले की महुआ विधानसभा सीट से भी दो प्रत्याशियों ने नाम वापस लिया है। इस तरह, लालगंज में अब महागठबंधन की ओर से सिर्फ एक ही प्रत्याशी—शिवानी शुक्ला—चुनावी मैदान में हैं।
शिवानी शुक्ला पर टिकी निगाहें
अब पूरे लालगंज क्षेत्र की निगाहें युवा उम्मीदवार शिवानी शुक्ला पर टिकी हैं। वे बाहुबली कहे जाने वाले पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला की बेटी हैं। उनके पिता ने वर्ष 2000 में हाजीपुर जेल से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी। बाद में वे जेडीयू के टिकट पर भी विधायक बने थे। वहीं उनकी मां भी इसी सीट से विधायक रह चुकी हैं। राजनीतिक पृष्ठभूमि से आने वाली शिवानी शुक्ला अब अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने की तैयारी में हैं।
बीजेपी ने उतारा संजय सिंह को मैदान में
लालगंज सीट पर मुकाबला अब सीधा और दिलचस्प हो गया है। महागठबंधन की ओर से जहां शिवानी शुक्ला मैदान में हैं, वहीं एनडीए की तरफ से भारतीय जनता पार्टी ने संजय सिंह को प्रत्याशी बनाया है। संजय सिंह क्षेत्र में सक्रिय और लोकप्रिय नेता माने जाते हैं। ऐसे में इस सीट पर दो प्रभावशाली उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
क्षेत्र में बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी
नामांकन वापसी के बाद लालगंज में सियासी हलचल तेज हो गई है। महागठबंधन के कार्यकर्ता अब एकजुट होकर शिवानी शुक्ला के प्रचार में जुट गए हैं। वे लगातार क्षेत्र के गांव-गांव जाकर जनता से संपर्क कर रही हैं और जनसभाओं में अपने पिता की राजनीतिक परंपरा को याद दिला रही हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशी संजय सिंह भी अपने संगठन के दम पर जनसंपर्क अभियान में लगे हैं। दोनों ही उम्मीदवार मतदाताओं तक पहुंच बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
सियासी महत्व और संभावनाएं
लालगंज विधानसभा सीट वैशाली जिले की उन प्रमुख सीटों में से एक है, जहां हर चुनाव में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलता है। इस क्षेत्र में शुक्ला परिवार का गहरा प्रभाव रहा है, लेकिन बीजेपी की पकड़ भी यहां मजबूत रही है। इसलिए इस बार का चुनावी मुकाबला सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच नहीं, बल्कि दो राजनीतिक विचारधाराओं के बीच माना जा रहा है। लालगंज सीट पर अब सियासी समीकरण स्पष्ट हो गए हैं। कांग्रेस द्वारा नामांकन वापस लेने के बाद महागठबंधन एकजुट होकर मैदान में उतर चुका है। शिवानी शुक्ला अब गठबंधन की उम्मीदों का चेहरा हैं, जबकि भाजपा अपने संगठन के बल पर उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार है। आने वाले दिनों में यह सीट राज्य की सबसे चर्चित सीटों में से एक बन सकती है। जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है, यह तो परिणाम आने के बाद ही तय होगा, लेकिन इतना निश्चित है कि लालगंज का यह मुकाबला बेहद रोमांचक और निर्णायक होने वाला है।

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