सासाराम में कांग्रेस सांसद पर हमला, लोगों ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, फटा सर, वीडियो वायरल
सासाराम। बिहार के सासाराम लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद मनोज राम पर बुधवार को एक बड़ी घटना घटी। कैमूर जिले के कुदरा प्रखंड के नाथूपुर गांव में ग्रामीणों ने उन पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। इस हमले में सांसद का सिर फट गया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें पटना रेफर कर दिया गया है। मिली जानकारी के अनुसार, सांसद मनोज राम अपने काफिले के साथ नाथूपुर गांव पहुंचे थे, जहां उन पर अचानक भीड़ ने हमला कर दिया। बताया जा रहा है कि हमला जमीन विवाद को लेकर हुआ। सांसद के भाई और ग्रामीणों के बीच जमीन से जुड़ा एक पुराना विवाद चल रहा था। इस विवाद से नाराज ग्रामीणों ने सांसद पर हमला कर दिया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि सांसद के सुरक्षा गार्ड भी आक्रोशित भीड़ के आगे बेबस दिखे। भीड़ ने सांसद के साथ-साथ उनके सुरक्षा कर्मियों को भी दौड़ा-दौड़ाकर पीटा और खदेड़ दिया। घटना के बाद इलाके में अफरातफरी मच गई, और सांसद को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस घटना का मुख्य कारण सांसद के भाई और ग्रामीणों के बीच चल रहा जमीन विवाद बताया जा रहा है। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह विवाद किस प्रकार का था और कितने दिनों से चला आ रहा था। लेकिन घटना से यह साफ है कि ग्रामीण इस मामले को लेकर बेहद नाराज थे और जैसे ही सांसद गांव में पहुंचे, उन्होंने अपना गुस्सा सांसद पर निकाल दिया। घटना के बाद भी अब तक थाने में कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं की गई है। पुलिस प्रशासन इस पूरे मामले की जांच में जुटा हुआ है। अभी यह पता नहीं चला है कि कितने लोगों ने हमला किया और क्या इस हमले की कोई पूर्व नियोजित साजिश थी। घटना के बाद गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है। घायल सांसद को पहले स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उनकी हालत गंभीर होने के कारण उन्हें पटना रेफर कर दिया गया। डॉक्टरों के अनुसार, उनके सिर में गंभीर चोटें आई हैं। पुलिस प्रशासन इस मामले में हमलावरों की पहचान करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने में जुटा हुआ है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सांसद या उनके परिवार की तरफ से कोई कानूनी कार्रवाई की जाती है या फिर यह विवाद आपसी समझौते से सुलझाया जाएगा। चूंकि यह घटना एक वर्तमान सांसद पर हुई है, इसलिए इसका राजनीतिक प्रभाव भी देखने को मिल सकता है। विपक्षी दल इस मुद्दे को उठाकर कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर सकते हैं। वहीं, कांग्रेस पार्टी भी इस हमले को एक राजनीतिक षड्यंत्र बताकर सख्त कार्रवाई की मांग कर सकती है। यह घटना बिहार में राजनीतिक और प्रशासनिक अस्थिरता को दर्शाती है। एक सांसद पर ग्रामीणों द्वारा हमला किया जाना लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। यह मामला सिर्फ एक जमीन विवाद से जुड़ा नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों के बीच संवाद की कमी और प्रशासनिक हस्तक्षेप की असफलता किस प्रकार हिंसक घटनाओं को जन्म दे सकती है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पुलिस और प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।


